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DUSU की मांग: कोविड में पेरेंट्स को खोने वाले छात्रों की फीस वापस करे डीयू

कोविड-19 महामारी के कारण एकेडमिक इयर में पैदा हुई मुश्किलों पर चर्चा के लिए छात्रसंघ ने कॉलेज छात्र निकायों के साथ बैठक के दौरान मांग की.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ ने रविवार को कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) को उन छात्रों की फीस वापस करनी चाहिए, जिन्होंने अपने माता-पिता या अभिभावकों को COVID-19 में खो दिया है. एक बयान के अनुसार अंतिम वर्ष के छात्र जो कोविड ​​​​-19 स्थिति के कारण ओपन-बुक एग्जाम (ओबीई) नहीं दे पाएंगे, उन्हें एक और मौका दिया जाना चाहिए और परीक्षा दो चरणों में आयोजित की जानी चाहिए.  

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कोविड-19 महामारी के कारण एकेडमिक इयर में उत्पन्न होने वाले मुद्दों पर चर्चा करने के लिए संघ ने कॉलेज छात्र निकायों के साथ बैठक के दौरान ये मांग की. एक संयुक्त बयान में डूसू अध्यक्ष अक्षित दहिया, उपाध्यक्ष प्रदीप तंवर और संयुक्त सचिव शिवांगी खारवाल ने कहा क‍ि हम दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रत्येक छात्र तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. 

साथ ही ये भी सुनिश्चित करेंगे कि हरेक छात्र की चिंता को ध्यान में रखा जाए. बैठक में इन बिंदुओं पर विचार किया गया कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए हर तरह से काम करेंगे कि सभी शिकायतें दूर की जा सके और यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि समाधान अच्छी तरह से किया जाए. 

बयान में कहा गया है कि बैठक में उठाए गए मुद्दों में असाइनमेंट-आधारित परीक्षा (एबीई) का चयन करने वाले छात्रों को अपना असाइनमेंट जमा करने का एक और मौका दिया जाए और उपस्थिति मूल्यांकन के अनुपात में नहीं होनी चाहिए. बैठक की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) के अध्यक्ष दहिया ने की और 52 अन्य कॉलेज छात्र संघों ने भी इसमें भाग लिया. 

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इसके अलावा अंतिम वर्ष के छात्र जो ओपन-बुक परीक्षा (ओबीई) देने में सक्षम नहीं होंगे, उन्हें एक और मौका दिया जाना चाहिए. इसलिए ओबीई को दो चरणों में आयोजित किया जाना चाहिए. एक आम राय यह भी थी कि एबीई देने वाले छात्रों के लिए परीक्षा शुल्क में शत-प्रतिशत छूट दी जानी चाहिए. 

बयान में कहा गया है कि कोविड​​​​-19 महामारी में अपने माता-पिता या अभिभावकों को खोने वाले सभी लोगों की फीस वापस करने के कदम विश्वविद्यालय द्वारा उठाए जाने चाहिए. बैठक के दौरान नेत्रहीन छात्र-लेखक की फीस मंजूर नहीं होने और ओपन बुक परीक्षा के लिए दो विकल्प देने पर भी चर्चा हुई.

 

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