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क्या है NEP 2020 की क्लस्टर कॉलेज स्कीम? विरोध में आया AADTA, ये है वजह

न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत सरकार अलग अलग विशेषता वाले छोटे-बड़े शैक्षणिक संस्थानों को एक साथ लाकर एक क्लस्टर तैयार करना चाहती है. सरकार इसे छात्र हित के लिए सबसे अच्छा कदम मानती है, वहीं डीयू के कई श‍िक्षक कुछ खास वजहों से इसका विरोध कर रहे हैं. जानिए- क्या है पूरा मामला.

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दिल्ली विश्वविद्यालय
दिल्ली विश्वविद्यालय

सरकार का नई श‍िक्षा नीति 2020 के अंतर्गत कॉलेजों का समूह (क्लस्टर ऑफ कॉलेज) बनाने का प्लान है. योजना के अनुसार, क्लस्टर के जरिये एक कॉलेज के छात्र दूसरे कॉलेज के संसाधनों का इस्तेमाल कर सकेंगे. इससे कम सुविधा वाले संस्थान दूसरे सुविधासम्पन्न कॉलेजों के साथ मिलकर बहुविषयक पाठ्यक्रम भी शुरू कर सकेंगे. इस योजना को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय की अध‍िसूचना पर आम आदमी पार्टी के श‍िक्षक संगठन AADTA ने विरोध कर दिया है. 

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AADTA ने क्लस्टर कॉलेज से संबंधित विश्वविद्यालय की अधिसूचना का कड़ा विरोध जताते हुए कहा है कि न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत डीयू द्वारा निजीकरण और अनुबंध के लिए क्लस्टर कॉलेज योजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है. यह शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता करने वाला विचार है. डीयू की एक्जीक्यूट‍िव कमेटी सदस्य सीमा दास और राजपाल सिंह पवार और एसी सदस्य कपिला मल्लाह, आलोक रंजन पांडे और सीएम नेगी ने इस मुद्दे पर कुलपति को पत्र भी लिखा है.

जमीनी तौर पर कैसे होगा लागू 
संगठन का कहना है कि इस क्लस्टर योजना में भौगोलिक नजदीकी की बात की जा रही है. इसे जमीनी तौर पर देखें तो दिल्ली जैसे शहर में दूरियां हम सब जानते हैं कि बहुत ज्यादा है. उदाहरण के लिए अगर शहीद सुखदेव कॉलेज और भगिनी निवेदिता कॉलेज के बीच में करीब 40 किलोमीटर की दूरी है और उसको तय करने में 2 घंटे से ज्यादा समय लगता है, ऐसे किसी क्लस्टर में छात्रों को किस तरीके का फायदा मिल पाएगा. जबकि कॉलेज लाइफ में पढ़ाई के लिए सबसे ज्यादा जरूरी वक्त और शारीरिक स्वास्थ्य है. इतनी यात्रा करने वाले छात्र किस तरह पढ़ाई कर पाएंगे. 
 
बिना चर्चा आया नोटिफिकेशन 
कुलपति को लिखे पत्र में श‍िक्षकों ने कलस्टर कॉलेज योजना के लिए विश्वविद्यालय की 31 अक्टूबर की अधिसूचना का विरोध कई बिंदुओं पर किया है. जैसे कि संगठन का कहना है कि कोई भी नोटिफिकेशन जारी करने से पहले अकादमिक और कार्यकारी परिषद आदि में चर्चा जरूरी है. ये उन के अधिकार क्षेत्र में हैं. सबसे पहले तो हमें ये कहना है कि इस अधिसूचना के संबंध में संबधित वैधानिक निकायों द्वारा चर्चा और अनुमोदन नहीं किया गया है. 

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इसके अलावा इसकी समय-सारणी, कार्यकारी परिषदों द्वारा तैयार की जानी है, ऐसे में उन्हें वैधानिक निकायों द्वारा अनुमोदित योजना को स्वीकार करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस अधिसूचना के व्यापक निहितार्थ हैं. इसे ईसी, एसी, स्थायी समिति, संकाय, कर्मचारी परिषद आदि जैसे वैधानिक निकायों को दरकिनार करते हुए लागू नहीं किया जाना चाहिए. 

प्रभाव‍ित होगी डीयू की 100 साल पुरानी प्रत‍िष्ठा
इस योजना से कार्यभार में व्यापक और अनावश्यक बदलाव होगा. यह बदलाव शिक्षण पद को अनुबंधिक बनाने वाला होगा. यह ओबीसी विस्तार योजना और ईडब्ल्यूएस योजना के तहत आवश्यक अतिरिक्त पदों का खत्म करने और दूसरी खेप के पदों को रोकने के लिए लागू किया जाने वाला लगता है. आज ऐसे समय में जब शिक्षक-छात्र अनुपात विषमता से जूझ रहा है, यह क्लस्टरीकरण सौ साल पुराने डीयू के शैक्षणिक स्तर और प्रतिष्ठा से गंभीर रूप से प्रभावित करेगा. 

AADTA के मीडिया समन्वयक राजेश झा ने कहा कि यह योजना विश्वविद्यालय में हजारों तदर्थ और अस्थायी शिक्षकों की उम्मीदों पर ग्रहण लगाते हुए, स्थायी नौकरियों की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा. इन श‍िक्षकों के लिए हम लगातार समायोजन की मांग कर रहे हैं. उच्च शिक्षा को केवल कक्षा में व्याख्यान तक सीमित नहीं किया जा सकता है और कैंपस की स्थिर पारिस्थितिकी से संबंधित कई लाभों का त्याग नहीं किया जाना चाहिए. संबंधित योजना द्वारा शिक्षक-छात्र को स्थायी हितधारक के दर्जे से घटाकर प्रवासी पक्षी बना दिया जाएगा. जैसे-जैसे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी, छात्र विशेष रूप से एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, पीडब्ल्यूडी, महिलाओं को दीर्घकालिक नुकसान झेलना होगा. 

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संगठन ने  मांग की है कि विश्वविद्यालय ओबीसी सीट की दूसरी खेप और ईडब्ल्यूएस कोटा (जैसा कि एमएचआरडी के 5 दिसंबर 2019 के पत्र द्वारा वादा किया गया था) के तहत अतिरिक्त पदों को जारी और कॉलेजों के अनुदान में वृद्धि करे. साथ ही इस अधिसूचना को लागू नहीं करके पारंपरिक कैंपस पारिस्थितिकी को मजबूत करे. 

क्या है क्लस्टर कॉलेज स्कीम, समझें 
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्च शैक्षणिक संस्थानों को बहु-विषयक संस्थान में बदलने की योजना तैयार की है. इसमें स्वायत्त कॉलेजों का समूह या क्लस्टर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के अनुरूप तैयार होगा. कॉलेजों के गठबंधन का मकसद अन्य विश्वविद्यालयों, प्रतिष्ठित सरकारी संस्थाओं आदि के साथ गठजोड़ करके अधिक विविधतापूर्ण पाठ्यक्रम पेश करना है. इस योजना के तहत छात्र अपने वर्तमान संस्थान से पाठ्यक्रम का एक हिस्सा पढ़ सकते हैं जबकि दूसरा हिस्सा वे गठबंधन के दूसरे संस्थान से पढ़ सकते हैं. इसके तहत पुस्तकालय, खेल संसाधन, प्रयोगशाला, मैदान, कक्षाएं, सुरक्षा सेवाएं, पार्किंग सहित कॉलेजों की विभिन्न सुविधाएं एक छत यानी एक क्लस्टर के अंतर्गत आ जाएंगे जिसका सभी छात्र उपयोग कर सकेंगे.

 

 

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