बिहार में 1 लाख 70 हजार से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति का मामला फिर से कानूनी पचड़े में फंसता हुआ नजर आ रहा है. बिहार सरकार ने शिक्षक नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की थी, उसे वापस ले लिया है.
सुप्रीम कोर्ट की आज की प्रोसिडिंग के बाद एक लाख से ज्यादा शिक्षकों की उम्मीद को एक और झटका लगा है. बता दें कि बिहार राज्य ने बीते माह सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें मांग की गई थी कि वो अपने एक आदेश को और स्पष्ट कर दें ताकि बिहार में प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति की लगभग पूरी हो चुकी प्रक्रिया पर निर्णय लिया जा सके.
क्या है ये मामला?
यह मामला बीएड पास शिक्षक अभ्यर्थियों से जुड़ा है. बिहार लोक सेवा आयोग यानि बीपीएससी ने करीब एक माह पहले ये तय किया था कि बीएड पास प्राइमरी (पहली से पांचवीं) टीचर नहीं बन पाएंगे. उसके बाद शिक्षक भर्ती में शामिल 3 लाख 90 हजार बीएड पास कैंडिडेट्स के रिजल्ट पर रोक लगा दी गई थी. इसके बाद बीपीएससी ने ये तय किया कि सिर्फ डीएलएड पास उम्मीदवारों का ही रिजल्ट जारी किया जाएगा. साथ ही बीपीएससी ने ये स्पष्ट किया कि यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण लिया है.
सुप्रीम कोर्ट के एक फैसला बना वजह
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राजस्थान में शिक्षक बहाली के मामले में प्राइमरी टीचर के लिए बीएड डिग्री की योग्यता और अर्हता समाप्त कर दी थी. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि उसके फैसले के बाद बीएड डिग्री धारी छात्र प्राइमरी शिक्षक के लिए योग्य नहीं होंगे. अब सिर्फ बीटीसी या डीएलएड डिग्री वाले छात्र ही कक्षा पांचवीं तक पढ़ाने के लिए पात्र माने जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट का फैसला तब आया था जब बिहार में शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया चल रही थी. इस बीच ये मामला पटना हाईकोर्ट में भी पहुंचा. पटना हाईकोर्ट में बिहार राज्य ने दलील दी थी कि बीएड वालों को प्राइमरी टीचर नहीं बनाने का सुप्रीम कोर्ट बिहार के संबंध में नहीं है.
उठा यह सवाल
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ये क्लीयर नहीं हो रहा है कि बिहार में ये आदेश लागू होगा या नहीं. पटना हाईकोर्ट ने 22 सितंबर को बिहार सरकार की दलील खारिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिहार में भी लागू होगा. यानि बिहार की शिक्षक नियुक्ति में बीएड पास अभ्यर्थी प्राइमरी टीचर नहीं बन सकेंगे. पटना हाईकोर्ट के इसी फैसले को आधार बना कर बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी. बिहार राज्य ने मांग की थी कि राज्य में बीएड पास अभ्यर्थियों को प्राइमरी टीचर के पद पर नियुक्ति करने की इजाजत दी जाए.