कोरोना के कारण आखिरकार 12वीं के बोर्ड की परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला लिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीते दिन हुई एक बैठक में ये फैसला लिया गया. केंद्र सरकार ने CBSE के एग्जाम रद्द करने का फैसला लिया तो कई अन्य बोर्ड ने भी इस और कदम बढ़ा दिया. भारत सरकार के इस कदम से छात्रों और अभिभावकों को बड़ी राहत मिली, जो इसलिए परेशान थे कि कोरोना संकट के बीच बच्चे एग्जाम कैसे देंगे.
एग्जाम रद्द कराने के लिए सोशल मीडिया पर लंबे वक्त से कई तरह के हैशटेग चल रहे थे, जिसमें सरकार से कोरोना की वजह से पेपर्स को रद्द करने की मांग हो रही थी. जब सरकार ने पेपर्स कैंसल किए तो बच्चों ने राहत की सांस ली. 12वीं क्लास की स्टूडेंट सुप्रिया बांबा का कहना है कि एग्जाम को लेकर जितनी देरी हो रही थी, उतनी ही टेंशन बढ़ रही थी. एग्जाम के लिए तैयारी मुश्किल नहीं थी, लेकिन जिस तरह से माहौल हो गया वो दिक्कत करने वाला था.
12वीं क्लास के स्टूडेंट मामूर अख्तर ने सोशल मीडिया पर लिखा कि एग्जाम रद्द करने के लिए सरकार का शुक्रिया. ये स्टूडेंट्स के हक में लिया गया फैसला है, जो कि बच्चों के पैरेंट्स और टीचर्स की टेंशन भी कम करेगा. रूही बंसल नाम की छात्र को आयरलैंड के एक कॉलेज में एडमिशन मिल गया, लेकिन यहां एग्जाम को लेकर वह चिंता में थी और अब जब एग्जाम कैंसिल हो गए हैं, तब उन्होंने राहत की सांस ली है.
रूही ने कहा कि वो परेशान इसलिए थी कि अगर एग्जाम कैंसिल ना होकर अगस्त के आसपास रखे जाते तो उसका सैमेस्टर मिस हो जाता, लेकिन अब इस फैसले के बाद कोई टेंशन नहीं है.
पैरेंट्स की भी बढ़ गई थी टेंशन
सिर्फ बच्चे ही नहीं, बल्कि पैरेंट्स को भी परीक्षाएं रद्द होने से खुशी हुई है. रितू धीमन का कहना है कि कोरोना संकट के बीच अगर उनका बेटा एग्जाम देने जाता तो काफी दिक्कत होती, लेकिन अब इस फैसले ने राहत पहुंचाई है. हालांकि, अभी कुछ पैरेंट्स इसलिए भी परेशान हैं कि बच्चों के पास होने का क्राइटीरिया क्या होगा, क्योंकि पैरेंट्स चाहते हैं कि जो बच्चे पढ़ाई में अच्छे हैं, उनका ज्यादा नुकसान ना हो.
बता दें कि सीबीएसई ने 14 अप्रैल को कोरोना संकट के कारण दसवीं की परीक्षाओं को रद्द कर दिया था. तब 12वीं की परीक्षाओं को टाला गया था, लेकिन अब कोरोना संकट को देखते हुए इन्हें भी रद्द कर दिया गया है.