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काला क्यों दिखता है 'ब्लैक फंगस', कैसे होता है इसका इलाज? एम्स के एक्सपर्ट ने बताया

ब्लैक फंगस के साथ यलो, व्हाइट के फंगल इन्फेक्शन के साथ अब एस्परगिलोसिस को लेकर बात कर रहे हैं. एम्स नई दिल्ली के एंडोक्रिनोलॉजी और मेटाबॉलिज्म विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ निखिल टंडन से जानिए कि फंगस के अलग अलग रंगों पर नाम कैसे आ रहे हैं.

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प्रतीकात्मक फोटो (Getty)
प्रतीकात्मक फोटो (Getty)

कोरोना महामारी के बाद ब्लैक फंगस का खतरा लोगों के सामने खड़ा हो गया है. यही नहीं ब्लैक फंगस के साथ अब यलो, व्हाइट के फंगल इन्फेक्शन के बाद नया संक्रमण एस्परगिलोसिस भी चर्चा में है. एम्स नई दिल्ली के एंडोक्रिनोलॉजी और मेटाबॉलिज्म विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ निखिल टंडन से जानिए कि फंगस के अलग अलग रंगों पर डॉक्टर्स की क्या राय है.  साथ ही इसके क्या खतरे हैं और मेडिकल साइंस में इसका इलाज कैसे होता है. 
 
ब्लैक फंगस के बाद सफेद फंगस, पीला फंगस और अब एस्परगिलोसिस सामने आया है. डॉ टंडन कहते हैं कि म्यूकोरमायकोसिस, जिसे लोग काले कवक यानी ब्लैक फंगस के नाम से जानते हैं, असलियत में वह काले रंग का नहीं होता है. यह छोटी और बड़ी रक्त वाहिकाओं पर आक्रमण करता है और ऊतकों को मारता है. इससे मृत ऊतक काला दिखाई दे सकता है. इसलिए, इन फंगल इनफेक्शंस को रंग के आधार पर वर्गीकृत करना कतई उचित नहीं है.  

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सफेद फंगल संक्रमण वास्तव में कैंडिडिआसिस है, जो कैंडिडा के कारण होता है. जो मनुष्यों में एक सामान्य फंगल संक्रमण है. एस्परगिलोसिस एस्परगिल्स के कारण होने वाला एक अन्य सामान्य फंगल संक्रमण है, यह आमतौर पर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और कमजोर फेफड़े वाले लोगों को प्रभावित करता है. फेफड़ों की बीमारी जैसे सिस्टिक फाइब्रोसिस या अस्थमा से पीड़ित लोगों में इसके संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है. 

दरअसल, कवक हमारे वातावरण में मौजूद होते हैं. आम तौर पर जब वे एक स्वस्थ इंसान में प्रवेश करते हैं, तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इस संक्रमण से लड़ती है. लेकिन अगर किसी व्यक्ति ने प्रतिरक्षा से समझौता किया है या उसकी बॉडी ऑटोइम्यून हो गई है, तो कवक संक्रमण का कारण बन सकता है. कोविड किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है और इससे भी अधिक यदि मरीज स्टेरॉयड ले रहा है, तो यह कोविड पॉजिटिव रोगियों में अन्य संभावित फंगल संक्रमण के लिए शरीर को कमजोर बना देता है. फंगल संक्रमण का पता जब जल्दी चल जाता है, तो दवाओं की सहायता से इसका बेहतर इलाज किया जाता है. 

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डॉ निख‍िल टंडन
डॉ निख‍िल टंडन

 
आ सकती हैं ये दिक्कतें 

पिछले दो महीनों में कोविड के मामलों में अचानक वृद्धि हुई है और इसलिए म्यूकोरमायेकोसिस के केस भी बढ़े हैं. एम्स के शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि वर्तमान में म्यूकोरमायकोसिस के निदान वाले कोविड रोगियों की एक बड़ी संख्या में अनियंत्रित मधुमेह था. इसके अलावा, हमने स्टेरॉयड के अधिक और नियंत्रित उपयोग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है. लोगों ने अपने मन से भी इसका सेवन किया है. यहां मैं यह बताना चाहता हूं कि स्टेरॉयड, मध्यम से गंभीर कोविड -19 रोगियों के लिए बेहतर उपचार है. म्यूकरमायकोसिस का अगर जल्दी पता नहीं लगाया गया और इलाज नहीं शुरू हो पाया तो यह घातक हो सकता है. यह रक्त वाहिकाओं पर आक्रमण करता है, यह शरीर के ऊतकों को रक्त की आपूर्ति कम कर देता है और इसे मार देता है. अनियंत्रित मधुमेह के मरीजों में यह और तेजी से फैलता है. म्यूकोरमायकोसिस आंखों की रोशनी, चेहरे के ऊतकों और जबड़े को भी नुकसान पहुंचा सकता है.  यदि यह मस्तिष्क में चला जाता है, तो मृत्यु का भी कारण बन सकता है. 
 
इलाज की प्रक्र‍िया जानें 

डॉ निख‍िल टंडन का कहना है कि इन संक्रमण का इलाज करने के लिए हमारे पास प्रभावी एंटी-फंगल एजेंट या दवाएं हैं. यदि संक्रमण का पता जल्दी चल जाए तो क्षति को नियंत्रित किया जा सकता है. म्यूकोरमायकोसिस सभी फंगल संक्रमण में सबसे गंभीर और घातक है. इसके लिए हम अम्फोटेरिसिन बी दवा लिखते हैं. इसके लिपोसोमल संस्करण को दवा की पारंपरिक अधिक अवधि के साथ अपेक्षाकृत कम अवधि में भी चिकित्सक पर्याप्त खुराक दे सकते हैं,  जिससे संक्रमण को जल्दी नियंत्रित करने में मदद मिलती है. इसके अलावा दो अन्य दवाएं भी हैं. उनमें पहली पॉसकोनाजोल, जिसे अम्फोटेरिसिन से संक्रमण को नियंत्रित करने के बाद एक स्टेप-डाउन दवा के रूप में उपयोग किया जा रहा है.  दूसरी इसावुकोनजोल, एक नई दवा है. इसकी प्रारंभिक जानकारी से पता चलता है कि यह म्यूकोरमायकोसिस के इलाज के लिए कारगर है. कई बार दवाओं के साथ, मृत ऊतको को शल्य चिकित्सा द्वारा निकालना पड़ता है.

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