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एजुकेशन न्यूज़

नींद पर क्‍या पड़ा है कोविड-19 का असर, कोरोना ने कैसे बदला हमारा स्‍लीप पैटर्न?

प्रतीकात्‍मक फोटो (Getty)
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कोरोना वायरस ने बीते एक साल में बहुत कुछ बदलकर रख दिया है. इसमें सबसे ज्‍यादा प्रभावित हुई है हमारी लाइफस्‍टाइल जिसका एक महत्‍वपूर्ण पार्ट है हमारी नींद. इस वायरस ने हमारा स्‍लीप पैटर्न बदलकर रख दिया है. मानसिक चिकित्‍सा के क्षेत्र में इसे कोरोनोस्‍मनिया या कोविडसोम्‍न‍िया जैसे टर्म दिए गए हैं. आइए एक्‍सपर्ट से जानें कैसे बदला है हमारा स्‍लीप पैटर्न...

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इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाएड साइंसेस (IHBAS) के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. ओमप्रकाश ने द लैंसेट न्‍यूरोलॉजी की एक स्‍टडी के बारे में बताया. वो कहते हैं क‍ि 2020 में कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) ने चीन से शुरू होकर पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लिया. इस दौरान चीन के 35 साल या उससे कुछ साल अध‍िक उम्र के 7236 लोगों के स्‍लीप पैटर्न का अध्‍ययन क‍िया गया. इनमें से एक तिहाई लोग हेल्‍थ केयर वर्कर्स थे.

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इस अध्‍ययन में पाया गया कि 35 फीसदी लोगों में जनरल एंजाइटी और 20 फीसदी में डिप्रेशन यानी अवसाद और 18% खराब नींद लक्षण पाए गए. इसकी वजह महामारी के बारे में उनके भीतर सबसे अधिक चिंता का होना पाया गया. हेल्‍थ केयर वर्कर जाहिर है, इस दौरान सबसे ज्‍यादा दबाव में रहे हैं. बता दें क‍ि साल 2020 में नींद की समस्‍या बढ़ी है, बड़ी संख्‍या में लोगों के स्‍लीप पैटर्न डिस्‍टर्ब हुए हैं.

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कई देशों के कई अन्य पब्‍ल‍िकेशंस में ये स्‍टडी आई हैं क‍ि SARS-CoV-2 संक्रमण का नींद पर असर पड़ा है. क्‍वारनटीन होने के दौरान से लेकर वित्तीय नुकसान से संबंधित चीजों ने भी नींद पर बुरा असर डाला है. एक यूरोपीय टास्क फोर्स के अनुसार, अनिद्रा के लक्षण मनोसामाजिक कारकों से सीधे रिलेटेड हो सकते हैं. इटली में, COVID-19 नींद में डिस्‍टर्ब के मामले बढ़े. 2291 इटालियंस के सर्वे में सामने आया है कि कोरोना काल में 57.1 लोगों को इस दौरान अच्‍छी साउंड स्‍लीप नहीं मिली. वहीं 32.1 प्रतिशत में एंजाइटी का हाई लेवल रहा. 41.8% में नींद की सबसे ज्‍यादा समस्‍या रही. वहीं 7.6 फीसदी में तनाव के बाद के दर्दनाक लक्षण पाए गए.

 

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अंतर्राष्ट्रीय COVID-19 स्लीप स्टडी में भी स्‍लीप पैटर्न के विभिन्न कारकों की जांच की जा रही है. इसमें अनिद्रा, बुरे सपने, स्लीप एपनिया, थकान और आरईएम यानी नींद व्यवहार विकार का पता लगाया जा रहा है. बता दें क‍ि जैसे ही दुनिया में लॉकडाउन शुरू हुआ. अनिद्रा की समस्‍या तेजी से बड़ी आबादी में फैल गई. यूके और इटली में राष्ट्रीय सर्वेक्षणों में अधिकांश लोगों ने नींद की समस्याओं की सूचना दी. ये वो दौर था जब बड़ी संख्‍या में लोगों की रातें छत पर घूर कर सोते बीतीं.

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इससे लोगों की रूटीन लाइफ पूरी तरह बदल गई. संक्रमण से अजीब-सा डर और चिंता तो वजह बना ही, साथ ही नौकरी बचाने का तनाव और आर्थिक असुरक्षा सभी ने रात की बेचैनी में योगदान किया. महामारी से पहले जो नींद की समस्या से जूझ रहे थे, उन लोगों में लक्षण और बिगड़ गए. वहीं जो लोग अच्छी नींद लेने वाले थे, उन्हें अनिद्रा का अनुभव होने लगा. नींद के मामलों में विशेषज्ञ डॉक्टरों ने इसे कोविड-सोमनीया या कोरोनासोमनिया के लेबल के साथ नींद की इस नई समस्‍या को सामने रखा. 

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यूके के एक हॉस्‍प‍िटल में न्‍यू बॉर्न यूनिट में मैट्रन टीना मोरी ने बीबीसी से बातचीत में अपने अनुभव साझा क‍िए हैं, उन्‍होंने कहा कि पहले वो रात में पांच या छह घंटे सोती थीं, लेकिन कोविड काल में उनकी नींद पूरी तरह डिस्‍टर्ब हो चुकी है. मैं अब बहुत कम समय के लिए सो रही हूं और फिर से दोबारा सोने के लिए संघर्ष कर रही हूं और यह एक निरंतर चक्र की तरह हो गया है.

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डॉ ओमप्रकाश ने बताए स्‍लीप पैटर्न सुधारने के तरीके

1. नियमित रूप से सोने-जागने का शेड्यूल बनाने का प्रयास करें. कोश‍िश करें कि दिन में जल्‍दी जागें और खुद को रचनात्‍मक कामों में व्‍यस्‍त रखने का प्रयास करें.

2. दिन के दौरान संक्षिप्त (उदाहरण के लिए 15 मिनट) समय लें और तनाव और स्थिति पर विचारों को लिखें, तनाव के बारे में बात करें, इन चीजों के बारे में अपनी सोच को सीमित करने का प्रयास करें ताकि रात में ये तनाव आपको कम से कम हो.

3. संभव हो तो अपने बिस्तर का उपयोग केवल नींद के लिए करें, दिन की किसी अन्य गतिविधि के लिए नहीं. बिस्तर पर तभी जाएं जब आप सामान्य रूप से नींद महसूस करते हैं.

4. अपनी प्राकृतिक नींद की जरूरत पूरी करें, ध्‍यान रखें कि नींद भी एक तरह से इम्‍यूनिटी बूस्‍टर का काम करती है इसलिए नींद की अवधि को अपनी प्राकृतिक आवश्‍यकता मानकर चलें.

5. परिवार और दोस्तों के साथ तनाव और चिंता की भावनाओं को साझा करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करें, लेकिन विचलित करने वाली किसी जानकारी को साझा करने के साथ साथ कोई एंटरटेनिंग पोस्‍ट भी साझा करें. वैसे कोश‍िश करें कि बेडरूम में कोई डिवाइस जैसे मोबाइल और टैबलेट न लें. 

6. कई बार नोटिफिकेशन और अनुरोधों और पोस्ट के जवाब चेक करने के कारण भी नींद डिस्‍टर्ब हो जाती है. इसलिए बिस्तर पर जाने से पहले डिवाइस को स्विच ऑफ कर दें. किसी मनपसंद  किताब को पढ़कर भी बिस्‍तर पर जा सकते हैं.

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