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इंटर्नल एसेसमेंट पर 10वीं का रिजल्ट, HC ने CBSE, केंद्र और दिल्ली सरकार से मांगा जवाब

दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीएसई, केंद्र और दिल्ली सरकार को स्कूल द्वारा आयोजित आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर कक्षा 10वीं बोर्ड परीक्षा 2021 के अंकों के सारणीकरण के लिए नीति में संशोधन की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया.

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 दिल्ली हाई कोर्ट
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • CBSE, केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस
  • 10वीं के रिजल्ट पर मांगे जवाब

दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीएसई, केंद्र और दिल्ली सरकार को स्कूल द्वारा आयोजित आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर कक्षा 10वीं बोर्ड परीक्षा 2021 के अंकों के सारणीकरण के लिए नीति में संशोधन की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, हाई कोर्ट ने बोर्ड के साथ केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है.

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एनजीओ जस्टिस फॉर ऑल की तरफ से दाखिल की गई इस याचिका में टेबुलेशन मार्क्स पॉलिसी पर सवाल खड़ा किया गया है. याचिका में कहा गया है कि दसवीं कक्षा में पिछले 3 साल के दौरान पास हुए छात्रों की परफॉर्मेंस के एवरेज के हिसाब से ही किसी स्कूल के छात्र को अधिकतम कितने नंबर दिए जा सकते हैं यह तय होगा.

मसलन अगर किसी निजी स्कूल के 10वीं का पिछले तीन साल का एवरेज 95 फ़ीसदी है तो वहां के छात्र को 95 फ़ीसदी तक मार्क्स दिए जा सकते हैं, लेकिन अगर किसी सरकारी स्कूल का 3 साल का एवरेज 80 फ़ीसदी है तो सरकारी स्कूल का छात्र कितना भी मेघावी हो, उसे 80 फ़ीसदी से ऊपर नंबर नहीं मिलेंगे.

इस याचिका में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील खगेश झा ने कोर्ट से कहा कि किसी स्कूल के 3 साल पहले पास कर चुके छात्रों के आधार पर अभी 10वीं कर रहे छात्र को कितने नंबर दिए जाएं, यह तय कैसे किया जा सकता है? 

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इसके अलावा सीबीएसई की टेबुलेशन मार्क्स पॉलिसी में किसी भी छात्र को जो नंबर मिलेंगे,अगर वो उससे संतुष्ट नहीं है,तो उसको लेकर वह सीबीएसई या फिर स्कूल को दोबारा रिकंसीडर करने या डिटेल मांगने का अधिकार नहीं रखता है. 

मसलन अगर किसी मानवीय भूल के चलते किसी छात्र को 95 फ़ीसदी नंबर मिलने थे और गलत ही से ऑनलाइन माध्यम में शिक्षक ने उसको 75 लिख दिया तो फिर छात्र उसको लेकर ना तो कोई सवाल खड़ा कर सकता है और ना ही नंबरों को बदलने का प्रावधान होगा

फिलहाल सीबीएसई की तरफ से कहा गया है कि 30 जून तक टेबुलेशन मार्क्स पॉलिसी के तहत प्रक्रिया को पूरा करना है, दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में नोटिस तो दिल्ली सरकार केंद्र सरकार और सीबीएसई को जारी कर दिया है लेकिन मामले की अगली सुनवाई अगस्त तक के लिए टाल दी है.

 

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