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दिल्‍ली के पेरेंट्स उठा रहे सवाल, क्‍लासेज हुईं जूम से, तो एग्‍जाम क्‍यों रूम से?

Delhi Parents Association (DPA) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को पत्र लिखकर दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले 9वीं व 11वीं क्लास के बच्चों के ऑनलाइन एग्जाम कराने की अपील की.

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प्रतीकात्‍मक फोटो
प्रतीकात्‍मक फोटो

दिल्ली के प्राइवेट स्कूल 9वीं व 11वीं क्लास के बच्‍चों के सालाना एग्‍जाम ऑफलाइन मोड से करवाने की तैयारी कर रहे हैं. इसी बीच दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन (DPA) ने अभ‍िभावकों की तरफ से दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है.

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एसोसिएशन की अध्‍यक्ष अपराजिता गौतम के अनुसार पत्र में ल‍िखा है क‍ि संगठन के पास पेरेंट्स व बच्चों की लगातार अपील आ रही है. इसी के आधार पर हम आपसे अनुरोध करते हैं कि दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले 9वीं व 11वीं क्लास के बच्चों के ऑनलाइन एग्जाम कराने की घोषणा कीजिए.

उन्‍होंने कहा कि‍ हमारे पास लगातार सैंकड़ों पेरेंट्स और बच्चों की मेल आ रही है और वो सभी इसी बात को लेकर चिंतित हैं कि स्कूल क्यों ऑफलाइन एग्जाम / फिजिकल एग्जाम का दबाब डाल रहे हैं.

अपराजिता ने बताया क‍ि पेरेंट्स कह रहे हैं क‍ि जब पिछले 10-11 महीनों से पढ़ाई ऑनलाइन करवाई गई. जिसकी सफलता का प्रचार व प्रसार सरकार, शिक्षा मंत्री, शिक्षा विभाग व स्कूलों द्वारा हर संभव मंच पर किया गया. अब सवाल उठता है क‍ि ऑनलाइन पढ़ाई के नतीजे सफल रहे तो एग्जाम ऑफलाइन लेने की क्या आवश्यकता है? जिन स्कूलों ने पिछले 10-11 महीनों से पढ़ाई ऑनलाइन करवाई है वो एग्जाम भी ऑनलाइन ही लें. 

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पेरेंट्स का कहना है क‍ि मात्र 15 दिनों के लिए अभ‍िभावकों और बच्‍चों पर दबाब क्यों है. मार्च में बच्चों के फाइनल एग्जाम होते हैं. अगर स्कूल फरवरी के मात्र 15 दिनों में साल भर का कोर्स करवाने का दावा करता है तो आगे पूरे साल भी क्यों न पढ़ाया जाए.

अपराजिता का कहना है कि‍ बच्चों को डाउट क्लियर के नाम पर बुलवाना ये दर्शाता है कि स्कूल कोरोना काल में फेल हो गए हैं. यदि सरकार स्कूलों को खोलने का ऐलान नहीं करती तब भी तो स्कूल ऑनलाइन परीक्षा लेते और बेहतरीन रिजल्ट का दावा करते. 

पत्र में ल‍िखा है क‍ि शिक्षा विभाग के आर्डर के अनुसार 9वीं व 11वीं क्लास के बच्चे पेरेंट्स की अनुमति से ही स्कूल जाएंगे. जबकि कुछ स्कूल अनुमति पत्र के बिना ही बच्चों को स्कूल बुला रहे हैं. सीएम को एक स्‍कूल की श‍िकायत का हवाला भी दिया गया है. पेरेंट्स ऐसोसिएशन का दावा है कि स्कूल द्वारा पेरेंट्स से NOC नहीं मांगा गया. ऐसे ही बहुत से स्कूल हैं जो नियमों की अनदेखी कर रहे हैं.

संगठन ने शि‍कायत की है क‍ि बहुत से स्कूलों ने ऑफलाइन यानी स्कूल खुलने के साथ ही ऑनलाइन क्लास बंद कर दी और व्हाट्सप्प ग्रुप को समाप्त कर दिया. यही नहीं स्कूल में बच्चों को एक साथ बुलाया जा रहा है. जिस तरह शिक्षा विभाग के आर्डर के अनुसार 9वीं व 11वीं क्लास के बच्चे पेरेंट्स की अनुमति से ही स्कूल जाएंगे. फ‍िर भी स्कूलों द्वारा लगातार फ़ोन व msg करके पेरेंट्स पर दबाव बनाया जा रहा है कि वो बच्चों को स्कूल भेजें.

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अपराजिता ने कहा कि‍ ऐसी भी श‍िकायतें आ रही हैं कि‍ न आने पर बच्चों का नाम स्कूल से काटने की धमकी दी जा रही है. स्‍कूल शिक्षा विभाग के किसी आर्डर का हवाला देते हुए कह रहे हैं कि बच्चों की इतने दिन शारीरिक उपस्थिति (physical presence) अनिवार्य है जबकि हालिया ऐसा कोई आदेश नहीं है. यही नहीं केंद्र सरकार लगातार कह रही है कि‍ स्‍कूलों में अटेंडेंस को लेकर किसी तरह दबाव नहीं डाला जाना चाहिए. यदि शिक्षा विभाग ने कोई आदेश निकाला है तो कृपया उसे पब्लिक डोमेन-वेबसाइट पर अपलोड करवाएं.

पेरेंट्स ऐसोसिएशन का कहना है कि‍ बहुत से राज्यों में स्कूल खुलने के बाद सैंकड़ों की संख्या में बच्चों के कोरोना संक्रम‍ित होने की खबरें आ रही हैं. अभी तक ये अटकलें लगाई जा रही थी कि कोरोना संक्रमण बच्चों पर तुलनात्मक रूप से बहुत कम होता है.

एक स्‍कूल के तकरीबन 230 पेरेंट्स ने स्‍कूल भेजने को लेकर अपनी असहमति दर्ज़ करवाई है. संगठन ने कहा कि पेरेंट्स आज भी स्कूलों पर इतना विश्वास नहीं बना पाए हैं. दिल्ली के पेरेंट्स ये एक तरफ़ा निर्णय जो पूर्णतया स्कूलों के व्यापार को ध्यान में रखकर लिया गया है, जबकि सरकार व शिक्षा विभाग का प्रथम कर्तव्य था कि स्कूल खुलने से सम्बंधित पहले अभिभावकों की राय ली जाती.
  
इन सब अनियमितताओं के चलते बहुत से बच्चे आज मानसिक दबाब व तनाव में हैं. हमारा आपसे अनुरोध है कि बच्चों के सुरक्षित, सुखद और उज्जवल भविष्य को ध्यान में रखते हुए, उनकी मानसिक स्थिति को समझते हुए, आप दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले 9वीं व 11वीं क्लास के बच्चों के ऑनलाइन एग्जाम की घोषणा कर उनको मानसिक तनाव से मुक्त करें.

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