अरविंद केजरीवाल सरकार तिहाड़ जेल के इनमेट्स को जेल से बाहर होने के बाद समाज के साथ बेहतर तरीके से जुड़ने में मदद करने और उनके अपस्किलिंग के लिए उन्हें स्किल ट्रेनिंग देगी. दिल्ली सरकार के स्कूलों के शिक्षक पहले इन इनमेट्स के एजुकेशनल बैकग्राउंड और संभावित कौशल को समझने के लिए एक स्टडी करेंगे.
गुरुवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने डायरेक्टर जनरल प्रिजन संदीप गोयल, शिक्षा सचिव अशोक कुमार, शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता और प्रधान शिक्षा सलाहकार शैलेन्द्र शर्मा के साथ इस प्रोजेक्ट को लेकर बैठक की.
डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बताया कि वर्तमान में तिहाड़ जेल में करीब 20,000 इनमेट्स हैं जो अपनी सजा काट रहे हैं और जेल में ही किसी तरह के स्किल बेस्ड वर्कशॉप में शामिल हैं, जो अच्छी बात है. लेकिन हमें जेल के इनमेट्स की अपस्किलिंग करने और उन्हें शिक्षित करने की जरुरत है, उन्हें प्रशिक्षित करने की जरूरत है ताकि जब वे अपनी सजा पूरी करने के बाद जेल से बाहर आए तो दोबारा अपराधी गतिविधियों में संलिप्त होने के बजाय अपने स्किल ट्रेनिंग का इस्तेमाल एक बेहतर जीवन जीने के लिए कर सकें.
दिल्ली सरकार के मुताबिक यह प्रोजेक्ट इस बात को लेकर भी बहुत महत्वपूर्ण है कि वर्तमान के शिक्षा व्यवस्था में ऐसी क्या कमी है जिसके कारण समाज में अब भी आपराधिक गतिविधियां हो रही है.
आगे प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए सिसोदिया ने कहा कि हम अभी जेल में बंद इन लोगों के लिए क्या कर सकते है कि ये बाहर आकर एक सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें. हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था में ऐसे क्या बदलाव लाने चाहिए ताकि किसी को भविष्य जेल न जाना पड़े. उन्होंने कहा कि इस स्टडी में दौरान विभिन्न इनमेट्स से बात कर ये समझने का प्रयास किया जाएगा कि ऐसी कौन-सी चीजे थी जिसकें कारण आपराधिक गतिविधियों में उनकी संलिप्तता बढ़ी और कैसे उन्हें शिक्षा के माध्यम से दूर किया जा सकता है.
बता दें कि दिल्ली सरकार पहले से ही तिहाड़, मंडोली और रोहिणी जेल काम्प्लेक्स में एक एजुकेशनल प्रोग्राम चला रही है, जहां शिक्षा निदेशालय के टीचर्स साप्ताहिक रूप से कैदियों को पढ़ाने का काम कर रहे है.