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राजस्थान में सरकारी नौकरियों की भर्ती में फर्जीवाड़े थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. अभी तक पेपर लीक और डमी कैंडिडेट बैठाकर परीक्षा में पास कर सरकारी नौकरी पाने के मामले सामने आ रहे थे, मगर अब परीक्षा पास कर सरकारी नौकरी पाने जा रहे 156 फायरमैन को फर्जी डिग्री-डिप्लोमा लगाकर नौकरी पाने के रैकेट में पकड़ा गया है.
फायरमैन की भर्ती करने वाले राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने इन्हें अयोग्य घोषित किया है. राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने सरकार को सूचना दी है कि इनकी नौकरी तुरंत प्रभाव से रोक दी जाए, क्योंकि इन्होंने फ़र्ज़ी डिग्री और डिप्लोमा लगाकर परीक्षा पास की है.
दरअसल, राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की परीक्षा में 600 फ़ायरमैन सफल हुए थे, जिसमें से 400 को नियुक्ति दे दी गई थी. बोर्ड ने सरकार को लिखा है कि नौकरी पाए सभी लोगों के डिग्री और डिप्लोमा जांच किया जाए.
इसके लिए स्वायत्त शासन विभाग को राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने पत्र लिखा है. फ़र्ज़ी डिग्री डिप्लोमा लगाने वाले 156 अपात्र लोगों के रोल नंबर और नाम बोर्ड ने वेबसाइट पर जारी कर दिए हैं और इसकी सूचना स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप को दे दी है ताकि जांच की जाए.
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष आलोक राज ने कहा, फ़ायरमैन भर्ती में फ़र्ज़ी डिप्लोमा लगाने वाले अभ्यार्थियों पर कार्रवाई की गई है. हम युवाओं से अपील करते हैं कि दलालों के चक्कर में फ़र्ज़ी डिग्री या डिप्लोमा ख़रीद कर नौकरी नहीं पाएं.
कहा जा रहा है कि दलालों ने फ़ायरमैन की परीक्षा देने के लिए युवाओं को 15-20 हज़ार रुपए में डिप्लोमा और डिग्री उपलब्ध कराए थे. इस परीक्षा में असफल रह गए अभ्यार्थियों ने लंबे समय तक फ़र्ज़ी डिग्री डिप्लोमा लगाकर नौकरी पाने वालों के ख़िलाफ़ आंदोलन किए थे और सुबूत जुटाकर राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड को देकर आए थे.
सवाल उठता है कि यह तो छोटी परीक्षा थी, जिसकी वजह से जांच संभव हो पाई. मगर जहां पर हज़ारों में पोस्ट निकल रही हैं, वहां पर एक-एक डिग्री और डिप्लोमा की जांच अलग-अलग किया जाना कितना मुश्किल है. राजस्थान राजस्थान बेरोज़गार संघ ने सरकार से मांग की थी कि इसके ख़िलाफ़ सख़्त क़ानून बनाया जाए ताकि इस तरह का फर्जीवाड़ा करने से लोग डरें.
दरअसल, राजस्थान में फ़र्ज़ी डिग्री और डिप्लोमा का बड़ा रैकेट चल रहा है जिसकी जांच के लिए स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने राजस्थान सरकार और UGC को भी लिखा है. राजस्थान के तीन यूनिवर्सिटी का भी इस रैकेट में नाम आ चुका है, जिसके कुलपति समेत कई कर्मचारी भी गिरफ़्तार किए गए हैं.