दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में EWS कोटे के तहत एडमिशन पाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं होगा. इसे लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फैसला आया है. हाईकोर्ट ने उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है, जिसमें दिल्ली सरकार के उस फैसले के क्रियान्वयन को निलंबित कर दिया गया था, जिसके तहत निजी और गैर सहायता प्राप्त स्कूलों में एडमिशन के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS), वंचित समूह और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (CWSN) की कैटेगरी वाले बच्चे का आधार कार्ड अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करना होगा.
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने एकल बेंच के अंतरिम आदेश के खिलाफ दिल्ली सरकार द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया और कहा कि जैसा कि केएस पुट्टास्वामी मामले (सुप्रीम कोर्ट द्वारा) में देखा गया कि बच्चे की संवेदनशील जानकारी प्राप्त करने का मुद्दा अनुच्छेद 21 के तहत उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन करने की संभावना होगी. बेंच ने कहा कि यह फैसला प्रथम दृष्टया गोपनीयता से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों के साथ विरोधाभासी है.
कोर्ट ने कहा कि शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया है कि आधार जमा करना अनिवार्य बनाने से अनुच्छेद 21 द्वारा संरक्षित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा और इसे संवैधानिक रूप से उचित नहीं ठहराया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि यह कहना ठीक होगा कि विवादित परिपत्र प्रथम दृष्टया संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत हैं, जिसके प्रभाव पर एकल न्यायाधीश ने उचित ही रोक लगा दी है.
सिंगल बेंच का आदेश एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर पारित किया गया था, जिसने आरोप लगाया था कि उनका 5 साल का बेटा 2023 के सेशन के लिए स्कूलों में सीटों के आवंटन के लिए कंप्यूटराइज्ड लॉटरी सिस्टम में सिर्फ इसलिए हिस्सा नहीं ले सका, क्योंकि उसका आधार कार्ड नहीं था.
दिल्ली सरकार ने 12 जुलाई 2022 और 2 फरवरी 2023 को जारी परिपत्रों के माध्यम से EWS, DG, CWSN कैटेगरी के तहत दिल्ली में निजी और गैर-सहायता वाले मान्यता प्राप्त स्कूलों में एडमिशन के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि सिंगल बेंच ने अभी तक याचिका पर अंतिम विचार नहीं किया है.
27 जुलाई को पारित एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ अपील में दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने तर्क दिया कि न्यायाधीश परिपत्रों के पीछे के इरादे और उद्देश्यों को पर्याप्त रूप से समझने में विफल रहे हैं. उन्होंने कहा कि आधार कार्ड की आवश्यकता एक व्यावहारिक उद्देश्य को पूरा करती है और इसका उद्देश्य डुप्लीकेट आवेदनों को खत्म करना है और यह निजी, गैर सहायता प्राप्त, मान्यता प्राप्त स्कूलों में ईडब्ल्यूएस, डीजी कैटेगरी के तहत एडमिशन के लिए प्रक्रिया को आधुनिक बनाने के लिए बनाई गई एक नीतिगत पहल है.
यह भी तर्क दिया गया कि आधार कार्ड को अनिवार्य करना किसी बच्चे के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है, बल्कि यह फर्जी आवेदनों और गलत पहचान के आधार पर प्रवेश के खिलाफ सुरक्षा के रूप में कार्य करता है. सरकारी वकील ने यह भी स्पष्ट किया कि अधिकारियों का इरादा बच्चों की गोपनीयता या सुरक्षा से समझौता करना नहीं है.