कनाडा में रह रहे विदेशी छात्रों में 40 प्रतिशत छात्र इंडिया से हैं.स्टूडेंट वीजा लेकर कनाडा में बसने का सपना देखने वाले युवाओं के लिए अब ट्रूडो की नई इमिग्रेशन पॉलिसी से बड़ा झटका लगा है. यही कारण है कि पॉलिसी में बदलाव के कारण 70,000 से अधिक विदेशी छात्रों पर अपने मुल्क वापस जाने की तलवार लटक रही है. वहां विरोध-प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं. आइए जानते हैं कि आखिर कनाडा में इतने भारतीय छात्र क्यों जाते हैं. इसके अलावा ट्रूडो की नई पॉलिसी का वहां रह रहे भारतीय छात्रों पर क्या असर पड़ने वाला है.
गौरतलब है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "हम कनाडा में कम वेतन वाले, अस्थायी विदेशी कर्मचारियों की संख्या कम कर रहे हैं. श्रम बाजार बदल गया है. अब समय आ गया है कि हमारे व्यवसाय कनाडा के श्रमिकों और युवाओं में निवेश करें." उनके इस ऐलान के बाद ही कनाडा में रह रहे भारतीय कामगारों, छात्रों में विरोध शुरू हो गया. गौरतलब है कि साल 2023 की बात करें तो कनाडा में अब तक 900,000 अंतरराष्ट्रीय छात्र हैं ही, अब इस साल 2024 के आखिर तक 500,000 स्थायी निवासी और बढ़ने की संभावना थी.
ठगा महसूस कर रहे छात्र
कनाडाई सरकार अब तक कहती आई है कि यहां अप्रवासियों को लाने का एक प्रमुख कारण आर्थिक विकास और लचीलेपन को बढ़ावा देना है. अब पॉलिसी में बदलाव के बाद भारतीय छात्र खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. एक पूर्व अंतरराष्ट्रीय छात्र महकदीप सिंह जो इमिग्रेशन का सामना कर रहे हैं ने सिटी न्यूज टोरंटो को बताया, 'मैंने कनाडा आने के लिए छह साल तक जोखिम उठाया. मैंने पढ़ाई की, काम किया, लोन चुकाया, और कॉम्प्रिहेंसिव रैंकिंग सिस्टम (CRS) में जरूरी पॉइंट्स पूरे किए, लेकिन सरकार ने हमारा फायदा उठाया है.'
पहले से है आवास की दिक्कत
आपको बता दें कि कनाडा में पहले से छात्र आवास समस्या से जूझ रहे हैं. बीते साल सितंबर में आवास समस्या को लेकर एक इंस्टाग्राम पोस्ट से काफी बवाल मचा था. बताया जा रहा है कि यहां घरों का निर्माण बेहद कम है और रिकॉर्ड-उच्च ब्याज दरों ने नई आवास इकाइयों को आम कनाडाई और नए अप्रवासियों की पहुंच से बाहर कर दिया है. अगर नौकरियों की बात करें तो कनाडा में काफी समय पहले से पार्ट टाइम जॉब्स का संकट आ चुका है.यहां पहले से विदेशी छात्र आवास न मिलने के चलते बहुत खराब हालातों में रह रहे हैं.अब नई पॉलिसी के बाद अब कनाडा में शिक्षा का सपना भारतीयों के लिए दूर की कौड़ी साबित होने वाला है.
सुरक्षा पर भी उठ चुके हैं सवाल
हाल ही में भारतीय छात्र चिराग अंतिल की गोली मारकर हत्या और कई भारतीय छात्रों पर हमले की खबरों ने भी इंडियन छात्रों का मनोबल तोड़ने का काम किया था. विदेश मंत्री ने भी चिराग अंतिल के मामले में निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग की थी. अब नई पॉलिसी से ट्रूडो सरकार की मंशा साफ नजर आ रही है कि भारतीय छात्रों के लिए यहां पढ़ाई, जॉब या नागरिकता पाना दुर्गम होगा.
हर साल इतने सारे छात्र कनाडा क्यों जाते हैं?
कनाडा जाने का कारण असल में सिर्फ शिक्षा नहीं है. ऐसा इसलिए है क्योंकि स्टूडेंट वीज़ा कनाडा जाने के लिए एक आसान रास्ता है, और फिर इसके बाद स्थायी निवास और वहां की नागरिकता पाने के रास्ते भी खुल जाते हैं. स्टूडेंट वीज़ा के जरिये विदेशी नागरिक कनाडा में आसानी से एंट्री कर सकते हैं. कनाडा में विदेशी छात्रों में बड़ी संख्या भारतीयों की है.कनाडा में एक तरह का मिनी इंडिया बसता रहा है.
40 प्रतिशत इंटनेशनल छात्र इंडिया से
कनाडा सरकार के आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में कुल 5.5 लाख अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से 2.26 लाख छात्र इंडिया से थे. ये कुल छात्रों का 40 प्रतिशत है. इससे पहले से 3.2 लाख भारतीय छात्र वीजा पर कनाडा में रह रहे थे. इनमें से बड़ी संख्या में छात्र मोटल या बेसमेंट में रह रहे हैं. द कैनेडियन प्रेस के पत्रकार गौरव भट्ट ने IndiaToday.In को बताया था कि कनाडा में आने वाले लोगों की बाढ़ से मामला और खराब हो रहा है.
अब जब ट्रूडो सरकार कम वेतन वाले अस्थायी विदेशी कर्मचारियों की संख्या कम कर रही है तो स्पष्ट है कि वहां का श्रम बाजार बदलने से भारतीय छात्रों के लिए मुश्किल बढ़ने वाली है. हालांकि कनाडा के कृषि और खाद्य और मछली प्रसंस्करण जैसे "खाद्य सुरक्षा क्षेत्रों" के साथ-साथ निर्माण और स्वास्थ्य सेवा को अब भी छूट हासिल रहेगी. इन सेक्टर्स में अभी भी कर्मचारियों की भारी कमी है. लेकिन, इन क्षेत्रों में काम करके पढ़ाई कर पाना कितना आसान होगा, यह सोचने की बात है.