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पश्चिम बंगाल ने राज्य नई शिक्षा नीति (State Education Policy) का अनावरण किया है. सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इसे "समावेशी शिक्षा की दिशा में साहसिक कदम" बताते हुए स्वागत किया है. राज्य सरकार ने अपनी एसईपी में सभी छात्रों के लिए उच्च स्तर की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्री-प्राइमरी से लेकर हायर एजुकेशन लेवल तक अपनी मौजूदा शिक्षा प्रणाली को लागू करने का फैसला किया है, जोकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) से अलग होगी.
दरअसल, भारत सरकार ने 34 साल से चली आ रही राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बदलकर नई शिक्षा नीति की घोषणा की है. केंद्रीय मंत्रीमंडल ने 29 जुलाई 2020 को इसकी मंजूरी दी थी. नई शिक्षा नीति पिछली राष्ट्रीय शिक्षा नीति-1986 की जगह लेगी. इस नीति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य है कि छात्रों को पढ़ाई के साथ साथ किसी लाइफ स्किल से सीधा जोड़ना. इस बीच पश्चिम बंगाल ने राज्य शिक्षा नीति का नोटिफिकेशन जारी किया है.
5+4+2+2 और 5+3+3+4 फॉर्मेट
पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि एसईपी (स्टेट एजुकेशन पॉलिसी) ने स्कूली शिक्षा के लिए 5+4+2+2 फॉर्मेट को जारी रखने की अधिसूचना जारी की है. उन्होंने कहा, 'नीति में प्री-प्राइमरी के एक साल, कक्षा 4 तक प्राइमरी के चार साल, कक्षा 5 से 8 तक के चार साल, सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी के दो-दो साल की शुरुआत की गई है.' उन्होंने कहा कि मौजूदा ढांचे में एकमात्र बदलाव आंगनवाड़ी केंद्र में पहले दो साल की शिक्षा को शामिल करना है, उसके बाद प्री-प्राइमरी के एक साल को शामिल करना है. लेकिन प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक की बाकी संरचना बनी रहेगी.
वहीं नई शिक्षा नीति में 10+2 के फॉर्मेट को पूरी तरह खत्म करके 5+3+3+4 फॉर्मेट में ढाला जाएगा. इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे. फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा. इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12). इसके अलावा स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा, छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें, वो ले सकते हैं.
त्रिभाषा नीति
पश्चिम बंगाल की स्टेट एजुकेशन पॉलिसी (SEP) में तीन-भाषा फॉर्मूले के बारे में कहा गया है, 'इसे बुनियादी ढांचे की उपलब्धता के आधार पर कक्षा 5 से 8 तक के छात्रों के लिए पेश किया जाएगा. जबकि पहली भाषा के रूप में मातृभाषा, बंगाली मीडियम में बांग्ला, नेपाली मीडियम में नेपाली, हिंदी मीडिया के स्कूलों में हिंदी भाषा को एक विषय के तौर पर अन्य माध्यम के छात्रों के लिए कक्षा एक से शुरू किया जा सकता है. यह क्षेत्र की भाषाई और जातीय प्रोफ़ाइल द्वारा भी निर्धारित की जाएगी, दूसरी भाषा छात्र की प्राथमिकताओं के आधार पर पहली भाषा के अलावा कोई अन्य भाषा (स्थानीय माध्यमों के लिए अंग्रेजी सहित) होगी. तीसरी भाषा- पहली और दूसरी भाषा के अलावा छात्र द्वारा चुनी गई कोई भी अन्य भाषा हो सकती है.
वहीं राष्ट्रीय शिक्षा नीति में दो भाषाओं के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया है. पहली से पांचवीं तक जहां तक संभव हो मातृभाषा का इस्तेमाल शिक्षण के माध्यम के रूप में किया जाए. जहां घर और स्कूल की भाषा अलग-अलग है, वहां दो भाषाओं में पढ़ाई होगी-एक मातृभाषा और दूसरी क्षेत्रीय भाषा. भारत मंडपम में अखिल भारतीय शिक्षा समागम 2023 का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जानकारी दी थी कि शिक्षा क्षेत्रीय भाषाओं में दी जानी है इसलिए पुस्तकें 22 भारतीय भाषाओं में भी होंगी. उन्होंने कहा था कि युवाओं को उनकी प्रतिभा की जगह उनकी भाषाओं के आधार पर जज किया जाना उनके साथ सबसे बड़ा अन्याय है.
परीक्षा
जहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित करने का प्लान है. वहीं बंगाल की नई शिक्षा नीति में 11वीं और 12वीं की सेमेस्टर परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने अगस्त 2023 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) के अनुरूप स्कूली शिक्षा के लिए नया पाठ्यक्रम ढांचा (new curriculum framework) लॉन्च किया था. इसमें छात्रों को साल में दो बार बेस्ट स्कोर लाने का मौका मिलेगा. कक्षा 11,12 में विषयों का चयन केवल स्ट्रीम तक ही सीमित नहीं रहेगा, छात्रों को चयन में लचीलापन मिलेगा.
वहीं बंगाल की एसईपी के अनुसार कक्षा 11 और 12, चरणबद्ध तरीके से स्कूल से विश्वविद्यालय में बदलाव को आसान बनाने के लिए सेमेस्टर स्तर की परीक्षाओं को निर्दिष्ट किया गया है. दो सेमेस्टर में मल्टीपल चॉइस क्वेश्चन और डिस्क्रिप्टिव क्वेश्चन होंगे.
स्किल एजुकेशन
सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जाए. इसके लिए एनरोलमेंट को 100 फीसदी तक लाने का लक्ष्य है. इसके अलावा स्कूली शिक्षा के निकलने के बाद हर बच्चे के पास लाइफ स्किल भी होगी. जिससे वो जिस क्षेत्र में काम शुरू करना चाहे, तो वो आसानी से कर सकता है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति इंडस्ट्री को अनुसंधान और इनोवेशन से जोड़ने पर जोर देती है. इसी तरह बंगाल की एसईपी में भी छात्रों के समग्र विकास पर ध्यान दिया गया है. एसईपी, एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज और करियर काउंसलिंग पर जोर देती है.
बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अपनी प्रतिक्रिया के बारे में राज्य का मार्गदर्शन करने के लिए अप्रैल 2022 में प्रतिष्ठित शिक्षाविदों की विशेष समिति में गायत्री चक्रवर्ती स्पिवक, सुगाता बोस, सुरंजन दास शामिल हैं, जिसे 29 जुलाई को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था. समिति ने इस साल की शुरुआत में पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. राज्य सरकार ने विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर राज्य शिक्षा नीति, 2023 के मसौदे को अंतिम रूप दिया है.