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अशोका यूनिवर्सिटी में बवाल जारी, प्रताप भानू मेहता के बाद अरविंद सुब्रमण्यम का भी इस्तीफा

अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा कि‍ भले ही अशोका यूनिवर्सिटी निजी हैसियत और निजी पूंजी के समर्थन से चल रहा है, फिर भी अब अकादमिक अभिव्यक्ति के लिए यहां जगह नहीं मिल सकती है.

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अरविंद सुब्रह्मण्यम
अरविंद सुब्रह्मण्यम

पॉलिटिकल साइंटिस्ट प्रताप भानु मेहता के बाद पूर्व CEA अरविंद सुब्रह्मण्यम ने भी अशोका यूनिवर्सिटी से इस्‍तीफा दे दिया है. उनका ऐसा दावा है क‍ि प्रो भानु मेहता को दबाव डालकर हटाया गया है. अरविंद सुब्रह्मण्यम ने कहा कि‍ भले ही अशोका निजी हैसियत और निजी पूंजी के समर्थन से चल रहा है लेकिन अशोका यूनिवर्सिटी में अकादमिक फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन नहीं है और आजादी न मिलना बुरी तरह से परेशान कर रहा है.

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सुब्रह्मण्यम का इस्तीफा प्रताप भानु मेहता के इस्तीफे के दो दिन बाद आया है. प्रो अरविंद के द हिंदू में प्रताप भानु के इस्‍तीफे पर छपे बयान के अनुसार उन्‍होंने कहा कि इस तरह की जिसने अशोका को एक गहरा विजन दिया उन पर विश्वविद्यालय छोड़ने का दबाव डालना परेशान कर रहा है. इन सबसे ऊपर अशोका के इस विजन के लिए लड़ने और उसे बनाए रखने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता अब सवालों के घेरे में है, ऐसे में अब अशोका का हिस्सा बने रहना मेरे लिए मुश्किल है.

उन्‍होंने कहा क‍ि प्रोफेसर मेहता का पत्र उनके जाने के पीछे के कारणों की जानकारी देता है. उन्होंने विश्वविद्यालय कुलपति मालाबिका सरकार को लिखा कि “विश्वविद्यालय के संस्थापकों के साथ बैठक के बाद यह मुझे बिल्‍कुल स्पष्ट हो गया है कि विश्वविद्यालय के साथ मेरा जुड़ाव एक राजनीतिक दायित्व माना जा सकता है. स्वतंत्रता के संवैधानिक मूल्यों और सभी नागरिकों के लिए समान सम्मान का प्रयास करने वाली राजनीति के समर्थन में मेरा सार्वजनिक लेखन, विश्वविद्यालय के लिए जोखिम उठाने के लिए माना जाता है. विश्वविद्यालय के हितों में, मैं इस्तीफा देता हूं. 

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बता दें क‍ि पॉलिटिकल साइंटिस्ट प्रताप भानु मेहता ने अशोका यूनिवर्सिटी से 16 मार्च को इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्‍तीफे के ठीक दो दिन बाद अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमण्यम ने अशोका यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर पद से इस्तीफा दे दिया. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सुब्रमण्यम ने पिछले साल जुलाई में यूनिवर्सिटी ज्वाइन की थी. वो यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट में प्रोफेसर थे. वो न्यू अशोका सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी के फाउंडर डायरेक्टर भी रहे हैं.

पढ़िए प्रताप भानु का पूरा इस्‍तीफा

'मैं अशोका यूनिवर्सिटी से प्रोफेसर के पद से इस्तीफा देने के लिए लिख रहा हूं. फाउंडर्स से मिलने के बाद ये साफ हो गया है कि यूनिवर्सिटी से मेरा संबंध पॉलिटिकल लायबिलिटी समझा जा सकता है. मेरा सार्वजानिक लेखन जो उस राजनीति के समर्थन में है, जो आजादी और सभी नागरिकों के लिए बराबर सम्मान के संवैधानिक मूल्यों का सम्मान करती है, उसे यूनिवर्सिटी के लिए खतरा समझा जाने लगा है. यूनिवर्सिटी के हित में मैं इस्तीफा देता हूं. मैं निवेदन करता हूं कि इस्तीफा त्वरित प्रभाव से हो. मैं एक क्लास पढ़ा रहा हूं और बच्चों को बीच में नहीं छोड़ना चाहता. लेकिन मुझे लगता है कि यूनिवर्सिटी कोई उपाय खोज लेगी. अगर कोई उपाय नहीं निकलता है तो मैं अनौपचारिक रूप से बाकी क्लास खत्म कर सकता हूं.

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अशोका में अच्छे साथी और छात्रों से मिलना बहुत अच्छा रहा है. मैं उम्मीद करता हूं कि इंस्टीट्यूट कामयाब रहे. मैं आपका और चांसलर का अशोका में रहने के दौरान निजी अनुकंपा के लिए धन्यवाद करता हूं.

ये साफ है कि मेरा अशोका से जाने का समय आ गया है. एक उदार यूनिवर्सिटी को पनपने के लिए उदार राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ की जरूरत होती है. मुझे उम्मीद है कि यूनिवर्सिटी ऐसा माहौल बनाने में भूमिका निभाएगी. नीत्शे ने एक बार कहा था, "यूनिवर्सिटी में सच के लिए जिंदा रहना मुमकिन नहीं." मैं उम्मीद करूंगा कि ये भविष्यवाणी सच न हो. लेकिन मौजूदा माहौल की रोशनी में प्रशासन और फाउंडर्स को अशोका के मूल्यों के लिए एक नई प्रतिबद्धता चाहिए होगी और अशोका की आजादी के लिए एक नया सहस.

मेरा एक निवेदन है कि प्रशासन सभी ट्रांजिशन औपचारिकताएं आसानी से करने में सहयोग दे. अगर मेरे ड्राइवर गजेंद्र साहू के लिए कोई व्यवस्था हो पाए, तो मैं बहुत आभारी रहूंगा. उन्होंने मेरे साथ नौकरी बदली हैं और उनको सजा नहीं मिलनी चाहिए. अगर उन्हें कुछ अंतरिम मदद दी जा सके, जब तक कि मैं कोई दूसरी व्यवस्था न कर दूं तो मैं आभारी रहूंगा. मैं हमेशा अशोका के मूल्यों का समर्थक रहूंगा. कृपया अशोका के सभी छात्रों, स्टाफ और फैकल्टी तक मेरा आभार पहुंचा दें. वो सभी हमेशा पेशेवर, सहायक और उदार रहे हैं. मैं एक हार्ड कॉपी भी साइन करके आपको भेज दूंगा. लेकिन इस मेल को मेरा इस्तीफा समझा जाए.

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