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BHU की PhD छात्राओं का VC आवास पर विरोध प्रदर्शन, मेस में खाने की खराब क्वालिटी और भेदभाव का आरोप

BHU की छात्राएं पिछले कई महीनों से मेस में घटिया क्वालिटी के खाने और साफ सफाई के अलावा अन्य समस्याओं की शिकायत कर रहीं थीं लेकिन सुनवाई ना होने के चलते रात में हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं ने कुलपति आवास का घेराव करके जमकर नारेबाजी की. कड़ाके की ठंड के बावजूद छात्राएं अपनी मांगों को लेकर कुलपति आवास के बाहर सड़क पर बैठी रहीं.

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BHU PhD students protest
BHU PhD students protest

मेस के खाने की शिकायतें कोई नई बात नहीं हैं. हॉस्टल में जिंदगी गुजारने वाले लोग इस परेशानी को अच्छी तरह समझ सकते हैं लेकिन वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में ये मामला विरोध प्रदर्शन तक पहुंच गया. बीएचयू की न्यू पीएचडी गर्ल्स हॉस्टल की छात्राओं ने सोमवार रात को कुलपति आवास का घेराव करके जमकर नारेबाजी की.

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छात्राएं पिछले कई महीनों से मेस में घटिया क्वालिटी के खाने और साफ सफाई के अलावा अन्य समस्याओं की शिकायत कर रहीं थीं लेकिन सुनवाई ना होने के चलते रात में हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं ने कुलपति आवास का घेराव करके जमकर नारेबाजी की. कड़ाके की ठंड के बावजूद छात्राएं अपनी मांगों को लेकर कुलपति आवास के बाहर सड़क पर बैठी रहीं और उस खाने की प्लेट को भी दिखाया जिसमें परोसा गया खाना घटिया क्वालिटी का बताया जा रहा है.

बीएचयू के न्यू पीएचडी गर्ल हॉस्टल की छात्राओं की नाराजगी न केवल उनके होस्टल के मैस में खराब क्वालिटी के खाने को लेकर थी, बल्कि हॉस्टल में साफ-सफाई और उनके साथ अनुचित व्यवहार को लेकर भी थी. कुलपति के नाम लिखे गए प्रार्थना पत्र के अनुसार, हम 'न्यू पी० एच० डी० गर्ल हॉस्टल' की छात्राएं हैं. हम सबको इस हॉस्टल में अत्यधिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. जब हम सब अपनी समस्याएं लिखित व मौखिक रूप में लेकर जाते हैं तो हम सबपर चिल्लाकर, हॉस्टल से निकालने की धमकी दी जाती है और बेइज्जत कर आवाज को शान्त किया जाता है. इन समस्याओं से हम सभी पिछले वर्ष से जूझ रहे हैं. अब तक कोई उचित कारवाई नहीं होने के कारण अब हम सबकी उम्मीदें आपसे हैं, अपनी समस्याओं को हमने निम्न बिन्दुओं में प्रकट किया है-

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  • इस हॉस्टल में रहते हुए हमें कई महीने हो चुके हैं, लेकिन अभी भी हमें wifi की सुविधा नहीं मिली, जबकि इस होस्टल की फीस करीबन 20000 रुपये सलाना हमसे ले हैं जो बाकी होस्टल से कई गुना ज्यादा हैं.
  • सफाई की उचित व्यवस्था का ना होना.
  • एक ही मेस का उपलब्ध होना जिसमें करीबन 200-250 लड़कियां आती हैं, जिसके कारण हमें लम्बी कतारों व अधिक समय तक इन्तजार करना पड़ता है.
  • मेस में जो भोजन हमें मिल रहा है, उसका निम्न स्तर का होना.
  • मेस में उपलब्ध दूध का सिन्थेटिक होना. 
  • भोजन में कृत्रिम कलर का प्रयोग करना.
  • एक ही जैसा भोजन लगातार देना.
  • खाने में आरारोट, कोर्न स्टार्च का प्रयोग कर ग्रेवी बनाना.
  • ग्रेवी, दही, दाह आदि में टार्टरिक अम्ल का प्रयोग करना.
  • मेस से जुड़े कर्मचारी का हमें अजीब निगाहों से देखना और हंसना, जो हमारे लिए स्वस्थ्य वातावरण नहीं प्रदान करते.
  • खाना परोसते वक्त उनका व्यवहार लड़कियों के साथ बहुत खराब होना.
  • लड़कों के हॉस्टल में प्रति डाईट (diet) व्यवस्था लागू है पर हमसे यहां एडवान्स पेमेन्ट मांगा जाना, जो कि इतने बड़े विश्वविद्यालय में लड़के-लड़कियों में भेद की स्थिति को बढ़ाता है, नियम का समान न होना.
  • सबसे जरूरी, वोर्डन मेस कर्मचारियों द्वारा प्राप्त धमकी से हमारा मानसिक उत्पीड़न हो रहा, जिससे हम सब पढ़ाई नहीं कर पा रहे और मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं. 
  • काफी देर तक खड़ा रहने के बावजूद हमें मैस में नाश्ता व भोजन देने से मना कर दिया जाना.

 

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