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Explainer: CBSE का टू-एग्जाम फॉर्मूला कैसे काम करेगा, एक स्टूडेंट के लिहाज से क्या-क्या बदलेगा? सारे सवालों के जवाब

साल 2026 से कक्षा 10वीं की परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए खुशखबरी है. अब किसी कारण के चलते परीक्षा छूट जाने पर पूरा साल बर्बाद नहीं होगा. सीबीएसई बोर्ड ने मंगलवार को अगले वर्ष यानी 2026 से साल में दो बार 10वीं के बोर्ड एग्जाम कराने वाले ड्राफ्ट रेगुलेशन को मंजूरी दे दी.

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CBSE Class 10th Exam Twice a Year
CBSE Class 10th Exam Twice a Year

CBSE 10th Exam Twice a Year: अगर आप अगले साल यानी 2026 में कक्षा 10वीं की परीक्षा देने वाले हैं, तो आपको सीबीएसई के नए नियमों को जरूर जान लेना चाहिए. 2026 से सीबीएसई बोर्ड की 10वीं कक्षा की परीक्षा में बड़ा बदलाव होने वाला है. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने घोषणा की है कि 2026 से कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा साल में दो बार आयोजित की जाएगी. (CBSE Two Times Board Exam) इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य छात्रों को अपनी तैयारी को बेहतर बनाने और परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने का एक और मौका देना है.

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इस बदलाव के बारे में अभी एक मसौदा (Draft) तैयार किया गया है, जिसे पब्लिक डोमेन में रखा जाएगा. इसके बाद 9 मार्च 2025 तक विभिन्न स्टेकहोल्डर्स (जैसे स्कूल प्रशासन, पेरेंट्स एसोसिएशन, टीचर्स एसोसिएशन, पॉलिसी मेकर्स और चुने हुए एनजीओ) अपना फीडबैक देंगे. इसके बाद इस नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा. इस बदलाव का छात्रों की परीक्षाओं, उनके प्रदर्शन और परीक्षा प्रणाली पर क्या असर पड़ेगा, इसे समझने के लिए हमें कुछ जरूरी बातें जाननी होंगी.

साल 2026 में पहली और दूसरी परीक्षा कब आयोजित होगी?

2026 से कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा साल में दो बार आयोजित की जाएगी. इसका पहला चरण 17 फरवरी से 6 मार्च 2026 तक होगा, जबकि दूसरा चरण 5 मई से 20 मई 2026 तक होगा. इस बदलाव से परीक्षा की प्रक्रिया लगभग 34 दिनों तक चलेगी, जिसमें कुल 84 विषयों की परीक्षा ली जाएगी. 2025 में करीब 24 लाख छात्र इस परीक्षा में बैठेंगे, जबकि 2026 में इस संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है और लगभग 26.60 लाख छात्र परीक्षा में शामिल हो सकते हैं.

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अगर कोई छात्र सिर्फ एक एग्जाम देना चाहे तो?

छात्रों को इन दोनों परीक्षाओं में बैठने का मौका मिलेगा, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है. अगर कोई छात्र सिर्फ एक परीक्षा देना चाहता है, तो वे किसी एक परीक्षा में बैठ सकता है. अगर पहली परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं होता है, तो वे दूसरी परीक्षा में सुधार कर सकता है. इससे छात्रों को परीक्षा का दबाव कम होगा और वे बिना किसी चिंता के अपनी पढ़ाई कर सकेंगे.

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सप्लीमेंट्री एग्जाम का क्या होगा?

सीबीएसई की दोनों परीक्षाओं में पूरा पाठ्यक्रम शामिल होगा. विद्यार्थियों को दोनों परीक्षाओं के लिए एक ही परीक्षा केंद्र आवंटित किया जाएगा. आवेदन करने के समय ही दोनों परीक्षाओं के लिए परीक्षा शुल्क तय किया जाएगा, और विद्यार्थियों को रजिस्ट्रेशन के समय यह शुल्क जमा करना होगा. इन दोनों परीक्षाओं को ही अब सप्लीमेंट्री परीक्षा के रूप में माना जाएगा. इसका मतलब है कि 10वीं के लिए अब कोई अलग से सप्लीमेंट्री परीक्षा नहीं होगी. इसके लिए छात्रों को पहले ही स्कूल द्वारा सूचित किया जाएगा. कोर्स पूरा होने के बाद बोर्ड एग्जाम के लिए फॉर्म भरने से पहले छात्रों से यह पूछा जाएगा कि वे दूसरी परीक्षा में बैठना चाहते हैं या नहीं. अगर कोई छात्र दूसरा एग्जाम नहीं देना चाहता, तो केवल पहले एग्जाम की मार्कशीट को ही माना जाएगा.

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कब और कैसे आयोजित होगी परीक्षा?

सीबीएसई के अनुसार, जब दोनों परीक्षाएं होंगी, तो साइंस, मैथ्स, सोशल साइंस, हिंदी, इंग्लिश जैसी मुख्य विषयों की परीक्षा अलग-अलग दिन आयोजित की जाएगी. बाकी रीजनल और विदेशी भाषाओं की परीक्षा एक ही दिन समूह में आयोजित की जाएगी. स्पोर्ट्स के छात्रों को किसी भी एक परीक्षा में बैठने की अनुमति होगी साथ ही प्रैक्टिकल परीक्षाएं सिर्फ एक बार ही आयोजित की जाएंगी.

कौन-सी मार्कशीट मान्य होगी?

अगर कोई छात्र पहली परीक्षा नहीं देता और दूसरी परीक्षा देता है, तो 11वीं में प्रवेश के लिए उसकी दूसरी परीक्षा की मार्कशीट ही मान्य होगी. वहीं, अगर छात्र दोनों परीक्षाओं में बैठता है, तो उसकी मार्कशीट और पासिंग सर्टिफिकेट में दोनों परीक्षाओं के अंक और प्रैक्टिकल परीक्षाओं के अंक दर्ज होंगे. इसके अलावा, दोनों परीक्षाओं में जिस परीक्षा में छात्र को अधिक अंक मिलेंगे, वही अंक उसकी मार्कशीट में प्राथमिकता से दिखाए जाएंगे. सभी छात्रों को मेरिट सर्टिफिकेट दूसरी परीक्षा के बाद जारी किया जाएगा.

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अगर पहली बार एग्जाम में कुछ ही विषय में फेल हों तो?

अगर कोई छात्र पहली परीक्षा के सभी विषयों में फेल हो जाता है, तो उसे सुधार के लिए दूसरी परीक्षा देनी होगी. याद रखें कि दोनों परीक्षाओं का पाठ्यक्रम एक जैसा ही होगा. अगर छात्र शुरू के पांच और मुख्य विषय जैसे हिंदी, मैथ्स, सोशल साइंस, साइंस और इंग्लिश में से किसी एक में भी फेल हो जाता है तो उसे पूरा एग्जाम यानी कि सभी विषयों के एग्जाम दूसरी बार होने वाली परीक्षा में देने होंगे. वहीं, अगर छात्र पहले एग्जाम में छटवें या सांतवे एग्जाम में फेल होता है, जैसे विदेशी भाषा, रीजनल भाषा. छात्र सिर्फ इन्हीं विषयों की परीक्षा को दूसरी बार आयोजित होने वाले एग्जाम में दे सकता है. इस मामले में यह जरूरी नहीं है कि पहले राउंड में सभी विषयों की परीक्षा देने वाला छात्र दूसरे राउंड में भी सभी विषयों की परीक्षा दे.

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अगर छात्र LOC (List of Candidates) जमा कर देते हैं, तो उसके बाद किसी भी विषय में बदलाव नहीं किया जा सकेगा. यदि कोई छात्र LOC जमा करने के बाद विषय बदलना चाहता है, तो यह बदलाव केवल दूसरी परीक्षा में ही किया जा सकेगा.

ऐसे छात्र यह विकल्प चुन सकते हैं कि वे पहली परीक्षा में उस विषय में न बैठें. अगर वे पहली परीक्षा में उस विषय की परीक्षा देते हैं, तो उन्हें दूसरी परीक्षा में उस विषय को बदलने की अनुमति नहीं मिलेगी. इसका मतलब है कि अगर छात्र पहली परीक्षा में किसी विषय में उपस्थित होता है, तो वह उसी विषय में दूसरी परीक्षा में भी बैठने के लिए बाध्य रहेगा और उसे विषय बदलने का मौका नहीं मिलेगा. अगर छात्र सिर्फ दूसरी परीक्षा में बैठता है, तो उसके लिए कोई और परीक्षा नहीं आयोजित की जाएगी. 

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सीबीएसई के नए बदलाव छात्रों को अधिक अवसर और परीक्षा के दबाव को कम करने का मौका देंगे. अब छात्रों को अपनी तैयारी के लिए और सुधार करने का एक और मौका मिलेगा, जिससे वे अपनी परफॉर्मेंस को बेहतर बना सकते हैं. 

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