दिल्ली के शिक्षा विभाग ने राज्य के प्राइवेट स्कूलों के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है. दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने सभी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के प्रमुखों को निर्देश दिया है कि वे प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों को एनसीईआरटी और एससीईआरटी द्वारा निर्धारित पाठ्यपुस्तकों के अलावा अन्य पाठ्यपुस्तकों का उपयोग करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते.
बच्चों को मजबूर नहीं कर सकते स्कूल
दिल्ली के शिक्षा विभाग ने आदेश दिया है कि यदि कोई स्कूल बच्चों को प्राथमिक कक्षाओं के लिए NCERT या संबंधित SCERT द्वारा निर्धारित पाठ्यपुस्तकों के अलावा अन्य पाठ्यपुस्तकों का पालन करता है या उन्हें पढ़ने के लिए मजबूर करता है, तो यह RTE अधिनियम, 2009 का उल्लंघन माना जाएगा. इसके अलावा शैक्षणिक प्राधिकरण (NCERT/SCERT) की प्रकाशित या निर्धारित पुस्तकें ले जाने के कारण स्कूल द्वारा किसी भी बच्चे के साथ भेदभाव और/या उत्पीड़न या उपेक्षा नहीं की जाएगी, जिससे उसे 'मानसिक या शारीरिक पीड़ा' हो. बच्चे के खिलाफ की गई कोई भी कार्रवाई किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के अंदर आएगी.
एनसीपीसीआर (राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग) ने 9 अप्रैल, 2024 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सचिव और मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि आरटीई अधिनियम, 2009 के तहत सभी स्कूल में पाठ्यक्रम में एकरूपता हो विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले. एनसीपीसीआर ने कहा था कि निजी स्कूलों में प्राइमरी स्तर पर केवल एनसीईआरटी या एससीईआरटी द्वारा निर्धारित पुस्तक को ही पढ़ाया जाए पालन किया जाएगा। इससे बच्चों के बैग का बोझ भी कम होगा.
अभिभावकों को दी जाएगी सूचना
शिक्षा विभाग के निर्देश के अनुसार, स्कूलों को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वे स्कूल की वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर दिशा-निर्देश प्रदर्शित करें. निर्देशों की एक प्रति स्कूल द्वारा अभिभावकों के बीच सूचना के लिए दी जानी चाहिए. इसके अलावा, स्कूलों के प्रमुखों को यह जानकारी सभी छात्रों, अभिभावकों और स्कूल की प्रबंध समिति के सदस्यों तक पहुंचाने का निर्देश दिया गया है.