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IIT जोधपुर के रिसर्चर्स ने बना डाली हवा में उड़ने वाली 'कार', ये पानी के भीतर भी चलेगी, इस पक्षी से ली प्रेरणा

देश के आईआईटी कॉलेज के छात्रों ने फिर कमाल कर दिखाया है. आईआईटी जोधपुर के छात्रों ने पानी और हवा में चलने वाला एक वाहन तैयार किया है. जो कि समुद्र तटों और नदियों पर तेल रिसाव कितना है, पानी के नीचे कटाव, पानी में प्रदूषण पता लगा सकता है.

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IIT Jodhpur Hybrid Vehicle
IIT Jodhpur Hybrid Vehicle

देश के आईआईटी संस्थानों के छात्र हर बार कोई ना कोई ऐसा इनोवेशन करते रहते हैं जो काबिले तारीफ होते हैं. इसी कड़ी में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर के छात्रों का अनोखा आविष्कार सामने आया है. छात्रों ने मिलकर उड़ने वाली कार बना दी है जिसकी कल्पना लोग सपनों में किया करते थे. साइंस की भाषा में कहें तो छात्रों ने एक रोबस्ट कंट्रोल सिस्टम डिजाइन किया है जो पानी और हवा दोनों में चलता है. यह हाइब्र‍िड कार बहुत काम की है. यह समुद्र तटों और नदियों पर तेल रिसाव भांंप सकती है, साथ ही पानी के नीचे कटाव का स्तर और पानी में प्रदूषकों का पता लगाने के भी काम आ सकती है. 

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पानी के नीचे फोटोग्राफी भी कर सकती है उड़ने वाली कार

इस वाहन को चलाने के लिए एक मैथमेटिकल सिस्टम तैयार किया गया था ताकि इस रिसर्च को अधिक सक्षम बनाया जा सके. यह कार लाइफगार्ड बचाव कार्यों में काम आएगी. साथ ही यह पानी के नीचे और हवाई फोटोग्राफी भी कर सकती है. टीम ने इस कार को बनाने की प्रेरणा एन्हिंगास पक्षी से ली है, जो जमीन और पानी के नीचे दोनों पर चलने में सक्षम है. इसके आधार पर, अनुसंधान टीम ने वॉटरप्रूफिंग से बना एक थ्री-डी प्रोटोटाइप बनाया है. रिमोट कंट्रोल (RC) ट्रांसमिशन का उपयोग करके हवाई, पानी की सतह और पानी के नीचे कार के प्रोटोटाइप का परीक्षण भी किया गया था.

आईआईटी के प्रोफेसर ने कही ये बात

जिस पेपर में इस रिसर्च के बारे में लिखा गया है उसे आईआईटी जोधपुर के डॉ. जयंत कुमार मोहंता और शोध विद्वानी जय खत्री, आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर संदीप गुप्ता और आईआईटी पलक्कड़ के प्रोफेसर संतकुमार मोहन ने लिखा है. आईआईटी जोधपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के असिसटेंट प्रोफेसर डॉ. जयंत कुमार मोहंता ने कहा कि यह प्रोटोटाइप पानी के ऊपर एक जहाज की तरह चल सकता है, हवा में उड़ सकता है और पानी में डूबे होने पर भी नेविगेट कर सकता है. इसकी उड़ान का समय 15 मिनट है और यह 8 घंटे तक पानी के भीतर रह सकता है. पिछले कुछ वर्षों में इस विषय में रिसचर्स की रुचि बढ़ रही है, लेकिन यह तकनीक फिलहाल अमेरिका और चीन जैसे बहुत कम देशों के पास है. 

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