राजस्थान में कंप्यूटर अनुदेशक पदों पर 10 हजार से ज्यादा पदों पर भर्ती होनी है. राज्य के बेरोजगार आईटी ट्रेंड युवाओं के लंबे संघर्ष के बाद इन पदों पर भर्ती निकाली गई थी. दो महीने पहले इसकी परीक्षा हो गई थी. अब रिजल्ट में देरी के बाद अभ्यर्थियों में फिर से आक्रोश है. सोशल मीडिया पर लगातार ट्रेंड कर रहे 'कंप्यूटर_अनुदेशक_भर्ती_रिजल्ट_जारी_करो' सिर्फ ट्रेंडिंग टॉपिक नहीं बल्कि लाखों अभ्यर्थियों की चिंता है. आइए जानते हैं कंप्यूटर अनुदेशक भर्ती का पूरा मामला क्या है और क्यों इस पर इतनी चर्चा हो रही है.
अभ्यर्थियों का कहना है कि राजस्थान में दूसरी परीक्षाओं के परिणाम 20 दिनों के भीतर जारी हो गए, जबकि कंप्यूटर अनुदेशक परीक्षा को करीब 70 दिन बीत गए लेकिन रिजल्ट जारी नहीं किया गया. राज्य के लाखों स्कूल बगैर कंप्यूटर शिक्षक के चल रहे हैं, वहीं हम भी रिजल्ट नहीं आने से आगे के भविष्य का निर्णय नहीं ले पा रहे हैं.
बता दें कि राजस्थान में 10157 पदों के लिए ये परीक्षा दो माह पूर्व दिनांक 18 जून 2022 को हुई थी. अभ्यर्थी संदीप चौधरी ने कहा कि इस भर्ती को राजस्थान में पहली बार करवाया गया है. पहले ही काफी संघर्ष के बाद ये परीक्षा हो पाई है. इसके अलावा नया सत्र भी स्कूलों में शुरु हो गया है, इसलिए हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द इस भर्ती का रिजल्ट जारी करवाया जाए और नियुक्ति का कार्य पूरा हो.
इसके अलावा मुख्य मांग ये है कि 40% लाकर पास होने वाले अभ्यर्थियों का रिजल्ट तुरंत जारी करके उनकी ज्वाइनिंग की प्रकिया शुरू की जाए. इसके बाद जो सीट खाली बचें, उन पर 40% का नियम हटाकर नीचे वाले अभ्यर्थियों को ज्वाइनिंग दी जाए और पूरे 10000 पद भरे जाएं. अगर सरकार पूरे 10000 पद नहीं भरती है तो इसका यही मतलब निकलेगा कि सरकार की मंशा अभ्यर्थियों को नौकरी देने की नहीं है.
क्या है पूरा मामला:
राजस्थान कंप्यूटर शिक्षक भर्ती संघर्ष समिति के अध्यक्ष दीपेश चौधरी भी कंप्यूटर भर्ती अभ्यर्थी हैं. दीपेश ने aajtak.in से बातचीत में कहा कि ये मुद्दा शुरुआत से अब तक चर्चा में है. इसमें तीन से चार लाख बेरोजगार जुड़े हैं. उन्होंने बताया कि इस भर्ती के लिए दो तरह की वैकेसी निकाली गई थीं, जिसमें बेसिक कंप्यूटर अनुदेशक के लिए बीटेक इन कंप्यूटर साइंस, इंफार्मेशन टेक्नॉलोजी, बीसीए, पीजी डीसीए, ओ लेवल आदि योग्यता मांगी थी. वहीं दूसरी वरिष्ठ कम्प्यूटर अनुदेशक के लिए एमसीए, एमटेक आदि योग्यता की मांग की गई थी.
दीपेश बताते हैं कि हमारा संघर्ष साल 2017 से चल रहा है. शुरुआत साल 2013 में बजट घोषणा पत्र के साथ हुई. जिसमें कहा गया था कि सरकार राजस्थान के स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षक तैनात करेगी. पर वक्त बीतने के साथ जब पद सृजित नहीं हुए तो साल 2019 में कोर्ट केस किया गया जिसमें न्यायालस से मांग की गई कि जब कंप्यूटर शिक्षा दी जा रही है तो कंप्यूटर शिक्षक क्यों नहीं हैं. इसमें सरकार ने तर्क दिया कि इन बच्चों को पहले से नियुक्त शिक्षक पढ़ा रहे, उन्होंने तीन महीने का डिप्लोमा कोर्स किया है. इस पर कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि नौवीं और 11वीं को डिप्लोमा शिक्षक कैसे पढ़ा सकते हैं, इसके लिए कंप्यूटर शिक्षक के पदों पर भर्ती करो.
कोरोना में दो साल अटका मामला
इसके बाद दो साल कारेाना काल में यह मामला आगे खिंच गया. सरकार ने कहा कि कैडर बना रहे. उधर, कोर्ट में भी टाइम मांगते रहे. इसके साथ ही कंप्यूटर शिक्षकों के पदों पर कॉन्ट्रैक्ट पर भर्ती की बात उठी. इस पर शिक्षामंत्री ने का कहना था कि ऐसे ही भर्ती होगी. इस पर युवाओं ने फिर आंदोलन शुरू किया और वो दिल्ली आए. यहां उस वक्त किसान आंदोलन चल रहा था तो युवा उसी में शामिल हो गए. किसान आंदोलन में वेरिफिकेशन करके किसानों ने अपने साथ रहने की इजाजत दे दी. इसके बाद रात में किसानों के साथ रहते थे. दिन में कांग्रेस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करते थे. वहां से पुलिस भगा देती थी.
फिर दो तीन दिन प्रदर्शन करने के बाद हमने पश्चिमी उत्तर प्रदश के गाजीपुर, बागपत, हापुड़ और बुलंद शहर में प्रदर्शन किया. इसके पीछे की वजह ये थी कि जब यूपी में चुनाव थे तो यूपी सरकार संविदा में भर्ती की कोई स्कीम ला रही थी. इस पर कांग्रेस का स्टैंड था कि संविदा भर्ती बेरोजगारों का अपमान है. इस पर हम ये सवाल कर रहे थे कि क्या सिर्फ यूपी में ये अपमान है, राजस्थान के युवाओं का स्वाभिमान नहीं है. इस तरह 26 दिन लगातार गाजीपुर बॉर्डर में रहे फिर पता चला कि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी लखनऊ जा रही हैं तो हम वहां कांग्रेस कार्यालय चले गए.
वहां भी हमारी नहीं सुनी गई, आंदोलनकारियों के साथ बहुत गलत व्यवहार हुआ. लेकिन आखिर में तीसरे दिन प्रियंका गांधी से मिले तो उनसे बताया कि आपके पिता कंप्यूटर लाए थे, कैसे हमारे सपने को तोड़ा जा रहा है. इस पर उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री से बातचीत की और दो ही दिनों में रेगुलर भर्ती की नोटिस निकाली गई जो परमानेंट पदों पर थी. ये भर्ती जुलाई में निकाली गई, फिर सिलेबस अक्टूबर के अंत में आया.
इसके नोटिफिकेशन फरवरी में जारी किए गए. इसका जून में एग्जाम लिया गया. अभ्यर्थियों का आरोप है कि एग्जाम में पेपर बहुत कठिन बनाया गया था. इससे ऐसा अनुमान है कि दो हजार के आसपास अभ्यर्थी ही पास होंगे. अब हम लोग इसमें दो मांगें कर रहे हैं कि जल्द से जल्द रिजल्ट जारी किया जाए, साथ ही कंप्यूटर अनुदेशक के सभी पदों पर भर्ती भी की जाए.
कंप्यूटर अनुदेशक का पेपर काफी कठिन था?
इस भर्ती परीक्षा में बीटेक कंप्यूटर साइंस से लेकर कंप्यूटर के विभिन्न कोर्सेज कर चुके अभ्यर्थियों को योग्य माना गया था. लेकिन इस भर्ती के लिए हुई परीक्षा को अभ्यर्थी काफी कठिन बता रहे हैं. अभ्यर्थी मो अमीन का कहना है कि कंप्यूटर अनुदेशक के 10157 पदों के लिए जो परीक्षा हुई है, रिजल्ट के अनुमान के अनुसार इसमें बहुत कम बच्चे पास हो रहे हैं. परीक्षा में पेपर 2 का स्तर बहुत कठिन रखा गया और परिक्षा होने के 10 दिन बाद अलग से नोटिफिकेशन निकाल कर दोनों पेपर में न्यूनतम 40% की बाध्यता रख दी गई. अब बोर्ड के सूत्रों से खबर मिल रही है कि इस भर्ती परीक्षा से फिलहाल 2000 सीटें भी नहीं भर पा रही हैं. इसलिए अभ्यार्थियों की मांग है कि जल्द से जल्द रिजल्ट जारी हो और सभी 10157 सीटों को भरा जाए.
अभ्यर्थी रमेश चौधरी का कहना है कि कंप्यूटर अनुदेशक भर्ती एग्जाम के बाद ग्राम विकास अधिकारी का एग्जाम हुआ. उसमें ज्यादा लोगों ने एग्जाम दिया, फिर उसका रिजल्ट बोर्ड ने 20 दिन में जारी कर दिया जबकि कंप्यूटर अनुदेशक के एग्जाम हुए 66 से ज्यादा दिन हो गए लेकिन रिजल्ट जारी नहीं किया गया. यह छात्रों के भविष्य से जुड़ा है. यह रिजल्ट प्राथमिकता के साथ तैयार किया जाना था ताकि स्कूलों को भी इसी सत्र में कंप्यूटर शिक्षक मिल सकें.