काशी हिंदू विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में एक नया विवाद खड़ा हो गया है. यहां आयोजित एक वेबीनार कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र से BHU के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय की तस्वीर हटाकर पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि अल्लामा इकबाल की तस्वीर लगने से बखेड़ा खड़ा हो गया है. जब इस मामले की शिकायत करने छात्र आर्ट्स फैकल्टी के डीन के दफ्तर पहुंचे तो आनन-फानन में बैकफुट पर आते हुए उर्दू विभाग ने अल्लामा इकबाल की तस्वीर हटा कर पंडित मदन मोहन मालवीय की तस्वीर लगा दी और अपने ट्विटर हैंडल से आर्ट फैकेल्टी ने माफी भी मांगी.
हालांकि इस पूरे मामले की जांच के लिए आर्ट्स फैकल्टी के डीन की ओर से एक कमेटी भी बना दी गई है और उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष को उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के लिए भी कहा गया है. फिलहाल वेबिनार का पोस्टर बदल कर पंडित मालवीय की तस्वीर लगा दी गई है और सोशल मीडिया पर इसके लिए माफी मांग ली गई है.
Urdu Department, Faculty of Arts, #BHU, is organizing a webinar as per the details given in the poster. Sincerest apologies for the inadvertent mistake in the earlier poster that went viral on social media.@bhupro @VCofficeBHU pic.twitter.com/loGvXe99IU
— Dean_Arts_BHU (@ArtsBhu) November 8, 2021
वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आर्ट्स फैकेल्टी के अंतर्गत आने वाले उर्दू विभाग की ओर से उर्दू भाषा पर एक वेबीनार का आयोजन किया जाना था. सामान्य सा होने वाला यह वेबीनार उस समय विवादों में घिर गया जब दर्जनों की संख्या में छात्र आर्ट्स फैकल्टी के डीन ऑफिस में इस आपत्ति के साथ पहुंचे कि जारी किए गए आमंत्रण पत्र में BHU के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय की तस्वीर की जगह पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि अल्लामा इकबाल की तस्वीर लगाई गई है.
उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आफताब अहमद को पेश होने और अपना पक्ष रखने का फरमान सुनाया गया है. डीन ऑफिस में शिकायत करने पहुंचे छात्र पतंजलि ने कहा कि विश्वविद्यालय का कोई भी छात्र कभी मालवीय जी के सम्मान के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकता है. परंपरा के विपरीत उर्दू विभाग ने मालवीय जी की तस्वीर को अपने पोस्टर में स्थान नहीं दिया और उनकी जगह पाकिस्तान के सैद्धान्तिक निर्माता अल्लामा इकबाल को स्थान दिया. इसके अलावा इस कार्यक्रम की सूचना न तो विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर दी गई और डीन को भी इस वेबीनार के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. लिहाजा पब्लिक फोरम से इस कार्यक्रम को दूर रखा गया.
छात्र पतंजलि ने यह भी आरोप लगाया कि जैसे ही वेबिनार में लॉगिन किया तो उसमें आपत्तिजनक बातें चल रही थी और शिक्षा की आड़ में धार्मिक एजेंडा को साधने की कोशिश की जा रही थी. छात्र ने कहा कि अगर डीन के स्तर से 2-3 दिन में कार्यवाही नहीं हुई तो छात्र इस पूरे मामले को लेकर आंदोलन करेंगे.
वहीं एक अन्य शोध छात्र गुंजेश गौतम ने बताया कि 9 नवंबर के दिन विश्व उर्दू दिवस के अवसर पर आर्ट्स फैकेल्टी के उर्दू विभाग की ओर से एक कार्यक्रम रखा गया था. सोशल मीडिया से छात्रों को यह जानकरी प्राप्त हुई. इसमें घोर आपत्तिजनक बात यह थी कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के परम पूज्य संस्थापक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की तस्वीर को पोस्टर से हटाया गया और इसे अपनी भूल बताया गया. दूसरी बात इन लोगों ने कार्यक्रम के बारे में विश्वविद्यालय के अधिकारी को सूचना नहीं दी और इन जिन वक्ताओं को बुलाया उन्होंने वेबिनार में आपत्तिजनक बातें कही. इसी पर कार्रवाई के लिए आर्ट फैकल्टी के डीन से कहा गया कि कार्यवाई नहीं होगी तो छात्र आंदोलन को मजबूर होंगे.