AICTE ने शुक्रवार को कहा कि भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित, इंजीनियरिंग कोर्सेज़ में महत्वपूर्ण विषय बने रहेंगे और राज्य सरकार या संस्थानों के लिए इन कोर्सेज़ को ऑफर करना अनिवार्य नहीं है.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, AICTE के चेयरपर्सन अनिल सहस्रबुद्धे ने भी कहा कि बायोटेक्नोलॉजी, टेक्सटाइल या एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग जैसी स्ट्रीम में शामिल होने वाले छात्रों के पास 12वीं में इन विषयों की पढ़ाई नहीं करने का विकल्प होगा. इंजीनियरिंग कोर्सेज़ के लिए भौतिकी और गणित की अनिवार्यता नहीं रहने की खबर आने के तुरंत बाद ही सहस्रबुद्धे ने यह स्पष्टीकरण जारी किया.
उन्होंने कहा, "मैकेनिकल इंजीनियरिंग जैसे इंजीनियरिंग की कुछ स्ट्रीम के लिए भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित महत्वपूर्ण विषय बने रहेंगे, ऐसा नहीं है कि ये विषय अपनी प्रासंगिकता खो देंगे. हालांकि, टेक्सटाइल इंजीनियरिंग, एग्रिकल्चर या जैव प्रौद्योगिकी जैसी स्ट्रीम के लिए छात्रों के पास विकल्प होगा कि वे 12वीं में इन फिजिक्स, केमेस्ट्री, मैथ्स की पढ़ाई न करें और बाद में इनके ब्रिज कोर्सेज़ कर लें."
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में प्रस्तावित सुधारों के अनुसार, 14 विषयों की लिस्ट टेक्निकल रेगुलेटर ने दी है जिसमें भौतिकी, गणित, रसायन विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी, जीव विज्ञान, सूचना विज्ञान प्रथाओं, जैव प्रौद्योगिकी , तकनीकी व्यावसायिक विषय, इंजीनियरिंग ग्राफिक्स, बिजनेस स्टडीज़ और एन्त्रेप्रेन्योरशिप शामिल हैं. छात्रों को कक्षा 12 बोर्ड परीक्षा में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंकों के साथ, इनमें से किसी भी तीन विषयों में पास होना जरूरी है.
हालांकि, चेयरपर्सन ने दोहराया कि राज्यों या संस्थानों के लिए इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए PCM की अपनी वर्तमान अनिवार्य प्राथमिकता को बदलना जरूरी नहीं है. उन्होंने कहा, "विश्वविद्यालयों और राज्य सरकारों के पास अनिवार्य रूप से गणित, भौतिकी और रसायन विज्ञान के समान तीन विषय हो सकते हैं. यह पूरी तरह से एक ओपन ऑपर्चूनिटी है, लेकिन अनिवार्य नहीं है."
मातृभाषा में इंजीनियरिंग कोर्सेज़ की पेशकश करने पर, AICTE ने हाल ही में अपने सर्वेक्षण का हवाला दिया, जहां वर्तमान दूसरे, तीसरे और चौथे वर्ष के इंजीनियरिंग छात्रों में से 42 प्रतिशत ने कहा कि वे मातृभाषा में अपने कोर्स की पढ़ाई करना पसंद करेंगे. सहस्रबुद्धे ने कहा, "किसी को भी मजबूर नहीं किया जा रहा है. यह एक अवसर है और इसे लागू नहीं किया जा रहा है. यह गलतफहमी है कि हम सभी को अपनी मातृभाषा में इंजीनियरिंग करनी है. लेकिन उन लोगों के बारे में भी सोचें जो अपनी मातृभाषा में आगे बढ़ना चाहते थे."