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IIT बॉम्बे के 15 छात्रों ने बीच में छोड़ा बीटेक कोर्स, फिर भी मिली ये डिग्री

संस्थान में शैक्षणिक कार्यक्रमों के डीन, प्रोफेसर अविनाश महाजन के अनुसार, जो छात्र चार साल का बी.टेक कोर्स पूरा करने में असमर्थ हैं और छोड़ने के इच्छुक हैं, वे इंजीनियरिंग में बीएससी की आईआईटी डिग्री के साथ भी ऐसा कर सकते हैं.

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आईआईटी बॉम्बे
आईआईटी बॉम्बे

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) बॉम्बे ने पिछले साल छात्रों अर्ली एग्जिट यानी कोर्स पूरा होने से पहले छोड़ने का ऑप्शन दिया था. यह विकल्प राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत दिया गया था, जिसके मुताबिक छात्र दूसरे या तीसरे साल में भी वो कोर्स छोड़ सकते हैं या अन्य किसी कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं. पिछले साल 15 छात्रों ने अर्ली एग्जिट ऑप्शन को चुना था. यह ऑप्शन चुनने वाले छात्रों को बीएससी डिग्री दी जाएगी.

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संस्थान में शैक्षणिक कार्यक्रमों के डीन, प्रोफेसर अविनाश महाजन के अनुसार, जो छात्र चार साल का बी.टेक कोर्स पूरा करने में असमर्थ हैं और छोड़ने के इच्छुक हैं, वे इंजीनियरिंग में बीएससी की आईआईटी डिग्री के साथ भी ऐसा कर सकते हैं. संस्थान के अनुसार, यह छात्रों को तीन साल का कोर्स पूरा करने के बाद भी ड्रॉप-आउट होने के बजाय सम्मानजनक एग्जिट देगा. यह निर्णय आईआईटी काउंसिल की एक बैठक में चर्चा का परिणाम था

प्रोफेसर महाजन ने आगे कहा, "कुछ साल पहले, लॉ परफॉर्मेंस वाले छात्रों को सम्मानजनक निकास लेने का विकल्प प्रदान करने के लिए इस पर चर्चा की गई थी." अब ये छात्र ड्रॉप-आउट होंगे.

बीएससी डिग्री के लिए भी अर्ली एग्जिट ऑप्शन
आईआईटी में अकादमिक कार्यक्रमों के डीन प्रोफेसर अविनाश महाजन ने बीएससी की डिग्री हासिल करने वाले छात्रों के लिए अर्ली एग्जिट ऑप्शन के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि बीएससी की डिग्री प्राप्त करने के लिए, छात्रों को तीन साल के दौरान 160 क्रेडिट पूरे करने होंगे. अगर कोई छात्र अपने मेन सब्जेक्ट में कम से कम 30 क्रेडिट पूरा करता है, तो उसे उस विषय में एक विशेष डिग्री मिलेगी. उदाहरण के लिए, अगर कोई छात्र 160 क्रेडिट जमा करता है, जिसमें से 30 कंप्यूटर साइंस से हैं, तो उन्हें कंप्यूटर साइंस में बीएससी की डिग्री दी जाएगी.

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वहीं 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की तीसरी वर्षगांठ' के मौके पर एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए, आईआईटी बॉम्बे के उप निदेशक प्रोफेसर एस सुदर्शन ने उच्च शिक्षा पर एनईपी के प्रभाव पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि नीति ने पाठ्यक्रमों में अधिक लचीलेपन को सक्षम किया है, जिससे छात्रों को मुख्य पाठ्यक्रमों और सभी विषयों में विविध प्रकार के ऐच्छिक का चयन करने की अनुमति मिली है. इसके अलावा, एनईपी ने पारंपरिक क्षेत्रों से परे नए विषयों की स्थापना को प्रोत्साहित किया है, जैसे कि आईआईटी में स्कूल ऑफ मैनेजमेंट और स्कूल फॉर एंटरप्रेन्योरशिप.

 

 

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