फुली एसी ऑफिस, शानदार फ्लैट और शहरी भीड़ की ऊभ-चूभ एक बार तो हम सभी से कहती है कि गांव लौट चलो यार. क्या रखा है यहां. लेकिन कभी पेट की खातिर तो कभी सुख-सुविधाओं की खातिर तो कभी बच्चों के भविष्य की खातिर पांव ठिठक जाते हैं. अचानक आया ख्याल वापस लौट जाता है. लेकिन, हमारे बीच हेमंत कुमार जैसे लोग भी हैं जो अपने गांव और अपनों की खातिर लाखों की नौकरी क्या, बरसों का तजुर्बा तक ठुकराने की जुर्रत करते हैं.
यह कहानी यूपी के बिजनौर जिले में रहने वाले हेमंत कुमार की है. कुछ साल पहले बिजनौर के पास उनके गांव में रहने वाले पिता पर मधुमक्खियों ने हमला कर दिया. यह खबर उन तक देर से पहुंची. बाद में पता चला कि यह हमला जानलेवा था. इस बात ने उन्हें झकझोर दिया और वहीं से उनकी लाइफ ने यू-टर्न ले लिया.
हेमंत कुमार के पास डिग्री और नौकरियों की कोई कमी न होने के बावजूद वो गांव लौट आए. गांव आना ही कोई बड़ी बात नहीं है, बड़ी बात ये है कि गांव लौटकर उन्होंने शहर के अच्छे पैकेज वाली नौकरी के बराबर कमाई का जरिया भी बना लिया. फिलहाल हेमंत अपने बिजनौर में मछली पालन करते हैं. हेमंत की एजुकेशन की बात करें तो उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में बी-टेक की डिग्री ली है. इसके अलावा उनके पास अपने करियर के क्षेत्र में 21 साल का अनुभव है. aajtak.in से बातचीत में हेमंत कुमार ने बताया कि वो रिलांयस जियो में अच्छी खासी सैलरी पर नौकरी किया करते थे, लेकिन अंत में उन्होंने इसे छोड़ने का फैसला लिया.
रिश्तेदारों ने खूब कहा फिर भी नहीं माने हेमंत
हेमंत के इस फैसले पर रिश्तेदारों ने काफी नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि तुम नौकरी मत छोड़ो, तुम्हारे पास इतनी जमीन है. अगर अपने खेत बटाई पर भी दिए तो 10 से 12 लाख तुम्हें हर साल ऐसे ही मिल जायेंगे. जब सब लोगों ने बार-बार हेमंत को एक ही बात बोली तो हेमंत ने किसी ऐसे काम की तलाश करनी शुरू कर दी, जिससे वे गांव में रहकर उतना ही कमा सके जितना वे कंपनी में कमा रहे थे.
उसी दौरान हेमंत के एक दोस्त ने उन्हें मछली पालन का सुझाव दिया. काफी रिसर्च के बाद हेमंत ने मछली पालन के लिए 32 बीघे जमीन में तालाब बनाने के लिए 18 लाख रुपये का निवेश किया और सरकार से भी हेमंत को 11 लाख रुपये की सब्सिडी मिल गई. आज वो इससे हर महीने तकरीबन एक लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं. वो कहते हैं कि इतना मेरे लिए पर्याप्त है, भविष्य में ये बढ़ेगी ही. उन्होंने आगे कहा कि अगर मैं इसी 32 बीघे जमीन पर गन्ने की खेती से तुलना करूं तो मैंने 5 गुना ज्यादा कमाई की है.
गांव में इतनी शांति क्यों हैं?
आजतक की टीम जब हेमंत के घर से लोट रही थी तब शाम के 7 बजे थे. गांव में एकदम शांति थी. इस पर हेमंत ने कहा कि कभी यहां चहल पहल रहती थी, लेकिन सबके बच्चे शहरों में शिफ्ट हो गए हैं. अब बस यहां बुजुर्ग लोग रहते हैं. हेमंत बताते हैं कि वे दो भाई हैं. जब वह नौकरी करते थे तो दोनों भाई साल में एक बार ही गांव के घर पर आ पाते थे. अब मैं इस शांति को महसूस कर पाता हूं. आज मुझे सुकून मिलता है कि मैंने शहर के शोर को त्यागकर ये शांति चुनी है.