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मैन्युफैक्चरिंग से लेकर सेल्‍स तक, इस कपंनी में केवल महिलाएं ही संभालती हैं काम, 5 हजार लड़कियां बन रहीं आत्‍मनिर्भर

गुजरात की इस कंपनी में लड़कियां ही मैन्युफैक्चरिंग यूनिट संभाल रही है और साथ ही साथ सेल्‍स से लेकर मार्केटिंग तक का काम भी वही देख रही हैं. खास बात यह है कि यह लड़कियां और महिलाएं ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि जिस क्षेत्र में वह रहती हैं वहां पर सुविधाओं की कमी है.

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गुजरात की इस कंपनी में 95 प्रतिशत हैं महिला कर्मचारी
गुजरात की इस कंपनी में 95 प्रतिशत हैं महिला कर्मचारी

गुजरात के कच्छ जिले के भचाऊ गांव में एक ऐसी कंपनी भी है, जहां पर अधिकांश महिलाएं ही काम करती हैं. यहां पर महिलाओं को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाने की मुहिम 1971 में शुरू हुई थी. तब से लेकर अब तक यहां पर महिलाएं ही इस कंपनी को चला रही हैं. अब तस्वीर इतनी बदल चुकी है कि इस पूरी कंपनी को 95% महिलाएं ही संचालित कर रही हैं. पूरी कंपनी में कुल 5000 लड़कियां काम कर रही हैं.

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इस फैक्टरी में ट्यूबलाइट से लेकर बल्ब और अन्य इलेक्ट्रिक सामान बनाने का काम किया जाता है. फैक्ट्री में लड़कियां ही मैन्युफैक्चरिंग यूनिट संभाल रही हैं और साथ ही साथ सेल्‍स से लेकर मार्केटिंग तक का काम भी वही देख रही हैं. खास बात यह है कि यह लड़कियां और महिलाएं ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि जिस क्षेत्र में वह रहती हैं वहां पर सुविधाओं की कमी है. लड़कियों की 18 साल में ही शादी कर दी जाती है और इसीलिए लड़कियों को पढ़ाने के बारे में कोई सोचता तक नहीं है. 

हालांकि, अब यही लड़कियां कहती हैं कि कल तक जहां वे किसी और पर निर्भर थी आज वह आत्मनिर्भर तो है हीं, साथ ही साथ अपने परिवार की भी जिम्मेदारियां उठाकर अपने लिए एक नया भविष्य भी बुन रही हैं. ओरेवा ग्रुप के डिपार्टमेंट हेड रमेश तुलसानिया बताते हैं कि जितनी शिद्दत और इमानदारी से यह लड़कियां काम करती हैं उस तरह से कोई काम कर ही नहीं सकता है. लड़कियों में हमेशा से ही एक जुझारूपन रहा है. वे अपने काम को लेकर हमेशा ही बहुत सिंसियर रहती हैं. उन्हें देखकर हमें काम करने की उर्जा मिलती है.

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वे कहते हैं कि शुरुआत में लड़कियों को थोड़ी सी ट्रेनिंग देनी पड़ती है लेकिन उसके बाद जब वह काम करती हैं तो उसका नतीजा भी दिखाई पड़ता है. आज लड़कियां अपने आप पर गर्व महसूस करते हुए खुद पर भरोसा भी करना सीख रही है.

 

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