Bihar Board 10th Topper Sachin Kumar Ram Success Story: बिहार बोर्ड 10वीं क्लास में दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले सचिन कुमार राम के संघर्ष और सफलता की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है. मां बीड़ी बनाने का काम करती है और पिता एक रेस्टोरेंट में वेटर हैं. सचिन खुद भी अपनी ही उम्र के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर खुद की पढ़ाई का खर्च निकाले हैं. मुश्किल से घर का खर्च चलता है, लेकिन गरीबी, आर्थिक तंगी और कष्टों में पले-बढ़े सचिन ने इन्हीं से मोटिवेट कर अपने परिवार का मान बढ़ाया है. उनका कहना है कि मुझे इसी कष्ट से मोटिवेशन मिला और मैट्रिक परीक्षा में टॉप कर पूरे बिहार में दूसरा स्थान हासिल किया.
1 नंबर से पहले स्थान से चूके
जमुई जिले के चकाई प्रखंड क्षेत्र के सिमरिया गांव स्थित उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय के छात्र सचिन कुमार ने बिहार बोर्ड 10वीं परीक्षा में 500 में से 488 नंबर यानी 97.60% प्राप्त किए हैं. उन्हें 25 मार्च को टॉपर्स वेरिफिकेशन के लिए पटना बुलाया गया था. सचिन बताते हैं कि वह जल्दबाजी में साइंस का एक सवाल ठीक से नहीं पढ़ पाया और एक नंबर से पहला स्थान प्राप्त करने से चूक गया. सचिन ने बिहार बोर्ड 10वीं की परीक्षा में हिंदी में 99, अंग्रेजी में 96, गणित में 100, विज्ञान में 98 और सामाजिक विज्ञान में 95 नंबर हासिल किए हैं. यहां बता दें कि बिहार बोर्ड 10वीं के तीन टॉपर्स ने 489 अंक हासिल किए हैं.
मजदूरी करते हैं माता-पिता
सचिन के पिता भूदेव राम झारखंड के रांची जिले में स्थित एक रेस्टोरेंट में वेटर का काम करते हैं, जबकि मां गुड़िया देवी बीड़ी बनाने का काम करती हैं. सचिन की मां गुड़िया देवी ने बताया कि बेटे ने टॉप किया है बहुत अच्छा लग रहा है. वह पढ़ाई करता था, मेहनत ज्यादा करता था जिसकी वजह से बेटे ने मैट्रिक परीक्षा में टॉप किया है.
अपनी उम्र के छात्रों को ट्यूशन पढ़ाकर निकाला पढ़ाई का खर्च
सचिन की मेहनत और परिश्रम की जितनी तारीफ की जाए कम ही होगी. 10वीं क्लास के छात्र की उम्र होती ही कितनी है. इस छोटी उम्र में सचिन रोजाना 5 से 6 घंटे ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्च निकलता है. सचिन ने बताया कि वह रोजाना सुबह तीन बजे उठता है, 4 बजे से 7 बजे तक 8वीं और 10वीं क्लास के छात्रों को ट्यूशन पढ़ाने निकल जाता है. घर आते ही स्कूल चला जाता है और फिर दोपहर 3 बजे घर आकर खाना खाने के बाद ट्यूशन पढ़ाने निकला जाता है और रात को घर आकर अपनी परीक्षाओं की पढ़ाई करता है. सचिन ने बताया कि इससे वह हर महीने पांच से छह हजार रुपये कमा लेता है जिससे पढ़ाई का खर्च निकलता है.
यह भी पढ़ें: 'खेतों में काम करते हुए भी पढ़ाई करता था बेटा', भावुक कर देगी बिहार बोर्ड 10वीं टॉपर रंजन की कहानी
कष्टों को बना लिया मोटिवेशन
जब सचिन से पूछा गया कि कितना कष्ट होता था क्योंकि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, पिता मजदूरी करते हैं और घर की स्थिति इतनी मजबूत नहीं है? तब सचिन ने कहा, 'कष्ट होता है, लेकिन मैंने इसी कष्ट से अपने माता-पिता, बहनों और परिवार का नाम ऊपर किया है. इसी कष्ट से मोटिवेशन भी मिलता है, इसलिए आज पूरे बिहार में मैट्रिक परीक्षा परिणाम में दूसरा स्थान प्राप्त किया है.'
डॉक्टर ही क्यों बनना चाहते हैं, IAS-IPS क्यों नहीं? टॉपर सचिन ने दिया जवाब
सचिन कुमार राम आगे चलकर डॉक्टर बनना चाहते हैं. जब सचिन से पूछा गया कि डॉक्टर ही क्यों बनना चाहते हैं IAS-IPS क्यों नहीं क्योंकि बहुत से बच्चे IAS-IPS बनना चाहते हैं? तब उन्होंने कहा क्योंकि डॉक्टर बनने का मुकाम जल्दी हासिल किया जा सकता है लेकिन IAS-IPS बनने में बहुत समय लग जाएगा और मैं अपने परिवार की आर्थिक स्थिति उतनी जल्दी नहीं सुधार पाऊंगा, इसलिए डॉक्टर बनना चाहता हूं.'
यह भी पढ़ें: बिहार बोर्ड 10वीं टॉपर अंशु कुमारी ने किसान माता-पिता का बढ़ाया मान, NEET क्रैक कर डॉक्टर बनने का सपना
स्कूल प्रिंसिपल ने भी की तारीफ
सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले सचिन ने बताया कि उनके स्कूल टीचर समय-समय पर तैयारी के बारे में पूछते थे. जब कहीं कन्फ्यूजन होता था तो टीचर से पूछकर टॉपिक क्लियर कर लेते थे. सचिन के स्कूल के प्रिंसिपल जानर्धन मिश्रा ने बताया कि बच्चे से अच्छे मार्क्स की पूरी उम्मीद थी. 9वीं क्लास में भी काफी अच्छा किया था. इसके अलावा स्कूल की मासिक परीक्षाओं में सचिन का प्रदर्शन काफी अच्छा रहता है. इसलिए बच्चे से इस उम्मीद थी कि यह पहला या दूसरा स्थान जरूर प्राप्त करेगा.
छात्रों को बिहार 10वीं टॉपर की जरूरी सलाह
बोर्ड परीक्षा में टॉप करने वाले सचिन कुमार राम ने छात्रों को जरूरी सलाह भी दी है. सचिन ने कहा जो छात्र भविष्य में 10वीं क्लास की परीक्षा देने वाले हैं वो समय-समय पर चीजों का रिवीजन करते रहें. खासकर NCERT की किताबों को फॉलो करें जिससे वो भी इस मुकाम को हासिल कर सकेंगे.