NEET पेपर लीक मामले में बड़ा खुलासा सामने आया है. कथित गड़बड़ी की जांच के लिए गठित एजेंसी की विशेष जांच टीम (SIT) ने अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार हुए आरोपियों ने पुलिस के सामने नीट पेपर लीक के लिए पैसे के लेन-देन और 'सेफ-हाफस' की बात कबूल की है. दूसरी ओर बिहार आर्थिक अपराध इकाई (EOU) के सामने भी सनसनीखेज इकबालिया बयानों से इस साल मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में बड़ी चूक का संकेत मिला है.
संदिग्धों ने अपने इकबालिया बयानों में कहा कि उम्मीदवारों ने नीट पेपर लीक के बदले में 30 लाख रुपये से अधिक की भारी कीमत दी थी. शनिवार को, EOU एजेंसी ने नौ उम्मीदवारों को नोटिस जारी कर उन्हें 'सॉल्वर गैंग' से उनके जुड़ाव के बारे में पूछताछ के लिए सबूतों के साथ पटना कार्यालय में आने को कहा. सभी उम्मीदवार बिहार के अलग-अलग जिलों से हैं और उन्हें सोमवार और मंगलवार को आने को कहा गया है. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने अभी तक ताजा घटनाक्रम पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
यह तब हुआ जब केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि किसी भी परीक्षा के आयोजन में किसी भी तरह की गड़बड़ी या अनियमितता की कोई गुंजाइश नहीं है. उन्होंने कहा, "हर पहलू पर गौर किया जा रहा है. जवाबदेही तय की जाएगी और चूक की प्रकृति के आधार पर कार्रवाई की जाएगी. हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. अगर कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो एनटीए की जवाबदेही भी तय की जाएगी."
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'सॉल्वर गैंग' से जुड़े गठजोड़ की जांच करते हुए ईओयू ने 13 उम्मीदवारों के रोल नंबर पाए थे और उनमें से चार को पहले ही गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद ईओयू ने परीक्षण एजेंसी एनटीए से नौ उम्मीदवारों की जानकारी संदर्भ प्रश्नपत्र के साथ मांगी. EOU के डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने कहा कि एनटीए ने उम्मीदवारों के एडमिट कार्ड भेजे थे, जिसके जरिए एजेंसी को उनके संपर्क विवरण मिले और उसके बाद नोटिस भेजे गए. छात्रों से यह भी पूछा जाएगा कि क्या उन्हें परीक्षा से पहले सॉल्वर गैंग द्वारा प्रश्न याद कराए गए थे या नहीं.
NEET Paper Leak मामले में सनसनीखेज कबूलनामे
30-30 लाख रुपये से अधिक में बिका नीट का पेपर
कथित गड़बड़ी की जांच के लिए गठित एजेंसी की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया है. इंडिया टुडे ने पुलिस के पास से गिरफ्तार आरोपियों के कबूलनामे को एक्सक्लूसिव तौर पर एक्सेस किया है, जिसमें प्रश्नपत्रों के लिए पैसे के लेन-देन का संकेत मिलता है. बयानों में दावा किया गया है कि मेडिकल उम्मीदवारों ने प्रश्नपत्रों के लिए 'दलालों' को 30-30 लाख रुपये से अधिक का लेन-देन हुआ है.
पटना में जूनियर इंजीनियर के ऑफिस में रची गई थी पेपर लीक की साजिश
पूछताछ के दौरान, राज्य सरकार के 56 वर्षीय जूनियर इंजीनियर सिकंदर कुमार यादवेंदु ने अपनी भूमिका कबूल की. जिला पुलिस द्वारा दर्ज किए गए अपने इकबालिया बयान में, सिकंदर ने अपनी संलिप्तता स्वीकार की और कहा कि वह नीतीश और अमित आनंद (जो एक शैक्षिक परामर्श फर्म चलाते थे) से पटना में अपने सरकारी कार्यालय में मिले थे, जहां वे एक साथ मिलकर काम करने के लिए सहमत हुए थे. सिकंदर ने अपने इकबालिया बयान में इस बात को स्वीकार किया कि वह कुछ NEET उम्मीदवारों के परिवारों के संपर्क में था, जिसके बाद पैसे के लेन-देन की सौदेबाजी हुई.
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परीक्षा से एक दिन पहले ही लीक हुआ गया था नीट का पेपर
सिकंदर ने बताया कि अमित और नीतीश ने 4 मई, 2024 को प्रश्नपत्र हासिल किया और उम्मीदवारों को राज्य की राजधानी के रामकृष्ण नगर इलाके में एक 'सेफ हाउस' में इकट्ठा किया. सिकंदर को अखिलेश और बिट्टू के साथ शास्त्रीनगर पुलिस ने बेली रोड पर राजवंशी नगर मोड़ पर नियमित जांच के दौरान गिरफ्तार किया था, जब वहां कई नीट एडमिट कार्ड देखे गए थे. अमित और नीतीश ने भी शास्त्रीनगर पुलिस को सौंपे गए अपने-अपने इकबालिया बयानों में प्रश्नपत्र लीक में अपनी संलिप्तता स्वीकार की है. दोनों ने अपने-अपने इकबालिया बयानों में स्वीकार किया कि उन्होंने प्रत्येक उम्मीदवार से 30 लाख से 32 लाख रुपये लिए थे.
कौन हैं बिहार के 'नटवरलाल' अमित और नीतीश?
शुरुआती जांच के अनुसार, नीट पेपर लीक में आरोपी नीतीश कुमार वही है जो इससे पहले बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा (BPSC TRE 3.O) पेपर लीक के मामले में जेल भेजा गया था. EOW को संदेह है कि बिहार के नालंदा के संजीव सिंह के नेतृत्व वाला वही समूह भी इसमें शामिल है. गिरफ्तार आरोपियों में से एक अमित आनंद पटना में एक अपंजीकृत शैक्षणिक परामर्श फर्म चलाता था.
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कैसे काम कर रहा था पेपर लीक नेक्सस?
पेपर लीक के आरोपी एजुकेशनल कंसल्टेंसीज और कोचिंग ग्रुप के जरिये से छात्रों से संपर्क करते थे. गिरफ्तार आरोपियों में से एक अमित आनंद पटना में एक अपंजीकृत एजुकेशनल कंसल्टेंसी चलाता था. इसके बाद एजेंसियों के कर्मचारियों से सांठगांठ करना और फिर प्रिंटिंग फर्म से परीक्षा केंद्र तक की कस्टडी चेन को तोड़ना इनके काम करने का तरीका है. क्वेश्चन पेपर मिलने के बाद, छात्रों को सुरक्षित घरों यानी सेफ हाउस में इकट्ठा किया और उनसे उत्तर रटवाए. फिर वही ग्रुप इंफॉर्मेशन लीक होने से बचाने के लिए उम्मीदवारों को परीक्षा केंद्रों पर छोड़ देता था.
अगर सूत्रों की मानें तो SIT मामले की शुरुआत से ही निगरानी कर रही थी, लेकिन राज्य सरकार के एक जूनियर इंजीनियर और बीपीएससी टीआरई 3.0 प्रश्नपत्र लीक मामले में आरोपी एक व्यक्ति सहित 13 महत्वपूर्ण गिरफ्तारियों के बाद ही टीम गठित करने का फैसला किया.