
Shiksha Udaan Aeroplane Library: अगर इंसान के अंदर कुछ कर गुजरने का हौसला हो और उड़ान भरने की चाहत तो वे अपने मुकाम को हासिल कर ही लेता है. इसी कहावत को चरितार्थ करता समस्तीपुर जिले के मोहिउद्दीन नगर में बना एक सरकारी स्कूल का हवाई जहाजनुमा पुस्तकालय आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. बता दें कि जिले के मोहिउद्दीननगर स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय सिवैसिंहपुर की चर्चा आम हो गई है. यहां के हेडमास्टर ने स्कूल परिसर के अंदर एक हवाई जहाजनुमा पुस्तकालय सह स्मार्ट क्लास का निर्माण कराया है.
इसका नाम 'शिक्षा उड़ान' रखा गया है. इस पुस्तकालय का आकार पूरी तरह हवाई जहाज के रूप में दिया गया है. इसे ऐसा बनाया गया है जिसमें स्कूल के छात्र छात्राएं बैठकर पुस्तक का अध्ययन करने के साथ साथ समार्ट क्लास के माध्यम से पढ़ाई भी कर सकते हैं. यह हवाई जहाजनुमा शिक्षा उड़ान जिले का पहला पुस्तकालय है जो लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इसमें बैठकर छात्र हवाई जहाज में बैठने जैसा आनंद उठा सकतें है.
यह 'शिक्षा उड़ान' सरकारी स्कूल के एक छोटे से छत पर बनाया गया है. इसमें हवाई जहाज का पहिया भी दर्शया गया है और इस विमान में चढ़ने के लिए सीढ़ियों के साथ साथ दरवाजे भी लगाए गए है. आधुनिक लाइटिंग सिस्टम से सजाया गया विमान देखने लायक है.
विधायक ने किया शिक्षा उड़ान पुस्तकालय का उदघाटन
मोहिउद्दीननगर प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, सिवैसिंहपुर में बने शिक्षा उड़ान पुस्तकालय का स्थानीय विधायक राजेश कुमार सिंह ने फीता काटकर उदघाटन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस सरकारी विद्यालय के अंदर बना हवाई जहाजनुमा शिक्षा उड़ान की कलाकृति से अन्य स्कूलों को भी सीख लेने की जरूरत है. इससे छात्रों को स्कूल आने की प्रेरणा मिलेगी. यह कार्य सम्पूर्ण क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है.
क्या कहते है स्कूल के हेड मास्टर?
स्कूल के हेडमास्टर मेघन सहनी कहते हैं, "कुछ स्कूलों में शिक्षा एक्सप्रेस सहित अन्य स्कूलों में बने आर्किटेक देखकर मुझे भी कुछ करने की इच्छा शक्ति जगी, लेकिन सरकारी स्तर पर इस तरह का कुछ करने के लिए राशि की व्यवस्था नहीं थी. फिर हमने ठान लिया कि इसे अपने निजीकोष से बनाएंगे और शिक्षा उड़ान आज बनकर तैयार हो गया है. इसे बनाने में दो लाख रुपए से अधिक राशि लगी है. छात्रों को आकर्षित करने के लिए हमने यह कदम उठाया था. स्कूल का ये भवन बिल्कुल क्षतिग्रस्त था लेकिन अब लगता है कि यह हम कहा आ गए हैं. जैसे कोई सपना हो.