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बांग्लादेश की 8% हिंदू आबादी के सबसे प्रमुख चेहरे, ISKCON के प्रवक्ता और मुख्य पुजारी... जानिए कौन हैं चिन्मय प्रभु

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय की संख्या, कुल जनसंख्या का लगभग 8 प्रतिशत है. यह समुदाय लंबे समय से धार्मिक भेदभाव और हिंसा का शिकार हो रहा है. हिंदू समुदाय के सदस्य कथित तौर पर लक्षित हत्याओं और हमलों का सामना कर रहे हैं. कई बार इन हमलों में मंदिरों को भी नुकसान पहुंचाया गया है. इसके विरोध में चिन्मय प्रभु लड़ाई लड़ रहे थे, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है.

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Bangladesh Hindu Monk Chinmay Prabhu
Bangladesh Hindu Monk Chinmay Prabhu

बांगलादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों को लेकर बढ़ते तनाव के बीच, सोमवार को हिंदू समुदाय के एक प्रमुख पुजारी और धार्मिक अल्पसंख्यक नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को गिरफ्तार कर लिया गया. इस्कॉन मंदिर की तरफ के बताया गया कि चिन्मय प्रभु को कथित तौर पर ढाका खुफिया पुलिस के अधिकारियों ने ढाका हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया. दरअसल, शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ वह लगातार आवाज उठा रहे थे. ऐसे में आइए जानते हैं वह कौन हैं.

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हिंदू धर्म के संरक्षक के रूप में जाने जाते हैं चिन्मय प्रभु

चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी बांग्लादेश सनातन जागरण मंच के प्रमुख नेता और इस्कॉन चटगांव के पुंडरीक धाम के अध्यक्ष हैं. उनको लोग चिन्मय प्रभु नाम से भी जानते हैं. वह बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ़ सशक्त आवाज़ उठाते रहे हैं. बांग्लादेश में इस्कॉन के 77 से अधिक मंदिर हैं, और लगभग 50,000 से ज्यादा लोग इस संगठन से जुड़े हुए हैं. वह बांग्लादेश समिलित सनातन जागरण जोते समूह के सदस्य भी हैं. उनका का संबंध अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना समाज (ISKCON) से भी है और वह ISKCON के प्रवक्ता भी रह चुके हैं.  

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय की संख्या कुल जनसंख्या का लगभग 8% है. यह समुदाय लंबे समय से धार्मिक भेदभाव और हिंसा का शिकार हो रहा है. हिंदू समुदाय के सदस्य कथित तौर पर लक्षित हत्याओं और हमलों का सामना कर रहे हैं. कई बार इन हमलों में मंदिरों को भी नुकसान पहुंचाया गया है. इसी के विरोध में चिन्मय प्रभु लड़ाई लड़ रहे हैं. चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी ने हमेशा हिंदू धर्म के संरक्षक के रूप में अपनी भूमिका निभाई है और बांग्लादेश के मंदिरों की सुरक्षा को लेकर चिंता भी जताई है.

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बांग्लादेश में मंदिरों की सुरक्षा को लेकर जताई थी चिंता

चिन्मय प्रभु विशेष रूप से चटगांव के तीन मंदिरों को खतरे में महसूस कर रहे थे, जिनकी सुरक्षा के लिए मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग हिंदू समुदाय के साथ मिलकर काम कर रहे थे. आजतक से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, ''चटगांव में तीन मंदिर खतरे में हैं, लेकिन हिंदू समुदाय ने मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों के साथ मिलकर अब तक उन्हें बचाया है.' उन्होंने दावा किया था कि हिंदू समुदाय चटगांव में पुलिस और रैपिड एक्शन बटालियन से मदद के लिए अनुरोध कर रहा है लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिल रहा. चिन्मय प्रभु ने कहा था, 'कई हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के रास्ते भारत भाग रहे हैं.'

गिरफ्तारी के बाद भड़की हिंसी

बांग्लादेश के चटगांव इस्कॉन पुंडरीक धाम के अध्यक्ष चिन्मय कृष्णन दास की गिरफ्तारी के बाद हालात बिगड़ते जा रहे हैं. चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के विरोध में हिंदू समाज के लोग सड़कों पर उतर आए, इस दौरान उन पर BNP और जमात के कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया. इस हमले में 50 हिंदू घायल हो गए. वहीं देर रात हजारों हिंदूओं ने जय सिया राम और हर हर महादेव के जयनारे के साथ मौलवी बाजार में मशाल रैली निकाली.

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चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ़्तारी के बाद बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने हर जिले में शांतिपूर्ण सभाएं आयोजित कीं. हालांकि इन शांतिपूर्ण सभाओं पर चरमपंथी समूहों द्वारा क्रूर हमले किए गए. इस्लामिक समूहों ने चटगांव में हिंदू समुदाय के सदस्यों पर हमला किया. ढाका के शाहबाग में एक शांतिपूर्ण सभा के दौरान हिंदू समुदाय के लोगों और चटगांव विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कुशाल बरन पर हमला किया गया, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए. चरमपंथी समूहों द्वारा किए गए हमले में कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. 

राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने पर किया गया गिरफ्तार

बांग्लादेश की स्थानीय मीडिया ने बताया कि चिन्मय प्रभु को एक रैली में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. मीडिया के अनुसार, उन्होंने यह रैली अक्टूबर में संबोधित की थीृ. अपनी रैलियों में चिन्मय प्रभु ने हिंदुओं से एकजुट होने की अपील की और हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ निरंतर विरोध जताया था. साथ ही, उन्होंने अल्पसंख्यकों को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.

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