दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने नकली दवाओं के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड करते हुए आठ लोगों को गिरफ्तार किया है. दिल्ली से पकड़े गए एक आरोपी के तार बिहार के प्रतिष्ठित और जाने-माने विश्वविद्यालय IIT-BHU से जुड़े मिले. मुजफ्फरपुर से पुलिस के हत्थे चढ़ा 23 वर्षीय अदित्य कृष्णा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT)-बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का पूर्व छात्र बताया जा रहा है.
दरअसल, क्राइम ब्रांच की विशेष आयुक्त शालिनी सिंह ने बताया कि उनकी टीम को जानकारी मिली है कि दिल्ली में एक गैंग एक्टिव है, जो कैंसर की नकली दवाइयां मरीजों को सप्लाई कर रहा है. इसके बाद आरोपियों को पकड़ने के लिए एक स्पेशल टीम बनाई गई. दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की नकली दवाओं रैकेट चलाने वाले 8 आरोपियों को पकड़ा है. आरोपियों के पास से कुल 9 ब्रांड्स की नकली दवाइयां बरामद की गई हैं. इनमें से सात दवाइयां विदेश ब्रांड्स की हैं, जबकि दो भारत में बनाई जाने वाली नकली दवाइयां हैं.
कैसे काम करता था रैकेट?
पुलिस का कहना है कि आरोपी अस्पताल में मरीजों के कीमोथेरपी में इस्तेमाल में लाने वाले इंजेक्शनंस की खाली शीशी जुटाते थे, फिर उन शीशियों में एंटी फंगल दवा भरकर बेच देते थे. इनका टारगेट ज्यादातर दिल्ली के बाहर से आने वाले मरीज होते थे, खासतौर पर हरियाणा, बिहार, नेपाल और अफ्रीकी देशों से आने वाले मरीज. नकली दवा के जरिये ठगने वाले 8 लोगों में विफल जैन, सूरज शत, नीरज चौहान, परवेज, कोमल तिवारी, अभिनय कोहली और तुषार चौहान हैं. अब पकड़े गए 8 आरोपियों में शामिल नीरज चौहान के एक और साथी आदित्य कृष्णा को पकड़ा गया है. आदित्य को मुजफ्फर से दिल्ली लाया जा रहा है.
IIT-BHU से की है बीटेक की पढ़ाई
मिली जानकारी के अनुसार, मुजफ्फरपुर से पकड़ा गया आदित्य कृष्णा आईआईटी बीएचयू का छात्र है, जहां से आरोपी ने बीटेक की पढ़ाई की है. आरोपी आदित्य, नीरज चौहान से दवाइयां खरीदता था और आगे पुणे और एनसीआर में इसकी सप्लाई करता था. इसके अलावा वह खुद भी मुजफ्फरपुर में अपनी दवा की दुकान भी चला रहा था.
बता दें कि इससे पहले दिल्ली के पास गाजियाबाद में एक फैक्ट्री पर रेड के दौरान नकली दवा बनाने वाले एक गैंग का भंडाफोड़ हुआ था. LED Bulb की इस फैक्ट्री में हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और Antacid की नकली दवाइयां बनाकर बाजारों में बेची जा रही थीं. दिल्ली पुलिस की 'क्राइम ब्रांच' ने इस फैक्ट्री और गोदाम से एक करोड़ 10 लाख रुपये की नकली दवाइयां बरामद की थी. पुलिस का कहना था कि इस फैक्ट्री में ब्रांडेड दवाइयों को कॉपी करके नकली दवाइयां बनाई जा रही थीं. ये सारी वो दवाइयां थीं, जिनकी भारत में सबसे ज्यादा बिक्री होती है.