Haryana New CM Nayab Singh Saini Education: मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. अब बीजेपी ने नायब सिंह सैनी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया है. नायब सिंह सैनी कुरूक्षेत्र निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद भी हैं. इससे पहले वो साल 2014 में नारायणगढ़ विधानसभा से विधायक चुने गए थे. साल 2016 में नायब सिंह हरियाणा सरकार में राज्य मंत्री भी रहे हैं. आइए ऐसे में नए सीएम से जुड़ी कुछ खास बातें जानते हैं.
राजनीति से पहले वकालत में थी नायब सिंह की रुचि
नायब सिंह का जन्म हरियाणा में अम्बाला के छोटे से गांव मिर्ज़ापुर में 25 जनवरी 1970 को हुआ था. नायब सिंह की मां पंजाबी हैं और पिता हरियाणवी हैं. नायब सिंह की मां का नाम कुलवंत कौर हैं और उनके पिता का नाम तेलु राम सिंह है. अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद नायब सिंह ने बिहार के बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की है. हरियाणा में जन्मे और बिहार से ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद वे अपनी आगे की पढ़ाई के लिए उत्तर प्रदेश आए थे. इस दौरान वह वकालत में रुचि रखते थे. इसलिए उन्होंने यूपी के मेरठ जिले में बने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की थी.
ऐसे हुई राजनीति में एंट्री
एलएलबी की डिग्री लेने के बाद नायब सिंह ने राजनीति का रुख किया. पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने राजनीतिक करियर के शुरुआती दौर में नायब सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे. इसके कुछ सालों बाद वह बीजेपी में शामिल हो गये थे. 2014 में नायब सिंह ने अंबाला जिले की नारायणगढ़ सीट से 24 हजार से ज्यादा वोटों के साथ चुनाव जीता था. साल 2019 में नायाब सिंह कुरुक्षेत्र सीट से लोकसभा सांसद के तौर पर संसद पहुंचे थे. इस चुनाव में उन्हें 6 लाख 88 हजार 629 वोट मिले थे. अक्टूबर 2023 में नायब सिंह को हरियाणा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. अपने राजनीतिक करियर में अब वे हरियाणा के सीएम पद तक पहुंच रहे हैं.
'9 साल पहले विधायक... अब सीएम बने नायब'
नायब सिंह सैनी (53 साल) 2014 में मुख्य धारा की राजनीति में आए थे और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 9 साल के दरम्यान पहले विधायक बने, फिर राज्य सरकार में मंत्री, उसके बाद लोकसभा सांसद और अक्टूबर 2023 में हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए. और 5 महीने बाद ही नायब को सीएम के रूप में सबसे बड़ी जिम्मेदारी मिल गई है.
खट्टर के करीबी हैं नायब सिंह सैनी
सैनी को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का भी विश्वासपात्र माना जाता है. संगठन में भी सैनी की पकड़ मानी जाती है. जब सैनी 2019 में सांसद बने तो बीजेपी ने ना सिर्फ हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी, बल्कि पार्टी उम्मीदवारों ने बड़े अंतर से विपक्ष के प्रत्याशियों को पटखनी दी थी.
जाट समाज पर रहती है हर दल की नजर
2023 में पहलवानों की नाराजगी ने भी हरियाणा की राजनीति को प्रभावित किया है. ऐसे में बीजेपी की नजर अब नॉन जाट वोटों पर है. जाट समुदाय की राज्य में करीब 25% आबादी है. चुनाव में यह समाज किंगमेकर की भूमिका में देखा जाता है. बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक जाट समाज को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. हरियाणा सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में पिछड़ा वर्ग की आबादी 31 प्रतिशत है. जबकि अनुसूचित जाति की संख्या 21 फीसदी है.
OBC वोटर्स को साधने की कोशिश
सैनी को प्रदेश अध्यक्ष के बाद सीएम बनाने के लिए कई मसलों को ध्यान में रखा गया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार जातिगत आरक्षण का मुद्दा उठा रहे हैं और ओबीसी समुदाय को लेकर बीजेपी की घेराबंदी करने में लगे हैं. हरियाणा में ओबीसी समुदाय का दबदबा है. खासतौर पर जाटलैंड में बीजेपी अपनी पकड़ को ढीला नहीं होने देना चाहती है. सैनी जिस कुरुक्षेत्र सीट से सांसद है, वहां जाट वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा है. यही वजह है कि पार्टी ने कम समय में ज्यादा पॉपुलर्टी पाने वाले नायब सिंह सैनी को सबसे बेहतर चेहरा माना. इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि खट्टर की पसंद का भी ख्याल रखा गया है.
सामने दो चुनाव की बड़ी परीक्षा
कुछ ही दिन बाद देश में आम चुनाव की तारीखों का ऐलान होने वाला है. उसके बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं. यानी कुछ ही महीने में हरियाणा में दो चुनाव में वोटिंग होनी है और बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती यही है कि वो अपना प्रदर्शन दोहराए. 2019 के चुनाव में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था और सभी 10 लोकसभा सीटें थीं. सैनी ऐसे समय में सीएम बनाए गए हैं, जब बीजेपी सरकार एंटी इनकम्बेंसी से जूझ रही है. हाल ही में हिसार से बीजेपी सांसद बृजेंद्र सिंह ने पार्टी छोड़ दी है और वो कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. ऐसे में नायब के सामने संगठन और सरकार दोनों में संतुलन बनाने की चुनौती होगी. हरियाणा में सैनी जाति की आबादी करीब 8% मानी जाती है. कुरूक्षेत्र, यमुनानगर, अंबाला, हिसार और रेवाड़ी जिलों में अच्छी खासी संख्या है.