तमिलनाडु सरकार ने इंजीनियरिंग, कृषि, पशु चिकित्सा, मत्स्य पालन, कानून और अन्य जैसे व्यावसायिक डिग्री पाठ्यक्रमों में सरकारी स्कूल के छात्रों के कॉलेज प्रवेश के लिए एक अलग कोटा की मांग करते हुए विधानसभा में एक विधेयक पेश किया है.
क्यों पेश किया गया यह बिल?
बता दें कि जस्टिस मुरुगेसन आयोग का गठन इंजीनियरिंग, कृषि, मत्स्य पालन, पशु चिकित्सा, कानून और अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने वाले सरकारी स्कूल के छात्रों की कम संख्या के कारणों का आकलन और विश्लेषण करने के लिए किया गया था. आयोग ने अपने निष्कर्ष में बताया था कि सरकारी स्कूल के छात्र एक नुकसानदेह स्थिति में थे और उन्हें अपनी स्कूली शिक्षा को आगे बढ़ाने और विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में शामिल होने के लिए और अधिक सुविधाओं की आवश्यकता थी.
बिल में कहा गया है कि सभी छात्रों के लिए ज्ञान में वृद्धि और एक उचित और सार्थक जीवन जीने के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण है. सरकारी स्कूलों के छात्रों को उच्च शिक्षा में अपनी जगह बनाने के लिए राज्य के छात्रों की तुलना में अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है. निजी स्कूल के बच्चों को सरकारी स्कूल के बच्चों की तुलना में बेहतर वातावरण मिलता है. साथ ही उनकी शिक्षा को आगे बढ़ाने में एक अलग और अनुकूल माहौल प्रदान किया जाता है.
बता दें कि इस बिल के पास होने पर सरकारी स्कूल के बच्चों को प्रोफेशनल कोर्सेज में 7.5 फीसदी आरक्षण मिलेगा. राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गुरुवार को इस संबंध में विधानसभा में बिल पेश किया है. बिल पास होने के बाद राज्य के इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चर, फिशरीज और लॉ जैसे प्रोफेशनल कोर्सेज में एडमिशन के दौरान सरकारी स्कूल के स्टूडेंट्स के लिए 7.5 फीसदी सीटें आरक्षित हो जाएंगी.
सदन में बिल पेश करते हुए स्टालिन ने कहा कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बहुत कम बच्चे ही प्रोफेशनल कोर्स में दाखिला ले पाते हैं. परिवार की खराब आर्थिक स्थिति और जागरुकता की कमी के चलते प्रोफेशनल कोर्सेज में दाखिला लेने वाले सरकारी स्कूल के छात्रों की संख्या काफी कम है. AIADMK के विधायकों ने भी बिल का स्वागत किया है.