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शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए गांव-गांव स्कूल खोले जा रहे हैं. लेकिन स्थिति ऐसी है कि कई जगहों पर भवन तो बना दिया गया है, लेकिन कोई संसाधन उपलब्ध नहीं है. दर्जनों स्कूलों का निर्माण ऐसी जगह कर दिया गया है, जहां आने-जाने का रास्ता ही नहीं है.
बिहार के मुजफ्फरपुर में 2 दशक से खेत की मेड़ और पगडंडी के सहारे बच्चे स्कूल जा रहे हैं. खेत में आधा दर्जन से ज्यादा स्कूलों का निर्माण करा दिया गया है. स्कूल आने जाने के दौरान स्थानीय किसानों से विवाद का भय भी बना रहता है. कई बार स्कूल आते-जाते समय खेत में चले जाने से बच्चों की पिटाई भी हो चुकी है.
दरअसल, जिले के चरपुरवा, मेडीडीह, मलही बेसी ,नया गांव समेत अन्य दर्जनों स्कूलों के लिए रास्ता नहीं है, जिससे पढ़ाई काफी प्रभावित होती है. पिछले 20 वर्षो से बच्चे खेत की आरी और मेड़ के सहारे ही स्कूल पहुंचते हैं. शिक्षकों और ग्रामीणों के द्वारा इस मामले को लेकर कई बार प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी तक शिकायत की गई लेकिन रास्ता अभी तक उपलब्ध नहीं हो पाया है.
वहीं, इस मामले पर स्कूल के प्रधानाचार्या नीलू कुमारी ने बताया कि हम लोगों ने अपने स्तर से सभी पदाधिकारियों को इस मामले से अवगत करवाया है. आने जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. खेत वालों से रोजाना बकझक होती रहती है. स्कूल खेत में बनवा दिया गया है जिससे हम लोग काफी परेशान होते हैं. बाढ़ के दिनों में तो स्कूल को बंद करना पड़ता है.
इस मामले पर ग्रामीण मोहम्मद अशफाक अहमद राइन का कहना है कि स्कूल के रास्ते को लेकर मैंने कई बार आवेदन दिया है, लेकिन आज तक रास्ता मुहैया नहीं करवाया गया है. बच्चे खेत और मेड़ के सहारे स्कूल आते हैं. बाढ़ के दिनों में स्कूल का आधा हिस्सा पानी में डूबा रहता है. वहीं, रास्ता विहीन स्कूल पर SDM ईस्ट ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है. पंचायत प्रतिनिधि और विद्यालय शिक्षा समिति की बैठक कराकर इसका निदान निकालेंगे.