सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे कैंडिडेट्स अवध ओझा को अपने आदर्श के रूप में देखते हैं, उनको फॉलो करते हैं और ना जाने कितने छात्र आज उनसे सीखकर नया सोचने का दावा करते हैं. अवध ओझा इंस्टा रील्स वर्ल्ड में एक सेलिब्रिटी टीचर बन गए हैं. शायद इसीलिए दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर कोचिंग हादसे में उनकी और विकास दिव्यकीर्ति की चुप्पी ने सभी को परेशान किया था. ट्रोलर्स ने अवध ओझा को बोझा तक कह दिया था. हादसा होने के बाद सोशल मीडिया पर अवध ओझा से कई सवाल पूछे जा रहे थे कि वे कहां हैं और राजेंद्र नगर हादसे पर बात क्यों नहीं कर रहे. लल्लनटॉप के दिए हुए इंटरव्यू में अवध ओझा ने अपनी चुप्पी तोड़ी और राजेंद्र नगर हादसे पर बात की.
सोशल मीडिया पर ट्रोल होने पर क्या बोले अवध ओझा?
अवध ओझा ने कहा कि 'मैं छात्रों के बीच में ही था. दरअसल क्या होता है कि उत्तेजना और युवा, दोनों का मिलन काफी खराब होता है. मैं दिल्ली में ही था. मुझे ये लग रहा था कि जो मूल समस्या है उसमें उत्तेजना से कुछ नहीं होने वाला है. सूरत में घटना हुई, इतने लड़के जलकर मरे. अभी राजकोट में घटना घटी, लड़के जलकर मरे. ऐसी ना जाने कितनी घटना घटीं. मेरा कहना यह है कि समस्या का जो मूल है कि सरकार एक कानून बनाए. मैं अपने विद्यार्थियों से हाथ जोड़कर कह रहा हूं कि मैं आपके साथ हूं, आप चलिए मेरे साथ, मैं मांग करता हूं कि कानून बनाया जाए. अगर संस्था सुरक्षा अनुपालन में नहीं है तो मालिक और एनओसी देने वाली अधिकारी को आजीवन करावास होना ही चाहिए. जब तक कठोर दंड का विधान नहीं होगा तब तक यह घटनाएं घटती रहेंगी'.
अवध ओझा को बोझा है पर क्या बोले शिक्षाविद?
सोशल मीडिया पर वायरल अवध ओझा के नीरे अवध ओझा तो बोझा है' पर अवध ओझा ने कहा कि यह बच्चों का प्रेम है कोई बात नहीं. इसपर मुझे बुरा क्यों लगेगा. अभी एक वीडियो आई थी जिसमें डॉक्टर एक बच्चे को इंजेक्शन लगा रहा था. वो बच्चा डॉक्टर को गाली दे रहा था. अब डॉक्टर को बुरा लगेगा? अगर डॉक्टर को बुरा लग गया को वो डॉक्टर किस बात का है.
ट्रोलिंग से परेशान हुए अवध ओझा के माता-पिता
अवध ओझा ने आगे कहा कि मेरे सामने मेरे कलीग संजू वर्मा सर की बेसमेंट में दम घुटने से मौत हुई थी. उस वक्त मैं करोलबाग में क्लास ले रहा था. उस वक्त किसी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया. अगर सरकार चाहे कि ऐसी घटनाएं नहीं घटें तो इसका एक विधान बनाना ही पड़ेगा. चार दिन गायब रहने पर अवध ओझा ने कहा कि कहां कोई सवाल पूछ रहा था, सब गाली दे रहे थे, उनको क्या पता कि क्या परिस्थिति है. मेरे पिता की उम्र 90 वर्ष है. उस दिन वे इतने ज्यादा आहत हुए हैं, उनको लगा कि ये मैंने किया है.
जिस तरह से माहौल बना. मेरी मां को लोगों ने बोला कि आपके बेटे की कोचिंग में लड़के मर गए, उसपर क्रिमिनल ऑफेंस लगा है, लेकिन किसी ने यह तो नहीं कहा कि किसी और कोचिंग में मरे हैं. ये जो लोगों ने किया कि अवध ओझा कहां थे. मेरे बुजुर्ग मां-बाप को समाज कह रहा कि तुम्हारे लड़के ने किया. मैं इस स्थिति में अपने मां-बाप को देखता या ये सब देखता.
स्टूडेंट्स को दी जागरुक होने की सलाह
लॉ ऑर्डर भी कोई चीज होती है. एक सेंस स्टूडेंट में भी होना चाहिए कि जहां आप जा रहे हैं, अगर वहां सेफ्टी नहीं है तो आप उसका तुरंत विरोध करें. सेफ्टी कॉम्पलाएंस अगर कोचिंग नहीं रखती है तो छात्रों को इसको लेकर लिखित में शिकायत करनी चाहिए.