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सरकारी स्कूलों में 9वीं क्लास के लिए ब्रिज कोर्स शुरू, ड्रॉप-आउट दर कम करने पर जोर

ब्रिज कोर्स के प्रभाव को जांचने के लिए दो चरणों में टेस्ट आयोजित होंगे. 5 और 12 अप्रैल को बेसलाइन टेस्ट लिया जाएगा, जिसके प्रश्नपत्र 31 मार्च को 'विमर्श' पोर्टल पर अपलोड कर दिए जाएंगे. टेस्ट न दे पाने वाले छात्रों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई है.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर)
(प्रतीकात्मक तस्वीर)

मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कक्षा 9वीं में एडमिशन लेने वाले छात्रों के अध्ययन स्तर और दक्षता को बेहतर करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने ब्रिज कोर्स शुरू किया है. इस पहल के तहत प्रदेश भर के 27 हजार शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि हिन्दी, अंग्रेजी और गणित जैसे प्रमुख विषयों में बच्चों की नींव मजबूत की जा सके. इस कोर्स से ड्रॉप-आउट दर को कम करने में भी मदद मिलने की उम्मीद है.

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स्कूल शिक्षा विभाग ने ब्रिज कोर्स के लिए 9 हजार 312 रिसोर्सपर्सन तैयार किए हैं, जिनकी ट्रेनिंग फरवरी 2025 में भोपाल के वाल्मी संस्थान में पूरी हो चुकी है. प्रदेश में 4 हजार 200 हाई स्कूल और 4 हजार 100 हायर सेकेंडरी स्कूलों में हिन्दी, अंग्रेजी और गणित के एक-एक शिक्षक को प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया मार्च से शुरू हो गई है. कुल 27 हजार शिक्षकों को इस कोर्स के लिए तैयार किया जा रहा है.

ब्रिज कोर्स का संचालन और समय-सारणी
ट्रेंड टीचर अप्रैल में और फिर 16 जून से 20 जुलाई तक ब्रिज कोर्स का संचालन करेंगे. यह कोर्स सभी सरकारी हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों में लागू होगा. हिन्दी, अंग्रेजी और गणित के अलावा विज्ञान और संस्कृत की पढ़ाई भी कराई जाएगी. लोक शिक्षण संचालनालय ने इसके लिए समय-सारणी तैयार कर सभी स्कूलों को निर्देश जारी किए हैं.

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बेसलाइन और एंडलाइन टेस्ट की व्यवस्था
ब्रिज कोर्स के प्रभाव को जांचने के लिए दो चरणों में टेस्ट आयोजित होंगे. 5 और 12 अप्रैल को बेसलाइन टेस्ट लिया जाएगा, जिसके प्रश्नपत्र 31 मार्च को 'विमर्श' पोर्टल पर अपलोड कर दिए जाएंगे. टेस्ट न दे पाने वाले छात्रों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई है. बेसलाइन टेस्ट की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन उसी दिन शिक्षकों द्वारा किया जाएगा. इसके आधार पर कमजोर विद्यार्थियों के लिए विशेष ध्यान दिया जाएगा. वहीं, कोर्स की समाप्ति पर 21 से 25 जुलाई के बीच एंडलाइन टेस्ट होगा, जो बच्चों की प्रगति को मापेगा.

मॉनिटरिंग और मूल्यांकन
ब्रिज कोर्स की निगरानी के लिए राज्य, संभाग और जिला स्तर पर अधिकारियों की टीमें गठित की गई हैं. जिला शिक्षा अधिकारियों को हर माह कम से कम 10 स्कूलों की मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें जिला परियोजना समन्वयक और विकासखंड शिक्षा अधिकारी सहयोग करेंगे. इसके अलावा, जिला स्तर पर 10 प्रतिशत विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं का रैंडम पुनर्मूल्यांकन होगा, ताकि कोर्स की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके.

ड्रॉप-आउट दर पर लगाम  
स्कूल शिक्षा विभाग का मानना है कि ब्रिज कोर्स से न केवल विद्यार्थियों की शैक्षणिक दक्षता बढ़ेगी, बल्कि ड्रॉप-आउट दर में भी कमी आएगी. लोक शिक्षण संचालनालय ने पूरे साल बच्चों की प्रगति पर नजर रखने और उनकी कमजोरियों को दूर करने के लिए सतत प्रयास करने का संकल्प लिया है. 

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