Priyanka Gandhi on CBSE Question: CBSE एक बार फिर से सुर्खियों में है और इस बार वजह है कक्षा 10वीं का अंग्रेजी का पेपर. इस बार कक्षा 10वीं के अंग्रेजी के पेपर में दिए गए एक पैसेज के महिला अधिकार विरोधी होने के चलते विवाद हो रहा है. लोगों का कहना है कि बोर्ड बच्चों में महिलाओं के प्रति 'प्रतिगामी' सोच विकसित कर रहा है.
पैसेज के कई अंशों को सोशल मीडिया पर शेयर कर लोग अपना गुस्सा दर्ज कर रहे हैं. इस पैसेज में यह कहा गया है कि घर में पत्नियों को ज्यादा अधिकार मिलने से बच्चे बिगड़ने लगे हैं. पैसेज में 'emancipation of the wife', 'formal obedience', 'master of the house' और 'children and servants' जैसी बातों पर आपत्तियां उठ रही हैं.
सीबीएसई कक्षा 10 अंग्रेजी की परीक्षा 11 दिसंबर, 2021 को आयोजित की गई थी. जैसे ही परीक्षा समाप्त हुई, इंटरनेट पर पेपर के स्क्रीनशॉट शेयर होने लगे. लोगों ने बच्चों से ऐसे सवाल पूछे जाने को बेहद गलत बताया और cbseindia29 को टैग कर रोष जताया. इसके बाद प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस पेपर का स्क्रीनशॉट शेयर कर इसे बोर्ड और सरकार की महिला विरोधी सोच बताया.
Unbelievable! Are we really teaching children this drivel?
Clearly the BJP Government endorses these retrograde views on women, why else would they feature in the CBSE curriculum? @cbseindia29 @narendramodi?? pic.twitter.com/5NZyPUzWxz
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) December 13, 2021
वहीं राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि जहां एक ओर पूरा पेपर काफी ज्यादा मुश्किल था, वहीं कॉम्प्रहेंशेन पैसेज तो सबसे ज्यादा बकवास था. RSS-BJP बच्चों के मोराल और भविष्य दोनो को बर्बाद करने पर तुले हैं. उन्होंने बच्चों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि कड़ी मेहनत से सफलता मिलती है, कट्टरता से नहीं.
वहीं, एक ट्विटर यूजर ने लिखा, "यह बकवास और प्रतिगामी सोच, नारीवाद को किशोरों की वर्तमान पीढ़ी में अनुशासन की कमी के लिए जिम्मेदार ठहराता है और एक ही बार में महिलाओं, किशोरों और घर के नौकरों का अपमान करता है. CBSE को इस पर माफी मांगनी चाहिए."
CBSE ने कहा है कि इस मामले को जल्द ही विषय विशेषज्ञों के पास भेजा जाएगा. बोर्ड ने माना है कि कल आयोजित CBSE कक्षा 10 के प्रथम सत्र के अंग्रेजी के पेपर के एक सेट में कुछ अभिभावकों और छात्रों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है, जिसमें कहा गया है कि 'यह प्रतिगामी धारणाओं का समर्थन करता है और परिवार और कथित तौर पर लैंगिक रूढ़िवादिता को बढ़ावा देता है.' बोर्ड इस पर जल्द विचार करेगा.