Topper's Success Story: यूपी के बांदा में कपड़ो की फेरी लगाने वाले की बेटी ने 12वीं में प्रदेश में छठवां स्थान हासिल किया है. इससे पूरे परिवार की खुशियां देखते ही बनती है, स्कूल के टीचर्स ने बेटी का मुंह मीठा कराकर खुशियां बांटीं. इंटरमीडिएट में बांदा के सरस्वती बालिका विद्या मंदिर की स्टूडेंट अनुराधा गुप्ता ने 96% अंक हासिल कर पूरे प्रदेश में छठवां स्थान हासिल कर स्कूल सहित जिले का नाम रोशन किया है.
सरकार के कारण हमारी बेटी बाहर निकल रही थी
अब बेटी का सपना है कि वो आईएएस बन देश के उन गरीबों की मददगार बने जिनके पास पढ़ाई और खाने के लिए पैसा नहीं है. वो ऐसे व्यक्तियों की अफसर बनकर सेवा करना चाहती है. इसकी वजह यह है कि उसने गरीबी में पढ़ाई करके इस मुकाम को हासिल किया है. वहीं पिता का कहना है कि सरकार के कारण हमारी बेटी बाहर निकल रही थी, रोजाना स्कूल जाकर पढ़ाई करती थी और आज उसने परिवार का मान बढ़ाया है, मैं उसके आगे आने वाले समय मे भी अपना 100% दूंगा.
संघर्ष से भरा है जीवन
अनुराधा के पिता कपड़े की फेरी लगाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. उनके एक बेटी दो बेटे हैं. बेटी अनुराधा इंटरमीडिएट की छात्रा है जिसने अपनी अथाह मेहनत कर इंटरमीडिएट में 96.4% अंक लाकर पूरे प्रदेश में छठवां स्थान हासिल किया है. उसके 500 में 482 अंक हैं. पिता रामचन्द्र का कहना है कि इस सरकार के कारण बेटी बाहर निकल पा रही थी, रोजाना स्कूल जा पा रही थी, जिस कारण बेटी इतने नम्बर हासिल कर पाई थी. बेटी का जो सपना है उसे पूरा करने के लिए मैं पूरी कोशिश करूंगा. उन्होंने बताया कि बेटी ने कभी कोचिंग नही जॉइन किया क्योंकि मैं इतना पैसा वाला भी नही था, लेकिन मैं उसकी शिक्षा के लिए हर ख्वाहिश पूरी करता था.
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IAS बनना है लक्ष्य
वहीं छात्रा अनुराधा गुप्ता ने बताया कि मैं इसका श्रेय अपने मम्मी पापा और टीचर्स को देती हूं, जिन्होंने मुझे पढ़ाया लिखाया. आज मैं प्रदेश में छठी रैंक लाकर खुश हूं. अब मेरा सपना आईएएस बनना है, ताकि आगे मैं देश में जरूरतमंदों की सेवा कर सकूं. मैं स्टूडेंट्स को यही भी बताना चाहती हूं कि ज्यादा से ज्यादा कंटेंट पढ़े, जिससे आगे परीक्षा में कठिनाई नही होगी. मैंने बगैर कोचिंग के ज्यादा से ज्यादा कंटेंट पढ़कर परीक्षा पास की है. मैं टारगेट को देखकर 8 से 10 घंटे पढ़ाई करती थी. अब मैं इस देश के लिए कुछ करना चाहती हूं. मैं देश के भ्रष्टाचार को दूर करना चाहती हूं. गरीब बच्चे जिनके पास कपड़े नही है, पढ़ने के लिए पैसा नही है, उनके लिए कुछ करना चाहती हूं.
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