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'मेरा बेटा बीकॉम करने कनाडा गया है...', तनाव ने बढ़ाई पेरेंट्स की चिंता, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

पंजाब की एक छात्रा सिमरन ने कहा, 'कनाडा का भारतीय छात्रों को वीजा देना  बंद करना बहुत चिंताजनक होने वाला है. मेरा आवेदन विशेष रूप से प्रक्रिया में है. मेरे कई दोस्तों ने अपनी प्रवेश प्रक्रिया पूरी कर ली है और मैंने कनाडा में स्टडी करने के लिए अपनी ट्यूशन फीस पहले ही चुका दी है.

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भारत ने अपने उच्चायुक्त, अन्य राजनयिकों को कनाडा से वापस बुलाया (सांकेतिक तस्वीर)
भारत ने अपने उच्चायुक्त, अन्य राजनयिकों को कनाडा से वापस बुलाया (सांकेतिक तस्वीर)

खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत और कनाडा के संबंध इस समय अपने सबसे बुरे दौर में हैं. दोनों देशनों के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है. भारत के राजदूत और अन्य राजनयिकों का नाम बतौर 'पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट' लेने के बाद केंद्र सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए भारत से छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है. भारत-कनाडा डिप्लोमेट रिलेशन के चलते, कनाडा में पढ़ने और काम करने वाले छात्रों को इससे बड़ा असर पड़ने की आशंका है, वीजा एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे कनाडा जाने वाले भारतीय छात्रों को परेशानी हो सकती है. बढ़ते तनाव के चलते कनाडा में करियर का सपना देख रहे छात्र अपने भविष्य को लेकर चिंता में हैं. इस तनाव का असर न केवल सिख बल्कि कनाडा में रहने वाले अन्य भारतीय समुदायों पर भी पड़ रहा है. 

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बढ़ते तनाव के कारण वीजा आवेदन और उसकी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है. क्योंकि दोनों आयोगों ने अपने कर्मचारियों की संख्या कम कर दी है. इससे वीजा आवेदनों में कमी आ सकती है और दोनों देशों में जांच अधिकारियों द्वारा पुलिस वेरिफिकेशन के लिए आवेदनों में भी कमी आ सकती है. लोगों को दोनों दूतावासों से देरी का सामना करना पड़ सकता है, कनाडा में कम से कम 50% अंतरराष्ट्रीय छात्र भारतीय हैं.

छात्रों और अभिभावकों की चिंता बढ़ी
अगले साल कनाडा में पढ़ने की तैयारी कर रही पंजाब की सुनीता कहती है, “मैं 2025 सितंबर के एडमिशन के लिए कनाडा जाना चाहती हूं. मैं वर्तमान में अपनी IELTS परीक्षाओं की तैयारी कर रही हूं, और मैंने हमेशा कनाडा से ग्रेजुएशन करने का सपना देखा था. मैंने पहले ही अपने कॉलेजों को शॉर्टलिस्ट कर लिया है, लेकिन अब भारत, कनाडा संबंधों में तनाव की वजह से मुझे अपने भविष्य  को लेकर चिंता हो रही है. कनाडा हमेशा से एक ऐसा देश रहा है जिसने भारतीय छात्रों का सपोर्ट किया है और हमेशा से ही भारतीय छात्रों द्वारा पढ़ाई के साथ-साथ स्थायी निवास और वर्क वीजा के लिए पसंद किया जाने वाला देश रहा है. मुझे बस उम्मीद है कि देश इस समस्या को हल करने में सक्षम होंगे और छात्रों को वीजा में किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा.

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पंजाब की एक अन्य छात्रा सिमरन ने कहा, 'कनाडा का भारतीय छात्रों को वीजा देना  बंद करना बहुत चिंताजनक होने वाला है. मेरा आवेदन विशेष रूप से प्रक्रिया में है. मेरे कई दोस्तों ने अपनी प्रवेश प्रक्रिया पूरी कर ली है और मैंने कनाडा में स्टडी करने के लिए अपनी ट्यूशन फीस पहले ही चुका दी है. इसलिए यह मेरे लिए एक समस्या होने वाली है."

कनाडा में पढ़ रहे एक छात्र सचिन मेहरा के पिता ने कहा, “मेरा बेटा पिछले 23 महीनों से कनाडा में है. कनाडा में बहुत अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर और जीवन स्तर है. दोनों देशों के बीच तनाव की वजह से अब चीजें अभी बहुत अनिश्चित हो गई हैं, दोनों मजबूत देशों के नेताओं को एक साथ आना चाहिए और समाधान निकालना चाहिए." 

एक छात्र की मां कहती हैं कि मेरा बेटा बीकॉम ऑनर्स के लिए कनाडा गया है. दो महीने से ज़्यादा हो चुके हैं. दोनों देशों के बीच यह राजनीतिक टकराव ठीक नहीं है, ऐसे कई छात्र हैं जिनके परिवारों ने अपने बच्चों को कनाडा भेजने के लिए एक करियर को लेकर बहुत कुछ सोच रखा है और पैसे इन्वेस्ट किए हैं. ये सब खराब हो रहा है."

वीजा एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
कनाडा में कई भारतीयों को भेजने वाले ट्रैवल और वीजा एक्सपर्ट्स नवनीत सिंह कहते हैं, “स्टूडेंट वीजा के नजरिए से या टूरिजम वीजा के नजरिए से, हम सीपीसी अल्बर्टा से आने वाले आवेदन में देरी की उम्मीद कर सकते हैं. इन आवेदनों की लेबलिंग भारत में होती है. इसलिए जब राजनयिक दूतावास छोड़कर जा रहे होते हैं, तो यह एक बड़ा डिप्लोमेट इशू समझा जा सकता है. वर्तमान में देश केवल अपने राष्ट्रीय गौरव की परवाह करते हैं, इसलिए भारत ने एक स्टैंड लिया है. कनाडा या भारत ने यह नहीं कहा है कि उन्होंने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को पूरी तरह से तोड़ दिया है. यह दोनों के बीच सिर्फ एक राजनीतिक गतिरोध है.”

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कनाडा में भारतीय समुदाय पर प्रभाव
परमानेंट कनाडा में रहने वाले भारतीय मूल के सचिन ने उन्होंने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा, “वहां पहले से रह रहे भारतीयों और छात्रों के लिए यह अच्छी बात नहीं है. इसके नतीजे ठीक नहीं होंगे, माहौल और खराब होगा. नस्लवाद तक भी देखा जा सकता है, क्योंकि लोगों को लगता है कि ऐसे छात्रों की संख्या बढ़ गई है जो गुणवत्ता के हिसाब से नहीं हैं. ब्रैम्पटन और टोरंटो में बहुत से लोग नौकरी का इंतजार कर रहे हैं."

आगे क्या हो सकता है?
समीना, जो कई साल पहले कनाडा चली गई थीं और अब साउथ ब्रैम्पटन, ओंटारियो में रहती हैं. वे भारतीय मूल की कनाडाई निवासी हैं. उन्होंने कहा, "पिछले साल सितंबर 2023 में भी यही स्थिति देखी गई थी, वीजा प्रोसेस एक महीने के लिए रोक दी गई थी. फिर इसे लंबे समय के बाद फिर से शुरू किया गया, जिससे बैकलॉग बन गया. विभिन्न प्रकार के काम के लिए पुलिस वेरिफिकेशन आवेदनों में देरी हो रही थी. हम इस बार भी ऐसी ही स्थिति की उम्मीद कर रहे हैं."

बढ़ते तनाव के बारे में भारतीय मूल के प्रवासी क्या महसूस करते हैं? 
समीना ने कहा, "यह एशियाई, दक्षिण एशियाई समुदाय के लिए बहुत अच्छा नहीं है. यहां बहुत सारे लोग हैं. हम यहां कोई नफरत नहीं चाहते हैं क्योंकि बहुत सारे भारतीय कनाडा आते हैं और उन्हें इसी तरह से देखा जा सकता है. भविष्य में काम के अवसर भी प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन राजनयिक संबंधों में खटास का कोई तत्काल प्रभाव नहीं है." बता दें कि एक संभावित आंकड़े के अनुसार वर्तमान में कनाडा में लगभग चार लाख से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं. पिछले दो वर्षों में. कनाडा में दो साल के लिए छात्र वीजा की संख्या लगभग 3,60,000 है. यह 2022 की संख्या से 35% कम है.

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