जब दिल्ली में कोरोना वायरस चरम पर है, ऐसे में शिक्षकों के आगे दोहरी चुनौती आ गई है. खुद को भी वायरस के संक्रमण से बचाना और साथ ही संक्रमित इलाकों की पहचान करना. राजधानी में कोरोना का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. हर दिन हजारों की संख्या में मामले सामने आ रहे हैं. दिल्ली और केंद्र सरकार मिलकर इस महामारी को रोकने के तमाम कदम उठा रही है. वही सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली के हालात को देखते हुए सरकार से इस पर रिपोर्ट तलब की है.
केंद्र सरकार जहां स्पेशल टीम के जरिए मॉनिटरिंग कर रही है तो वहीं दिल्ली सरकार ने दिल्ली की तंग गलियों में और घने सक्रिय इलाकों में कोरोना वायरस के संक्रमण की संभावनाओं वाले इलाकों में सर्वे शुरू कर दिया है. दिल्ली सरकार की इस मुहिम का हिस्सा बने हैं सरकारी स्कूल के शिक्षक. दिल्ली के सरकारी स्कूल के शिक्षक उत्तरी दिल्ली के गलियों और सक्रिय इलाकों में घर-घर जाकर सर्वे कर रहे हैं. हाथों में थर्मल स्कैनर और ऑक्सीमीटर लेकर शिक्षक डोर टू डोर जाकर लोगों में न सिर्फ कोरोना वायरस के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं बल्कि थर्मल गन और ऑक्सीमीटर के जरिए संक्रमण का भी पता लगा रहे हैं.
उत्तरी दिल्ली के तिलक नगर सुभाष नगर, विष्णु गार्डन, राजौरी गार्डन का राजा गार्डन बेहद घनी आबादी और तंग गलियों वाले इलाकों में से एक है. शिक्षकों की अलग-अलग तीन लोगों की टीम घर-घर जाकर लोगों से अपील करती है कि वह मास्क पहने और सामाजिक दूरी का पालन करें. सर्वे के दौरान शिक्षक घर में रहने वाले लोगों का थर्मल स्कैनर के जरिए तापमान चेक करते हैं और ऑक्सीमीटर के जरिए शरीर में ऑक्सीजन के स्तर की जानकारी जुटाते हैं.
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सरकारी स्कूल में शिक्षक नीता ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा, "हम घर-घर जाकर लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करते हैं साथ ही उनका तापमान चेक करते हैं और ऑक्सीजन स्तर का भी पता लगाते हैं. इससे यह पता लगाया जा सकता है कि किन इलाकों में संक्रमण की संभावना ज्यादा है. अध्यापक विवेक पांडे ने कहा कि संक्रमण से डर तो हमें भी लगता है लेकिन यह जिम्मेदारी बड़ी है इसलिए घर घर जाकर हम इस मिशन को पूरा कर रहे हैं.
एहतियात के नाम पर शिक्षकों की टीम के पास सर्जिकल दस्ताने और चेहरे पर मास्क सैनिटाइजर मौजूद हैं. लेकिन संक्रमण का डर तो सबके भीतर होता है. नीता कहती हैं कि डर तो है लेकिन जिम्मेदारी बड़ी है इसलिए घर जाकर परिवार के सदस्यों से मिलने से पहले हम सावधानी का पूरा ख्याल रखते हैं.
ऐसा नहीं है कि इससे पढ़ाई लिखाई की दिनचर्या पर भी असर पड़ा है. कोरोना के चलते दिल्ली में सभी निजी और सरकारी स्कूल और दूसरे पठन-पाठन संस्थान बंद हैं. लेकिन सरकारी स्कूलों के छात्रों को दिल्ली में फिलहाल ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए तालीम मिल रही है.
सरकारी स्कूल के शिक्षक ऑनलाइन क्लास के जरिए बच्चों को पढ़ा भी रहे हैं तो संक्रमित राजधानी में वायरस के प्रति अभियान भी चला रहे हैं. दिल्ली के सरकारी स्कूल के शिक्षक मनु गुलाटी का कहना है कि हम अपनी क्लासेज भी अटेंड कर रहे हैं और बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए पढ़ाते भी हैं. लेकिन यह जिम्मेदारी भी महत्वपूर्ण है जिसमें हम कोरोना वायरस के प्रति लोगों को घर-घर जाकर न सिर्फ जागरूक करते हैं बल्कि उनकी जांच भी कर रहे हैं.
शिक्षकों के मुताबिक हर दल को 1 दिन में लगभग 60 घरों तक पहुंचना होता है. औसतन 300 लोगों की जांच करनी होती है. इस मिशन के बाद शिक्षक अपनी ऑनलाइन कक्षाएं भी देखते हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं. वायरस के खिलाफ इस जंग में कई बार शिक्षकों की स्कीम को लोगों का साथ मिलता है तो कई बार असहज व्यवहार भी झेलना पड़ता है. मनु का कहना है कि ज्यादातर लोग समझदार हैं और वह इस सर्वे में सारी जानकारियां देते हैं लेकिन कई बार कुछ लोग मिलते हैं जो बात नहीं करना चाहते.
अलग-अलग इलाकों में दिल्ली की तंग गलियों में संक्रमण पर सर्वे कर रहे सरकारी स्कूल के शिक्षक लोगों का गलत मिजाज भी झेलते हैं लेकिन पूरी इमानदारी से इस मिशन में अपना योगदान भी दे रहे हैं. मन में भय भी है, फिक्र भी है लेकिन और सामान्य परिस्थितियों में सरकारी स्कूल के शिक्षक और सामान्य चुनौतियों से भी जूझ रहे हैं.
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