भारत में कामकाजी महिलाओं और छात्राओं को मासिक धर्म की छुट्टी (Menstrual Leave) का मामला काफी समय से चला आ रहा है. हाल ही में महिलाओं के मासिक धर्म संबंधित होने वाले दर्द के चलते छुट्टी को लेकर प्रभावी ढंग से निर्देश लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इसी बीच कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (CUSAT) ने पहली बार अपनी छात्राओं को मासिक धर्म की छुट्टी (Menstrual Leave) देने का फैसला किया है.
कोचीन यूनिवर्सिटी की छात्राएं अटेंडेंस में कमी के रूप में मासिक धर्म की छुट्टी का फायदा उठा सकती हैं. प्रत्येक सेमेस्टर में 2% एडिशनल लीव बेनिफिट की अनुमति दी जाएगी.
फिलहाल केवल 75% उपस्थिति वाले ही सेमेस्टर परीक्षा दे सकते हैं. इससे कम अटेंडेंस होने पर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर (वीसी) को लीव एप्लीकेशन में मेडिकल सर्टिफिकेट दिया जाता है. हालांकि मासिक धर्म अवकाश के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. उन्हें सिर्फ आवेदन जमा करना है.
एसएफआई के नेतृत्व में विश्वविद्यालय के छात्र संघ ने मांग की थी कि विश्वविद्यालय को मासिक धर्म की छुट्टी की अनुमति देनी चाहिए. संघ के मांग के बाद यह मासिक धर्म की छुट्टी का फैसला लिया गया.
पिछले महीने केरल में महात्मा गांधी विश्वविद्यालय ने राज्य में पहली बार अपनी पोस्ट ग्रेजुएट छात्राओं को 60 दिनों का मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) देने का फैसला किया था.
बता दें कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कई कंपनियां जैसे मैग्जटर, इंडस्ट्री, एआरसी, इविपनन, जोमैटो, बायजूज, स्विगी, मातृभूमि और गूजूप पेड पीरियड लीव ऑफर करती हैं. वहीं कई देश भी किसी न किसी रूप में मासिक धर्म अवकाश देते हैं.