
चेन्नई के एक प्रतिष्ठित CBSE स्कूल का अंग्रेजी का एक क्वेश्चन पेपर विवादों में आ गया है, जिसमें कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों की गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई झड़प के बाद 'हिंसक' और 'उपद्रवी' कहा गया. कक्षा 10वीं की अंग्रेजी भाषा और साहित्य के पेपर में 'लेटर टू एडिटर' फॉर्मेट में लिखे सवाल में प्रदर्शनकारियों को 'Violent Maniacs' (हिंसक उन्मादी) कहा गया है. पेपर में गणतंत्र दिवस की घटना पर जानकारी देने के बाद छात्रों से इस संबंध में अपने विचार भी मांगे गए.
11 फरवरी को आयोजित की गई परीक्षा में छात्रों से उपद्रवियों से निपटने के सुझाव पूछे गए हैं. सवाल पूछा गया कि ऐसे हिंसक उपद्रवियों को कैसे विफल किया जाए जो बाहरी ताकतों के प्रभाव में आकर कार्य करते हैं.
प्रश्नपत्र में कहा गया, "अपने शहर के एक दैनिक समाचार पत्र के संपादक को एक पत्र लिखें, और बदमाशों के ऐसे भयानक, हिंसक कृत्यों की निंदा करें जो यह समझने में विफल रहते हैं कि देश व्यक्तिगत लाभ से पहले आता है. सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करना, राष्ट्रीय ध्वज को अपमानित करना और पुलिस कर्मियों पर हमला करना कुछ ऐसे अपराध हैं, जिन्हें किसी भी कारण से उचित नहीं ठहराया जा सकता है."
AIADMK के प्रवक्ता कोवाई सत्यम ने इस मामले पर कहा, "गणतंत्र दिवस की घटना पर अभी जांच जारी है इसलिए अभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचने और उसे बच्चों के बीच रखने में सावधानी बरती जानी चाहिए. प्राइवेट स्कूल द्वारा तैयार किए गए क्वेश्चन पेपर में यह ध्यान नहीं दिया गया और मैं चाहता हूं कि स्कूल प्रशासन ऐसी जानकारी साझा करते समय सचेत रहें."
पूर्व केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने भी इस मामले पर ट्वीट कर खेद जताया है और किसानों के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए सरकार को दोषी ठहराया है.
Shocking to what extent govts can go to mislead young minds! If being called anti-national, Naxal etc wasn’t enough now a class X exam paper calls protesting farmers "violent maniacs who act under external instigation." How many more insults will be heaped on our #farmers? pic.twitter.com/lKcBfX4Aqs
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) February 20, 2021
बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस को कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने ट्रैक्टर रैली आयोजित की थी. इसी दौरान स्थिति बेकाबू हो गई थी और कई जगहों पर हिंसा हुई थी. दर्शन पाल, योगेन्द्र यादव समेत 37 किसान नेताओं के खिलाफ FIR भी दर्ज की गई थी. हालांकि, किसानों का प्रदर्शन अभी तक लगातार जारी है.18 फरवरी को रेल रोककर भी प्रदर्शनकारी किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज किया है.