स्वीडन में रहने वाले भारतीय मूल के प्रोफेसर अशोक स्वैन ने अपने ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड रद्द करने के केंद्र सरकार के नए आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. दिल्ली हाईकोर्ट ने अशोक स्वैन की अर्जी पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.
क्या है मामला?
अशोक स्वैन पर आरोप है कि वह भड़काऊ भाषण और भारत विरोधी गतिविधियों में कथित रूप से शामिल थे. हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने 10 जुलाई को प्रोफेसर अशोक स्वैन का ओसीआई कार्ड रद्द करने का केंद्र सरकार का आदेश रद्द कर दिया था. अब नोटिस में दिल्ली कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि किस कानून और प्रक्रिया के तहत ऐसा किया गया है?
प्रोफेसर ने पूछा था कार्ड रद्द करने का तर्क
प्रोफेसर अशोक स्वैन ने आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि यह बिना किसी तर्क के लिया गया फैसला है. हालांकि, इसके बाद ही केंद्र सरकार ने फिर से उनका ओसीआई कार्ड रद्द करने का आदेश जारी किया है.
अशोक स्वैन स्वीडन के उप्सला विश्वविद्यालय में शांति और संघर्ष अनुसंधान विभाग में प्रोफेसर हैं. याचिकाकर्ता प्रोफेसर ने दावा किया कि वह कभी भी किसी भड़काऊ भाषण या भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं रहे हैं. एक प्रोफेसर के तौर पर उनकी भूमिका अपने काम के माध्यम से सरकार की नीतियों पर चर्चा करना है.
क्या है OCI कार्ड?
दरअसल, ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया यानी OCI कार्ड भारत की विदेशी नागरिकता प्रदान करता है. इसे उन भारतीयों की मांगों को पूरा करने के लिए अनुमोदित किया गया था जो अन्य विकसित देशों में रहते हैं और दोहरी नागरिकता चाहते हैं. ओसीआई कार्ड धारकों को भारत में स्थायी रूप से निवास करने और काम करने में सक्षम बनाता है, लेकिन मतपत्र डालने, राजनीतिक कार्यालय रखने या अचल संपत्ति रखने के लिए सक्षम नहीं बनाता है. ओसीआई को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम द्वारा संभव बनाया गया था, जिसे 2005 में अनुमोदित किया गया था.