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असम: सीनियर्स ने जूनियर छात्र को लगाए ड्रग्स के इंजेक्शन, प्रिंसिपल को व्हाट्सएप पर मिली रैगिंग की शिकायत

स्टूडेंट का आरोप है कि रैगिंग के नाम पर उसे ड्रग दिए गए हैं. प्रिंसिपल ने कहा कि हमने तुरंत एक मीटिंग बुलाई और एक सीनियर प्रोफेसर के साथ चार लोगों की कमेटी बना दी. वह कमेटी दो दिन के अंदर पूरी जांच करके अपनी रिपोर्ट सबमिट करेगी. जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद रैंगिग करने वाले छात्रों पर कार्यवाही की जाएगी. 

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Ragging case in Dhubri Medical College Assam (Photo: College Website)
Ragging case in Dhubri Medical College Assam (Photo: College Website)

असम के धुबरी मेडकिल कॉलेज में रैगिंग का मामला सामने आया है. धुबरी मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के पहले सेमेस्टर के छात्र ने रैगिंग के दौरान उसे ड्रग्स दिए जाने की शिकायत प्रधानाचार्य को व्हाट्सएप पर पत्र लिखकर की. इस शिकायत के बाद कॉलेज में हड़कंप मच गया. प्रधानाचार्य ने तुरंत एक बैठक बुलाकर मामले की जांच शुरू कर दी है. शिकायतकर्ता छात्र बिहार राज्य का निवासी है. 

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इस मामले पर प्रधानाचार्य ने कहा कि 'तीन बजे हमारे एक स्टूडेंट से हमें व्हाट्सएप पर एक कंप्लेंट मिली जिसमें छात्र को रात के वक्त कुछ स्टूडेंट द्वारा इंजेक्शन दिए जाने की बात कही गई. उक्त स्टूडेंट का आरोप है कि रैगिंग के नाम पर उसे ड्रग दिया गया है. हमने तुरंत एक मीटिंग बुलाई और एक सीनियर प्रोफेसर के साथ चार लोगों की कमेटी बना दी. वह कमेटी दो दिन के अंदर पूरी जांच करके अपनी रिपोर्ट सबमिट करेगी'. जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद रैंगिग करने वाले छात्रों पर कार्यवाही की जाएगी. 

रैगिंग को लेकर क्या बोलते हैं मनोवैज्ञानिक?

सर गंगाराम अस्पताल दिल्ली के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ राजीव मेहता कहते हैं कि रैगिंग के पीछे की मानसिकता एक अलग तरीके का दंभीय आत्मसंतोष देता है. खुद को सीनियर मानने वाले छात्र जूनियर के सामने खुद को सुपीरियर और श्रेष्ठ दिखाने की कोश‍िश करते हैं. उनके सीनियर ने रैगिंग की थी, इसलिए वो इसे कई तर्कों से उचित ठहराकर सीनियर से भी खराब तरीकों से रैगिंग करके उनसे एक कदम आगे निकलने की होड़ दिखाते हैं. 

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वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि रैगिंग को बढ़ावा देने वाले अन्य कारकों में छात्रावासों में शराब या नशे का सेवन गंभीर रैगिंग विरोधी उपायों को चैलेंज करने की मानसिकता भी साथ साथ चलती है. कई लोग बचपन से अनुशासन को भले ही सामने फॉलो करते हैं, लेकिन मन से उसके ख‍िलाफ जाकर मनमर्जी करने की लालसा रखते हैं. वहीं घरों में या आसपास के समाज में वो ऐसा माहौल देखते हैं जहां ताकतवर या बड़ा व्यक्त‍ि छोटे को सताने की प्रवृत्त‍ि रखता है. इसमें उन्हें दूसरे को सताकर खुशी की अनुभूति मिलती है. वो खुद को शासक और अपने जूनियर को शोषक की नजर से देखते हैं. इस मान‍सिकता को बचपन से ही बच्चों में हिंसा, जलन, श्रेष्ठताबोध में आकर गलत करने की आदतों को पहचानकर उन्हें सुधारना चाहिए. 

रिपोर्ट- अजय कुमार मोरे
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