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Heatwave Condition In India: भीषण गर्मी और हीटवेव की क्या है वजह? जानें मौसम विभाग कैसे करता है काम

IMD Weather Prediction: देश के करीब 15 राज्य हीटवेव की चपेट में हैं. हीटवेव के साथ हर दिन तापमान भी बढ़ता जा रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं, यह कैसे तय होता है कि कोई राज्य हीटवेव की चपेट में है या नहीं? क्या आपको पता है मौसम विभाग कैसे हर दिन अलग-अलग शहरों के मौसम का पूर्वानुमान करता है? आइए जानते हैं कैसे काम करता है मौसम विभाग.

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Weather News Today
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • हीटवेव के पीछे एंटी साइक्लोन जिम्मेदार
  • जानलेवा साबित हो सकता है हीटस्ट्रोक

IMD Weather Updates, Heatwave Condition: भारत के कई हिस्से इस वक्त भीषण गर्मी की चपेट में हैं. गर्मी और हीटवेव के डर से लोग घरों से निकलने से भी बच रहे हैं. इस बार भारत में 11 मार्च से ही हीटवेव की शुरुआत हो गई थी. अब तक भारत के 15 राज्य हीटवेव की चपेट में हैं. मौसम विभाग के अनुसार उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, दिल्ली और हरियाणा ऐसे राज्य हैं, जो कोर हीटवेव की चपेट में आते हैं. 

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क्या होती है हीटवेव?
मौसम विभाग के मुताबिक, हीटवेव की स्थिति तब बनती है जब समतल इलाकों में तापमान 40 डिग्री के पार, तटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री और पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है. इसके अलावा किसी भी इलाके के सामान्य तापमान से 4.5 डिग्री अधिक तापमान हो जाए, तो वहां पर हीटवेव घोषित कर दी जाती है. भारत के नियमों के अनुसार, अगर तापमान सामान्य से 6.2 डिग्री पार कर जाए तो भीषण हीटवेव की स्थिति पैदा हो जाती है. 

भीषण गर्मी और हीटवेव की क्या है वजह?
मौसम विभाग का मानना है कि इस भीषण गर्मी और हीटवेव के पीछे एंटी साइक्लोन जिम्मेदार है. एंटी साइक्लोन वो स्थिति होती है, जब सतह पर हवा का दबाव अधिक हो जाता है. इसकी वजह से ऊपर की हवा नीचे आ जाती है और नीचे आते ही ये हवा गर्म हो जाती है. फिर इसकी वजह से लू की स्थिति पैदा हो जाती है. बता दें, विश्व बैंक के अनुसार पिछले 100 सालों में भारत का औसत वार्षिक तापमान 0.62 डिग्री बढ़ा है. 

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बाढ़ और ठंड से अधिक जानें हीटस्ट्रोक की वजह से गईं
इस भीषण गर्मी में सेहत का ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है. भीषण गर्मी और हीटवेव की वजह से कई बार लोगों को हीटस्ट्रोक होता है. ये हीटस्ट्रोक जानलेवा भी साबित हो सकता है. राष्ट्रिय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, पिछले 10 सालों में हीटस्ट्रोक से करीब 11,571 लोगों की जान गई है. बता दें, पिछले 20 सालों में बाढ़ और ठंड से अधिक जानें हीटस्ट्रोक की वजह से गई हैं. 

कैसे लगाते हैं मौसम का पूर्वानुमान?
मौसम विभाग लगातार हमें मौसम की जानकारी देता रहता है. लेकिन ये सवाल उठता है कि आखिर मौसम विभाग कैसे मौसम का पूर्वानुमान लगाता है? 17वीं सदी में थर्मोमीटर और बैरोमीटर के अविष्कार के साथ मौसम विभाग ने वैज्ञानिक तरीकों से वेदर फोरकास्टिंग शुरू की. 1875 से 2022 तक मौसम विभाग ने पूर्वानुमान के लिए अपनी तकनीकों में कई बदलाव किए. भारत पहला प्रगतिशील देश था जिसके पास अपना जियो स्टेशनरी सैटेलाइट इनसैट आया.आपको बता दें, भारत के पास मौसम विभाग से जुड़ी दुनिया में सबसे पुरानी  ऑब्जर्वेटरीज हैं. 

कैसे नापा जाता है अलग-अलग शहरों का तापमान?
शहरों के न्यूनतम और अधिकतम तापमान को थर्मोमीटर से नापते हैं. इसके लिए शहर में मौसम विभाग, एयरफोर्स और प्राइवेट संस्थानों की ऑब्जर्वेटरीज होती हैं. इन ऑब्जर्वेटरीज में स्टीवेनसेन स्क्रीन नामक एक उपकरण होता है, जिसके जरिए तापमान को नापा जाता है. हर शहर में एक विशेष ऑब्जर्वेटरी होती है, जिसके तापमान को ही बेंचमार्क माना जाता है. 

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