दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने सीबीएसई (CBSE) को आठ हफ्ते के भीतर एग्जाम फीस मामले में फैसला लेने का निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने सीबीएसई से आठ हफ्ते के अंदर निर्णय लेने का निर्देश दिया साथ ही कहा कि क्या छात्रों को परीक्षा शुल्क (School Fees) पूर्ण या आंशिक रूप से वापस किया जा सकता है?
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि सीबीएसई के फैसले से संतुष्ट नहीं होने पर याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट में वापस आने की छूट है. हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अपनी मांग सीबीएसई के सामने दोबारा रखने को कहा है. साथ ही हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को संशोधित याचिका दाखिल करने की छूट दी. हाई कोर्ट ने सीबीएसई को निर्देश दिया कि याचिका को एक प्रतिनिधित्व यानी ज्ञापन के रूप में ले और यह तय करे कि याचिकाकर्ता को क्या परीक्षा शुल्क, पूर्ण या आंशिक रूप से 8 हफ्ते में वापस किया जा सकता है.
सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
दिल्ली हाई कोर्ट ने कक्षा 10 और 12 के लिए सीबीएसई की परीक्षा शुल्क वापस करने की मांग वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई की. जस्टिस प्रतीक जालान ने शुरुआत में ही उल्लेख किया कि उनका अपना बेटा कक्षा 10 में है, इसलिए उन्हें मामले में दी गई राहत का प्रत्यक्ष लाभार्थी होने की संभावना है.
इस पर वकीलों ने कहा कि उन्हें जस्टिस जालान की याचिका पर सुनवाई से कोई आपत्ति नहीं है. हालांकि, सीबीएसई ने इस याचिका का विरोध किया. सीबीएसई ने कहा- 'किसी कानूनी अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है, इसलिए इस मुद्दे पर रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है.'
CBSE ने आगे कहा कि सीबीएसई एक स्ववित्तपोषित संस्थान है. इसे केंद्र से फंड नहीं मिलता है, हमारा पूरा कामकाज परीक्षा शुल्क पर निर्भर करता है. ऐसे में याचिका पर सुनवाई न हो. परीक्षाओं के अलावा हमें इंफ्रास्ट्रक्चर भी बनाए रखना होता है जो हम परीक्षा शुल्क से ही करते हैं. इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि ऐसा नही कहा जा सकता है कि CBSE कुछ खर्च नहीं कर रहा है.