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NEET और JEE परीक्षा के समर्थन में आया अकादमिक जगत, पीएम को लिखा पत्र

प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में अकादमिक जगत से जुड़े लोगों ने जेईई/एनईईटी परीक्षा के संचालन का समर्थन किया है. साथ ही कहा है कि उम्मीद है कि छात्रों को एक वर्ष गंवाना नहीं पड़ेगा.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो-PTI)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • परीक्षा के समर्थन में पीएम को लिखा पत्र
  • कहा-छात्रों को एक वर्ष गंवाना नहीं पड़ेगा
  • कई विश्वविद्यालयों के वीसी ने लिखा पत्र

देशभर में NEET और JEE की प्रस्तावित परीक्षा कराने के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा गया है. ये एग्जाम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए की तरफ से कराये जाते हैं. अकादमिक समुदाय के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर NEET और JEE की परीक्षा कराये जाने का समर्थन किया है. 

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प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में अकादमिक जगत से जुड़े लोगों ने जेईई/एनईईटी परीक्षा के संचालन का समर्थन किया है. साथ ही कहा है कि उम्मीद है कि छात्रों को एक वर्ष गंवाना नहीं पड़ेगा. परीक्षा के समर्थन में इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) के प्रोफेसर सीबी शर्मा, दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्री प्रकाश सिंह, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार के वीसी प्रोफेसर संजीव शर्मा, डॉ बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी, गुजरात के वीसी अमी उपाध्याय, केरल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रो-वीसी प्रोफेसर जयप्रसाद आदि ने परीक्षा के समर्थन में पीएम मोदी को पत्र लिखा है.

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अकादमिक जगत से जुड़े लोगों ने यह पत्र उस समय लिखा जब छात्रों और कई राज्यों के मुख्यमंत्री ने कोरोना संकट के बीच जेईई/एनईईटी परीक्षा कराये जाने का विरोध किया है. सात गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि वो सितंबर में प्रस्तावित इस परीक्षा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को पत्र लिखकर प्रस्तावित परीक्षा रद्द करने की मांग की है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी परीक्षा को लेकर विरोध जता चुकी हैं.

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बता दें कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने जेईई और नीट जैसी परीक्षाएं कराये जाने को अनिवार्य बताया है. टेस्टिंग एजेंसी का कहना है कि एक शैक्षणिक कैलेंडर वर्ष को बचाने के लिए और कई उम्मीदवारों के एक वर्ष को बचाने के लिए प्रवेश परीक्षाओं का संचालन जरूरी है. एजेंसी ने कहा है कि अगर इसे शून्य वर्ष मानते हैं, तो हमारी प्रणाली एक सत्र में दो साल के उम्मीदवारों को कैसे समायोजित कर पाएगी.


 

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