झारखंड में कोरोना की दूसरी लहर से संक्रमितों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. सरकारी दफ्तर से लेकर शैक्षणिक संस्थान सब कोरोना की चपेट में आ रहे हैं. संक्रमितों की लगातार बढ़ती संख्या अब चिंता बढ़ा रही है.
धनबाद के आईआईटी आईएसएम धनबाद में एक प्रोफेसर समेत आठ लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, जिसके बाद पूरा कार्यालय और कैंपस को सील कर दिया गया है. 18 अप्रैल तक बाहरी लोगों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है.
देश के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान में से एक धनबाद के आईआईटी आईएसएम में एक अधिकारी और दो शिक्षक समेत 8 लोग कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं. सभी को आईआईटी आईएसएम में ही Covid-19 आइसोलेशन सेंटर बनाने का निर्देश दिया गया हैं और सभी को वहीं शिफ्ट किया गया हैं. अगर किसी मरीज की हालत गंभीर होती है तो उसे जिला प्रशासन आईसीयू में शिफ्ट करेगा.
हाई कोर्ट की नाराजगी
राज्य में बढ़ते संक्रमण और स्वास्थ्य सेवाओं की वर्तमान स्थिति पर झारखंड हाई कोर्ट ने एक बार फिर नाराजगी जतायी है. हाई कोर्ट ने कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली ध्वस्त हो गयी है. अस्पताल में बेड नहीं हैं. बीमारी से मौतें बढ़ गयी हैं. एक सप्ताह तक जांच रिपोर्ट नहीं आ रही है. रिम्स जैसे अस्पताल में मात्र तीन आरटी-पीसीआर मशीन हैं. रिम्स में पांच हजार से अधिक सैंपल अभी भी लंबित हैं. सैंपल जांच के लिए भुवनेश्वर भेजा जा रहा है. इससे प्रतीत होता है कि सरकार अभी महामारी और बढ़ने का इंतजार कर रही है. इस स्थिति को बदलना होगा. जल्द ही हालात पर काबू नहीं पाया गया तो स्थिति और भयावह हो सकती है.
चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने मंगलवार को यह टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि यह विपदा का समय है और सभी को गंभीरता से काम करना होगा. स्वास्थ्य सचिव सिर्फ कोर्ट में आकर बातें सुनते हैं. उन्हें गंभीरता दिखानी होगी और धरातल पर काम करना होगा. स्थिति से निपटने के लिए अदालत ने होटल और बैंक्वेट हॉल को आइसोलेशन सेंटर बनाने का सुझाव दिया है. अदालत ने 17 अप्रैल को इस पूरे मामले पर प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था.