दिल्ली यूनिवर्सिटी में सैलरी को लेकर संग्राम और बढ़ता जा रहा है. दरअसल दिल्ली सरकार से फंडिंग वाले 12 कॉलेजों में प्रोफेसर और बाकी स्टाफ को पिछले लगभग 5 महीने से सैलरी नहीं मिली है. इसे लेकर काउंसिल के सदस्यों ने प्रशासन के रवैये पर सवाल उठाए और ये तक कहा कि सैलरी देने की जिम्मेदारी हालांकि दिल्ली सरकार की है लेकिन फिर भी वह उपराज्यपाल अनिल बैजल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से फिर वक्त मांगेंगे ताकि इस समस्या का जल्द कोई समाधान निकाल लिया जाए.
दिल्ली यूनिवर्सिटी एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य राजेश झा ने आजतक को बताया कि हालांकि मुद्दे तो कई थे, लेकिन दिल्ली सरकार के साथ सैलरी को लेकर गतिरोध का मुद्दा सबसे ज़्यादा अहम था. हमने वाइस चांसलर को कहा कि एग्जीक्यूटिव काउंसिल दिल्ली सरकार से मिलना चाहती है क्योंकि एम्प्लायर दिल्ली यूनिवर्सिटी है.
इसी मसले पर प्रशासन ने हमें ये आश्वासन दिया कि हम मीटिंग के लिए जल्दी ही चिट्ठी लिखेंगे. दरअसल इसी मुद्दे को लेकर पिछले हफ्ते दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिक्षकों ने 3 दिन की हड़ताल भी की जिसके बाद दिल्ली सरकार की ओर से उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेस कांफ्रेस कर कहा था कि कॉलेजों के खातों का ऑडिट करवाया जा रहा है. उन्होंने कहा क्योंकि कुछ कॉलेजों में वित्तीय गड़बड़ियों की भी शिकायत है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी के इन 12 कॉलेजों का मसला फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट में भी चल रहा है. कोर्ट ने भी इस मामले की सुनवाई गुरुवार को करने का फैसला लिया है जहां इन कॉलेजों से जुड़े 8 शिक्षकों ने एक याचिका लगाई है. जिन कॉलेजों को लेकर ये पूरा मामला तूल पकड़ रहा है वो हैं, आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, डॉ भीमराव अंबेडकर कॉलेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज, भास्कराचार्य कॉलेज ऑफ अप्लायड स्टडीज़, दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज, अदिति महाविद्यालय, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंस, केशव महाविद्यालय, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, महर्षि वाल्मीकि कॉलेज ऑफ एजुकेशन, शहीद राजगुरु कॉलेज ऑफ अप्लायड साइंसेज और शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज.