दिल्ली नोएडा के 80 से ज्यादा स्कूलों को सुबह ईमेल के जरिये बम की धमकी मिलने के बाद से हड़कंप की स्थिति बन गई. कई स्कूलों ने अभिभावकों को मैसेज भेजा कि अपने बच्चे को स्कूल से ले जाएं. स्कूल पहुंचे अभिभावकों को जब बम की सूचना की खतृबर मिली तो वो बहुत परेशान हो गए.
वहीं बच्चे भी इस घटनाक्रम से भयभीत नजर आ रहे थे. ऐसे समय में अभिभावक के तौर पर कई बार हम सोच नहीं पाते कि कैसे व्यवहार करें. बच्चे में किसी तरह का भय मन में जगह न बनाए, इसके लिए क्या करें? मनो रोग विशेषज्ञ कहते हैं कि इस स्थिति में सबसे पहले बच्चों को नॉर्मल तरह से डील करना चाहिए.
IHBAS हॉस्पिटल दिल्ली के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ ओमप्रकाश ने aajtak.in से बताया कि जब बच्चों को झूठे बम धमकी के बाद कोई सलाह देनी हो, तो उन्हें आश्वस्त करना और स्थिति को समझाना महत्वपूर्ण है, बिना उन्हें और अधिक चिंतित किए. वो बच्चों को डील करने के लिए ये छह टिप्स दे रहे हैं.
1. सुरक्षा की आश्वासन दें: सबसे पहले आप बच्चे को आश्वस्त करें कि वे सुरक्षित हैं और धमकी असली नहीं थी. समझाएं कि कई लोगों ने मिलकर, जिसमें पुलिस और अन्य बड़े शामिल हैं, सभी को सुरक्षित रखने के लिए काम किया.
2. भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें: उन्हें बताएं कि वे जो महसूस कर रहे हैं उसके बारे में बात करना और आपके साथ साझा करना ठीक है. उन्हें अपनी भावनाओं को बोलकर, ड्राइंग करके या अन्य किसी पसंदीदा गतिविधि के जरिए व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें.
3.नियमित दिनचर्या का पालन करें: उन्हें जितना संभव हो सके उनकी सामान्य गतिविधियों और दिनचर्या में वापस लाने में मदद करें. नियमितता से आराम और सामान्यता का अहसास होता है.
4. मीडिया के संपर्क को सीमित करें: खबरों और सोशल मीडिया के संपर्क को कम से कम रखें, क्योंकि ये कभी-कभी डर को बढ़ा सकते हैं या जो हुआ उसके बारे में गलतफहमियां पैदा कर सकते हैं.
5. सुरक्षा कौशल सिखाएं: इस अवसर का उपयोग करके उन्हें आपातकालीन स्थितियों में क्या करना है इसके बारे में सुरक्षा के उपाय सिखाएं. इससे वो खुद को अधिक तैयार और कम डर महसूस कर पाते हैं.
6. व्यवहार में बदलाव पर नज़र रखें: उन्हें बताएं कि अगर वे बहुत डरे हुए महसूस करते हैं, सोने में परेशानी होती है, या व्यवहार में कोई बदलाव आता है, तो आप मदद के लिए उपलब्ध हैं. यह जानना महत्वपूर्ण है कि जब उन्हें जरूरत हो, तब मदद उपलब्ध है.इन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके, आप बच्चों को घटना के बारे में उनकी भावनाओं को संभालने में मदद कर सकते हैं और उनकी लचीलापन को बढ़ावा दे सकते हैं.
भोपाल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि बच्चों के साथ उनके बौद्धिक और एकेडमिक स्तर के आधार पर ही बातचीत करें. बच्चों को ये भी बताएं कि कैसे अधिकतर यही होता है कि ये कॉल फेक होती हैं. उन्हें सुरक्षा का अहसास कराएं कि कैसे स्कूल ने पहले ही बच्चों को मैसेज भेज दिया.
क्या है मामला
पुलिस ने अभिभावकों से कहा कि वे इस स्थिति में बिल्कुल नहीं घबराएं.अब इस मामले में जांच पूरी हो गई है और पुलिस ने धमकी भरे ईमेल को फेक बताया है. पुलिस का कहना है कि धमकी वाले किसी भी स्कूल में कुछ नहीं मिला है. स्कूलों में बम की खबर मिलने की घटना पर गृह मंत्रालय ने लगातार नजर बनाए रखी थी. साइबर टीम आईपी एड्रेस तलाशने में जुटी है. पुलिस पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर किस आईपी एड्रेस से मेल किया गया है. इस मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को जांच में लगाया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कई स्कूलों में बम की धमकी भरे ईमेल मामले पर कहा कि डरने की जरूरत नहीं है. ये हॉक्स मेल भी हो सकता है. दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां प्रोटोकॉल के तहत जरूरी कदम उठा रही है.