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JNU में कंप्यूटर ऑपरेटर ने बनाए नौ गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, जानिए- इनकी खासियत

दिल्ली के एक शख्स ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड कई बार रिकॉर्ड बनाने का ही रिकॉर्ड बना लिया. 9 बार दुनिया में रिकॉर्ड बनाकर भारत का नाम ऊंचा करने वाले विनोद चौधरी को किसी भी सरकार ने सम्मानित नहीं किया.

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विनोद कुमार चौधरी अपने परिवार के साथ (Photo:aajtak.in)
विनोद कुमार चौधरी अपने परिवार के साथ (Photo:aajtak.in)

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर ऑपरेटर का काम करने वाले विनोद कुमार चौधरी ने 9 बार गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड किताब में अपना नाम दर्ज कराया है. इसमें कई बार उन्होंने खुद अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा है. जिसने दुनिया में देश का परचम लहराया है वह अपने ही गलियों में गुमनामी की जिंदगी जी रहा है. 

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यह कहानी ऐसे काबिल इंसान की है, जिसने एक दो बार नहीं बल्कि 9 बार गिनीत बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर भारत का नाम रोशन किया है जिसमें कई बार उसने अपने ही रिकॉर्ड को ब्रेक किया है. यह शख्स रिकॉर्ड मेकर है या फिर रिकॉर्ड ब्रेकर यह फैसला करना बहुत मुश्किल है क्योंकि 9 बार गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के बाद भी इस शख्स की चाहत कम नहीं हुई है. अभी और भी आगे रिकॉर्ड बनाने की तैयारी मे है.

लगभग 41 साल के विनोद फिलहाल जेएनयू में कंप्यूटर ऑपरेटर का काम करते हैं. विनोद कुमार चौधरी टाइपिंग की दुनिया में 8 बार विश्व रिकॉर्ड बना चुके हैं. वही 2021 में 1 मिनट में 205 बार टेनिस बॉल उछाल कर नया रिकॉर्ड बनाया है.  रिकॉर्ड बनाने की शुरुआत सन 2014 में हुई थी.

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* 2014 में नाक से की बोर्ड पर टाइप करके इन्होंने 46. 30 सेकंड में 103 वाक्य टाइप किए थे.

* 2016 में एक हाथ से इन्होंने 6.9 सेकंड में A से Z तक टाइप किया था.

* 2016 में ही आंखों में पट्टी बांधकर 6.71 सेकंड में A से Z तक टाइप किया था.

* 2017 मुंह में पेन से टाइपिंग का वर्ल्ड रिकॉर्ड 18.65 सेकंड में बनाया था.

* 2018 में उन्होंने मुंह से टाइप करने के अपने ही रिकॉर्ड को तोड़कर 17 पॉइंट 1 सेकंड में उसे पूरा किया.

* 2019 में एक उंगली से सबसे तेज टाइपिंग करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया.

* 2019 में उन्होंने फिर अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ा और मुंह में पेन रखकर टाइपिंग करने का नया रिकॉर्ड बनाया.

* 2019 में ही एक उंगली से सबसे तेज टाइप करने के अपने ही रिकॉर्ड को दोबारा तोड़कर नया रिकॉर्ड बनाया.

* 2021 में टेनिस बॉल को 1 मिनट में 205 बार हाथों से उछालकर नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया.

बहुत कम ऐसे इंसान है जो अपनी पूरी जिंदगी में महज एक या दो बार या चार बार गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड मे अपना नाम दर्ज करा पाते हैं.  लेकिन विनोद चौधरी ने टाइपिंग की दुनिया में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना एक अलग ही कीर्तिमान स्थापित किया है.  दीवारों पर लगे गिनीज बुक के ये रिकॉर्ड सर्टिफिकेट गवाह है कि इस इंसान की काबिलियत क्या है. फिर भी आइए हम बताते हैं इस इंसान ने इतने बड़े इतने ज्यादा रिकॉर्ड को कैसे बनाया. 

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विनोद कुमार चौधरी बचपन से एक स्पोर्ट्स मैन बनना चाहते थे. मिल्खा सिंह इनके रोल मॉडल हैं. लेकिन परिवार की आर्थिक तंगी ने इन्हें काम करने को मजबूर कर दिया. जिसके बाद से देश का नाम रोशन करने का इनका जुनून थम सा गया था. लेकिन अचानक एक ख्याल के बाद विनोद कुमार ने सोचा कि वह अपने हुनर के बदौलत हीं देश का नाम रोशन कर सकते हैं और उन्होंने यह साबित कर दिखाया. 

नहीं मिला सरकार से कोई सम्मान 

दिल्ली के ऐसे छुपे सुपरस्टार जो युवाओं के रोल मॉडल हो सकते हैं.  जो सही मायने में हीरो कहलाने के हकदार हैं. वह आज इतनी काबिलियत के बाद भी गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं. ना तो उनके पड़ोसी उन्हें जानते हैं ना उनके गली में कोई यह जानता है कि  विनोद कुमार ने देश का नाम कितना ऊंचा नाम किया है.  विनोद कुमार ने यह इच्छा जाहिर की कि जिस तरह से उन्होंने दिल्ली और देश का नाम रोशन किया है. ऐसे में वह सरकार से चाहते हैं कि उन्हें सम्मानित किया जाए. वह इतने स्वाभिमानी है कि उन्हें आर्थिक मदद भी नहीं चाहिए एक छोटे से घर में पूरे परिवार की जिम्मेदारी के साथ साथ वह ऐसा रिकॉर्ड बना रहे हैं. ऐसे में उन्होंने अपील की कि कम से कम दिल्ली सरकार उन्हें सम्मानित करें.

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किसी इंसान के काबिलियत के पीछे उसके परिवार का बड़ा अहम रोल होता है. विनोद कुमार चौधरी अपने इस घर में अपनी पत्नी और चार बच्चों के साथ रहते हैं.  पूरे घर की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर है.  वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए बहुत ज्यादा प्रैक्टिस की जरूरत होती है.  ऐसे में मन और ध्यान के साथ काम करना बेहद जरूरी होता है.इसके लिए विनोद कुमार का परिवार उनकी पूरी मदद करता है और उनके परिवार के लोग भी चाहते हैं कि सरकार इनको सम्मानित करें.

बच्चों को सिखाते हैं कंप्यूटर 

विनोद कुमार अपने ही घर में बच्चों को कंप्यूटर की ट्रेनिंग भी देते हैं.  लेकिन अभी भी यह उम्मीद बाकी है कि आने वाले दिनों में लोग कहेंगे के दिल्ली के व्यक्ति ने रिकॉर्ड बनाने का नहीं बल्कि रिकॉर्ड बनाकर उसे तोड़ना और फिर नया रिकॉर्ड बनाने का ही रिकॉर्ड बना लिया यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

(अमरदीप कुमार की रिपोर्ट)

 

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