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इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अब गीता पढ़कर मैंनेजमेंट के गुर सीखेंगे छात्र, शुरू हुआ कोर्स

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में कॉमर्स विभाग के एचओडी प्रो आर एस सिंह के मुताबिक भगवद गीता सबसे प्राचीन मैनेजमेंट शास्त्र है. जिसका ज्ञान होना बेहद जरूरी है. उनके मुताबिक पहली बार स्टूडेंट्स बड़े उद्योगपतियों के स्मार्ट मैनेजेरियल डिसीजंस और स्किल्स के बारे में भी पढ़ेंगे.

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मैनेजमेंट के लिए श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ाई जाएगी
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मैनेजमेंट के लिए श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ाई जाएगी

इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कॉमर्स डिपार्टमेंट में इस सत्र से शुरू किए गए बीबीए-एमबीए 5 वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स में स्टूडेंट्स अब भगवद गीता के मैनेजमेंट मंत्र को पढ़ेंगे. इसके साथ ही रामायण, उपनिषद और चाणक्य नीति की भी पढ़ाई करेंगे. यूनिवर्सिटी के एकेडमिक काउंसिल से मंजूरी मिलने के बाद अक्टूबर महीने से 26 छात्र छात्राओं के साथ कोर्स की शुरुआत कर दी गई है. 

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इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने न्यू एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के तहत कॉमर्स विभाग में फाइव इयर्स इंटीग्रेटेड बीबीए- एमबीए कोर्स लॉन्च किया है. इसमें इंडियन मैनेजमेंट थॉट एंड प्रैक्टिसेज सब्जेक्ट में भगवान श्री कृष्ण की भगवद गीता के साथ ही रामायण, उपनिषद और चाणक्य नीति पढ़ाई जाएगी. ताकि मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राएं प्राचीन भारत के मैनेजमेंट स्किल को भी जान सकें. कॉमर्स विभाग के एचओडी प्रो आर एस सिंह के मुताबिक भगवद गीता सबसे प्राचीन मैनेजमेंट शास्त्र है. जिसका ज्ञान होना बेहद जरूरी है. 

उनके मुताबिक पहली बार स्टूडेंट्स बड़े उद्योगपतियों के स्मार्ट मैनेजेरियल डिसीजंस और स्किल्स के बारे में भी पढ़ेंगे. इसमें उद्योगपति जेआरडी टाटा, अजीम प्रेमजी, धीरूभाई अंबानी, एन आर नारायण मूर्थी, सुनील मित्तल और बिरला जैसे औद्योगिक घरानों के बारे में उन्हें पढ़ाया जाएगा. इससे कॉर्पोरेट के मुताबिक मैनपॉवर तैयार हो सकेगा.

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वहीं इस नये कोर्स में छात्र-छात्राओं को अष्टांग योग की भी शिक्षा दी जाएगी. ताकि कठिन परिस्थितियों में वह मन को शांत रखकर कड़े फैसले ले सकें. कॉमर्स डिपार्टमेंट ने पिछले महीने 26 विद्यार्थियों से पढ़ाई भी शुरू कर दी है. इस कोर्स की खास बात यह है कि इसमें मल्टीपल एग्जिट और एंट्री पॉइंट रखे गए हैं. इस कोर्स की कोऑर्डिनेटर शेफाली नंदन के मुताबिक एक साल की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को एक ईयर का सर्टिफिकेट मिलेगा. दो साल की पढ़ाई पर डिप्लोमा सर्टिफिकेट और तीन साल की पढ़ाई पूरी करने पर बीबीए की डिग्री दी जाएगी. जबकि जबकि 5 साल की पढ़ाई पूरी करने पर उन्हें एमबीए की डिग्री मिलेगी. 

इस कोर्स में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्टार्टअप मैनेजमेंट को भी शामिल किया गया है. वहीं फाइव ईयर इंटीग्रेटेड कोर्स में प्रवेश लेने वाले छात्र छात्राएं भी बेहद उत्साहित है. उनका कहना है कि इस कोर्स के जरिए उन्हें जहां प्राचीन भारत के मैनेजमेंट स्किल के बारे में जानकारी मिलेगी वहीं उन्हें आधुनिक तकनीक और नए मैनेजमेंट के गुर सीखने का भी मौका मिलेगा. जिससे कॉरपोरेट इंडस्ट्री में वे सफल हो सकेंगे.

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